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Ghaziabad:कोरोना पर विजय पा चुकी मां की पीएम नरेंद्र मोदी ने की तारीफ, चिट्ठी लिखकर दी बधाई

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Published : Jun 17, 2021, 10:12 PM IST

Updated : Jun 25, 2021, 8:13 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने गाजियाबाद (Ghaziabad) में एक छह साल के एक बच्चे की मां की, उसके साहस और सकारात्मक सोच के लिए प्रशंसा की. उन्होंने COVID-19 संक्रमित होने के बाद आइसोलेट होकर, बेटे से खुद को अलग कर लिया था.

PM Narendra Modi praised a mother battling Corona, congratulated by writing a letter
प्रधानमंत्री की प्रशंसा

नई दिल्ली/गाजियाबाद: कोरोना की दूसरी लहर (corona second wave) कहर बनकर टूटी. दूसरी लहर के दौरान कई परिवारों ने अपनी मुखिया को खोया, तो वहीं कई बच्चे अनाथ हो गए. कई परिवारों ने हौसले के साथ काम लिया और दूसरी लहर का डटकर सामना किया. गाजियाबाद के वसुंधरा (vasundhara) में रहने वाला एक ऐसा ही परिवार है. यह परिवार देखने में बेशक की सहज और मध्यमवर्गीय लगे. इस परिवार की व्याख्या हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री (Prime minister) ने चिट्ठी (letter) भेजकर अपने शब्दों में की है.

प्रधानमंत्री ने लिखा-आपकी कविता एक मां की ममता

प्रधानमंत्री (Prime minister) द्वारा भेजी गई चिट्ठी (letter) में लिखा है," कोरोना (corona) से लड़ते वक्त अपने बच्चे से अलग रहते हुए आपने एक मां (mother) के मन में उभरने वाले विचारों, को जिस तरह से शब्दों में डाला है, वह भावुक करने वाला है. कविताएं (poem) संवाद का एक सशक्त माध्यम है. मन के विचारों और भावों को शब्दों में गढ़कर अभिव्यक्त करने की अद्भुत क्षमता कविताओं में है. आपकी कविता (poem) एक मां की ममता, स्नेह, बच्चे से दूर रहने पर उसकी चिंता, उसकी व्याकुलता ऐसा अनेकभावों को समेटे हैं."

कोरोना से जूझ रही मां की पीएम नरेंद्र मोदी ने की तारीफ

इंजीनियर हैं पति-पत्नी


गाजियाबाद (Ghaziaba) के वसुंधरा स्थित सोसाइटी में गगन कौशिक (Gagan Kaushik) और पूजा वर्मा (Pooja Verma) छह साल के बेटे के साथ रहते हैं. पति-पत्नी पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर (software engineer) हैं. कोरोना (corona) की दूसरी लहर के दौरान गगन और पूजा कोरोना से संक्रमित (infected) हो गए थे.

PM Narendra Modi praised a mother battling Corona, congratulated by writing a letter
पीएम नरेंद्र मोदी की चिट्ठी

बेटे को सुरक्षित रखना थी चुनौती

संक्रमित होने के बाद पति-पत्नी के सामने एक बड़ी चुनौती थी कि बेटे अक्ष कौशिक को कोरोना संक्रमण (corona infection) से कैसे सुरक्षित रखा जाए. तीन कमरों के फ्लैट में पति-पत्नी अलग-अलग कमरों में आइसोलेट हो गए, जबकि अक्ष को एक अलग कमरे में रखा. कोरोना की चपेट में आने के बाद पूजा और गगन ने सूझबूझ से, बेटे को कोरोना की चपेट में नहीं आने दिया. पूजा (Pooja) वर्मा ने बताया कोरोना corona) की दूसरी लहर के दौरान हालात काफी खराब थे. मन में नाउम्मीदी भर गयी थी और हर तरफ नकारात्मकता फैली हुई थी. दूसरी लहर के दौरान दोनों पति-पत्नी भी कोरोना की चपेट में आ गए. कोरोना संक्रमित होने के बाद आइसोलेट हुए और ऑनलाइन डॉक्टर से सलाह ली. उस समय सबसे बड़ी चुनौती 6 साल के बेटे अक्ष को खुद से दूर कर, कोरोना वायरस से सुरक्षित रखना थी.

