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25 साल पुराना छोले कुलचे का ठेला आज भी लोगों की है पहली पसंद - Delhi NCR News

दिल्ली-एनसीआर में लोग छोले कुलचे के कुछ ज्यादा ही शौकीन हैं. यही वजह है कि दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद में हर गली नुक्कड़ चौराहे पर छोले-कुलचे की दुकान या फिर ठेले नज़र आ जाएंगे. इन ठेलों के पास छोले-कुलचे के मसालेदार ज़ायके के शौकीन लोगों का जमावड़ा लगा दिखाई देगा.

राजेंद्र के छोले कुलचे
राजेंद्र के छोले कुलचे
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Published : Sep 3, 2021, 5:56 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: राज नगर सेक्टर-14 में राजेंद्र की दुकान में तकरीबन 25 सालों से खाने-पीने के शौकीन लोग हाथों से बने जायकेदार छोले-कुलचे का ज़ायका ले रहे हैं. छोले कुलचे तो गाजियाबाद में सैकड़ों जगह मिलते हैं, लेकिन राजेंद्र के छोले कुलचे कुछ हटकर है.

दरअसल, राजेंद्र के छोले-कुलचे में जो ज़ायका रहता है, वो राजेंद्र के द्वारा घर पर तैयार किये गए मसाले के होते हैंं. घर पर तैयार किए गए मसाले ही छोले-कुलचे के दीवानों को घरों से ठेले तक खींच लाते हैं.

राजेंद्र के छोले कुलचे

राजेंद्र की ठेली पर सुबह से ही छोले-कुलचे के शौकीन लोग ज़ायके का लुत्फ उठाते नजर आते हैं. जैसे-जैसे दिन चढ़ने लगता है, वैसे ही छोले-कुलचे के शौकीन लोगों की भीड़ बढ़नी शुरू हो जाती है. कई बार तो आलम यह होता है की ऑर्डर करने के बाद छोले कुलचे की प्लेट हाथ लगने में शौकीन लोगों को 15 मिनट तक का इंतजार करना पड़ जाता है, लेकिन जब छोले-कुलचे की प्लेट रायते सलाद और अचार के साथ मिलती है, तो ऐसा लगता है, जैसे मानो सब्र का फल मिल गया हो.

इसे भी पढ़ें: प्राकृतिक ऑक्सीजन का हब बनेगा गाज़ियाबाद, पर्यावरण को संवारेंगे 1.5 लाख पौधे

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दरअसल, राजेंद्र के छोले-कुलचे में जो ज़ायका रहता है, वो राजेंद्र के द्वारा घर पर तैयार किये गए मसाले के होते हैंं. घर पर तैयार किए गए मसाले ही छोले-कुलचे के दीवानों को घरों से ठेले तक खींच लाते हैं.

राजेंद्र के छोले कुलचे

राजेंद्र की ठेली पर सुबह से ही छोले-कुलचे के शौकीन लोग ज़ायके का लुत्फ उठाते नजर आते हैं. जैसे-जैसे दिन चढ़ने लगता है, वैसे ही छोले-कुलचे के शौकीन लोगों की भीड़ बढ़नी शुरू हो जाती है. कई बार तो आलम यह होता है की ऑर्डर करने के बाद छोले कुलचे की प्लेट हाथ लगने में शौकीन लोगों को 15 मिनट तक का इंतजार करना पड़ जाता है, लेकिन जब छोले-कुलचे की प्लेट रायते सलाद और अचार के साथ मिलती है, तो ऐसा लगता है, जैसे मानो सब्र का फल मिल गया हो.

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