6 साल का बेटा बार-बार बुलाता था

पूजा (Pooja) ने बताया कि अक्ष को अलग कमरे में आइसोलेट कर दिया गया. अक्ष 14 दिनों तक अलग कमरे में रहा. इस दौरान अक्ष ने अपनी पढ़ाई, खाने-पीने आदि की खुद व्यवस्था की. एक ही घर में होते हुए भी बच्चे से वीडियो कॉल पर बात करनी पड़ती थी. जब अक्ष को देखने का या बात करने का मन करता था, तो वह बालकनी में आ जाता था. परिवार के लिए दो हफ्ते काफी सख्त गुज़रे. इस दौरान मन में काफी डर था, लेकिन डर के साथ हिम्मत भी थी कि अगर डर गए तो कैसे काम चलेगा. बेटा बार-बार बुलाता था और यही पूछता था कि अभी कितने दिन और अलग रहना है. इस दौरान दूर रहकर बेटे से जो भी बातचीत होती थी, उसे एक कविता का रूप दे दिया.

ये भी पढ़ें-Ghaziabad Corona Second Wave : अनाथ बच्चों के भविष्य संवारने की हुई पहल


वहीं पूजा (Pooja) का यह कहना है कि बेशक मैंने उस बुरे वक्त में अपने बेटे के साथ-साथ परिवार को भी समायोजित करके रखा. लेकिन इस दौरान एक मां (mother) होने के नाते अपनी भावनाओं को समायोजित नहीं कर पाई. यही कारण रहा कि मैंने एक कविता (poem) लिखी और उस कविता को अपने प्रधानमंत्री (Prime minister) को भेजने के लिए भी प्रेरित हुई. जब मैंने मेरे द्वारा लिखी गई कविता भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री (Prime minister) को भेजी तो मुझे यकीन नहीं था कि इसका जवाब आएगा.

बेटे के लिए बाहर से खाना मंगाते थे

गगन कौशिक (Gagan Kaushik) ने बताया बेटे के लिए बाहर से खाना मंगाते थे. डिलीवरी बॉय (delivery boy) घर के दरवाजे पर खाना छोड़ जाता था. बेटा खाने के पैकेट को सैनिटाइज कर घर के अंदर लाता और खाना खा लेता. एक ही घर में रहते हुए अलग रहना बेटे के लिए काफी मुश्किल था लेकिन बेटे को समझाया जिसके बाद बेटा मान गया.

ये भी पढ़ें-प्राकृतिक ऑक्सीजन का हब बनेगा गाज़ियाबाद, पर्यावरण को संवारेंगे 1.5 लाख पौधे


पूजा वर्मा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजी गई कविता "कोविड में मां की मजबूरी"

जाली के पीछे से मेरा लाल झांक रहा है,

मासूम आंखों से मजबूर मां को ताक रहा है,

कभी कहता है मैं, मम्मी, मम्मा नाराज हो क्या?

न जाने कितने जतन किये मां को पास बुलाने के

आंखों में आंसू लेकर कहता आज तो मेरे पास सोओगी न?

नींद नहीं आती मुझे, आपके साथ के बिना

चाहे तो मुझे बस सुला के चली जाना मां, मम्मी, मम्मा.

जाली के पीछे से मेरा लाल झांक रहा है

ये कैसी मजबूरी है, ये कैसी दूरी है?

पास होकर भी मां बेटे में दो गज की दूरी है,

ये कैसी महामारी, ये कैसी आपदा आई है जग में

मां की ममता, पिता का प्यार आज है लाचार

मां का दिल रह रह कर गले लगना चाहे लाल तुझे

एक पल जिसे ओझल न होने दिया अपनी आंखों से,

जाली से पीछे से मेरा लाल झांक रहा है

क्या क्या बहाने मे बनाता मां को पास बुलाने के

कभी कहता नहला दो, कभी कहता प्यारी मम्मी

कपड़े कुछ गीले हो गए हैं, बदल दो न

अच्छा ये तो बताओ, कल तो मेरे पास सोओगी न?

नहीं बेटा, अबी तो चौदह दिन की और बात है

फिर कहता, चौगह मतलब कितने?

वन, टू, थ्री और आज कौन सा दिन है?

ये सब सुनकर जार जार रोता मां का मजबूर दिल है

क्यों जाली के पीछे से मेरा लाल झांक रहा है

क्यों ये बीमारी है आई, क्यों ये दूरी बनाई

दूर रहकर भी अपने लाल को सीने से लगाया मां ने

ढेरो आशीष देकर बलाओं से बचाया मां ने...

ढेरो आशीष देकर बलाओं से बताया मां ने...


ये भी पढ़ें-कोरोना की तीसरी लहर को लेकर निष्काम सेवक जत्था ने की अग्रिम तैयारियां

नई दिल्ली/गाजियाबाद: कोरोना की दूसरी लहर (corona second wave) कहर बनकर टूटी. दूसरी लहर के दौरान कई परिवारों ने अपनी मुखिया को खोया, तो वहीं कई बच्चे अनाथ हो गए. कई परिवारों ने हौसले के साथ काम लिया और दूसरी लहर का डटकर सामना किया. गाजियाबाद के वसुंधरा (vasundhara) में रहने वाला एक ऐसा ही परिवार है. यह परिवार देखने में बेशक की सहज और मध्यमवर्गीय लगे. इस परिवार की व्याख्या हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री (Prime minister) ने चिट्ठी (letter) भेजकर अपने शब्दों में की है.

प्रधानमंत्री ने लिखा-आपकी कविता एक मां की ममता

प्रधानमंत्री (Prime minister) द्वारा भेजी गई चिट्ठी (letter) में लिखा है," कोरोना (corona) से लड़ते वक्त अपने बच्चे से अलग रहते हुए आपने एक मां (mother) के मन में उभरने वाले विचारों, को जिस तरह से शब्दों में डाला है, वह भावुक करने वाला है. कविताएं (poem) संवाद का एक सशक्त माध्यम है. मन के विचारों और भावों को शब्दों में गढ़कर अभिव्यक्त करने की अद्भुत क्षमता कविताओं में है. आपकी कविता (poem) एक मां की ममता, स्नेह, बच्चे से दूर रहने पर उसकी चिंता, उसकी व्याकुलता ऐसा अनेकभावों को समेटे हैं."

कोरोना से जूझ रही मां की पीएम नरेंद्र मोदी ने की तारीफ

इंजीनियर हैं पति-पत्नी


गाजियाबाद (Ghaziaba) के वसुंधरा स्थित सोसाइटी में गगन कौशिक (Gagan Kaushik) और पूजा वर्मा (Pooja Verma) छह साल के बेटे के साथ रहते हैं. पति-पत्नी पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर (software engineer) हैं. कोरोना (corona) की दूसरी लहर के दौरान गगन और पूजा कोरोना से संक्रमित (infected) हो गए थे.

PM Narendra Modi praised a mother battling Corona, congratulated by writing a letter
पीएम नरेंद्र मोदी की चिट्ठी

बेटे को सुरक्षित रखना थी चुनौती

संक्रमित होने के बाद पति-पत्नी के सामने एक बड़ी चुनौती थी कि बेटे अक्ष कौशिक को कोरोना संक्रमण (corona infection) से कैसे सुरक्षित रखा जाए. तीन कमरों के फ्लैट में पति-पत्नी अलग-अलग कमरों में आइसोलेट हो गए, जबकि अक्ष को एक अलग कमरे में रखा. कोरोना की चपेट में आने के बाद पूजा और गगन ने सूझबूझ से, बेटे को कोरोना की चपेट में नहीं आने दिया. पूजा (Pooja) वर्मा ने बताया कोरोना corona) की दूसरी लहर के दौरान हालात काफी खराब थे. मन में नाउम्मीदी भर गयी थी और हर तरफ नकारात्मकता फैली हुई थी. दूसरी लहर के दौरान दोनों पति-पत्नी भी कोरोना की चपेट में आ गए. कोरोना संक्रमित होने के बाद आइसोलेट हुए और ऑनलाइन डॉक्टर से सलाह ली. उस समय सबसे बड़ी चुनौती 6 साल के बेटे अक्ष को खुद से दूर कर, कोरोना वायरस से सुरक्षित रखना थी.

6 साल का बेटा बार-बार बुलाता था

पूजा (Pooja) ने बताया कि अक्ष को अलग कमरे में आइसोलेट कर दिया गया. अक्ष 14 दिनों तक अलग कमरे में रहा. इस दौरान अक्ष ने अपनी पढ़ाई, खाने-पीने आदि की खुद व्यवस्था की. एक ही घर में होते हुए भी बच्चे से वीडियो कॉल पर बात करनी पड़ती थी. जब अक्ष को देखने का या बात करने का मन करता था, तो वह बालकनी में आ जाता था. परिवार के लिए दो हफ्ते काफी सख्त गुज़रे. इस दौरान मन में काफी डर था, लेकिन डर के साथ हिम्मत भी थी कि अगर डर गए तो कैसे काम चलेगा. बेटा बार-बार बुलाता था और यही पूछता था कि अभी कितने दिन और अलग रहना है. इस दौरान दूर रहकर बेटे से जो भी बातचीत होती थी, उसे एक कविता का रूप दे दिया.

ये भी पढ़ें-Ghaziabad Corona Second Wave : अनाथ बच्चों के भविष्य संवारने की हुई पहल


वहीं पूजा (Pooja) का यह कहना है कि बेशक मैंने उस बुरे वक्त में अपने बेटे के साथ-साथ परिवार को भी समायोजित करके रखा. लेकिन इस दौरान एक मां (mother) होने के नाते अपनी भावनाओं को समायोजित नहीं कर पाई. यही कारण रहा कि मैंने एक कविता (poem) लिखी और उस कविता को अपने प्रधानमंत्री (Prime minister) को भेजने के लिए भी प्रेरित हुई. जब मैंने मेरे द्वारा लिखी गई कविता भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री (Prime minister) को भेजी तो मुझे यकीन नहीं था कि इसका जवाब आएगा.

बेटे के लिए बाहर से खाना मंगाते थे

गगन कौशिक (Gagan Kaushik) ने बताया बेटे के लिए बाहर से खाना मंगाते थे. डिलीवरी बॉय (delivery boy) घर के दरवाजे पर खाना छोड़ जाता था. बेटा खाने के पैकेट को सैनिटाइज कर घर के अंदर लाता और खाना खा लेता. एक ही घर में रहते हुए अलग रहना बेटे के लिए काफी मुश्किल था लेकिन बेटे को समझाया जिसके बाद बेटा मान गया.

ये भी पढ़ें-प्राकृतिक ऑक्सीजन का हब बनेगा गाज़ियाबाद, पर्यावरण को संवारेंगे 1.5 लाख पौधे


पूजा वर्मा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजी गई कविता "कोविड में मां की मजबूरी"

जाली के पीछे से मेरा लाल झांक रहा है,

मासूम आंखों से मजबूर मां को ताक रहा है,

कभी कहता है मैं, मम्मी, मम्मा नाराज हो क्या?

न जाने कितने जतन किये मां को पास बुलाने के

आंखों में आंसू लेकर कहता आज तो मेरे पास सोओगी न?

नींद नहीं आती मुझे, आपके साथ के बिना

चाहे तो मुझे बस सुला के चली जाना मां, मम्मी, मम्मा.

जाली के पीछे से मेरा लाल झांक रहा है

ये कैसी मजबूरी है, ये कैसी दूरी है?

पास होकर भी मां बेटे में दो गज की दूरी है,

ये कैसी महामारी, ये कैसी आपदा आई है जग में

मां की ममता, पिता का प्यार आज है लाचार

मां का दिल रह रह कर गले लगना चाहे लाल तुझे

एक पल जिसे ओझल न होने दिया अपनी आंखों से,

जाली से पीछे से मेरा लाल झांक रहा है

क्या क्या बहाने मे बनाता मां को पास बुलाने के

कभी कहता नहला दो, कभी कहता प्यारी मम्मी

कपड़े कुछ गीले हो गए हैं, बदल दो न

अच्छा ये तो बताओ, कल तो मेरे पास सोओगी न?

नहीं बेटा, अबी तो चौदह दिन की और बात है

फिर कहता, चौगह मतलब कितने?

वन, टू, थ्री और आज कौन सा दिन है?

ये सब सुनकर जार जार रोता मां का मजबूर दिल है

क्यों जाली के पीछे से मेरा लाल झांक रहा है

क्यों ये बीमारी है आई, क्यों ये दूरी बनाई

दूर रहकर भी अपने लाल को सीने से लगाया मां ने

ढेरो आशीष देकर बलाओं से बचाया मां ने...

ढेरो आशीष देकर बलाओं से बताया मां ने...


ये भी पढ़ें-कोरोना की तीसरी लहर को लेकर निष्काम सेवक जत्था ने की अग्रिम तैयारियां

Last Updated : Jun 25, 2021, 8:13 AM IST
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