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Ghaziabad पहुंची देश की पहली Rapid Rail, जानें क्या है इसकी विशेषताएं

देश की पहली रैपिड रेल का पहला ट्रेन सेट गाजियाबाद के दुहाई डिपो पहुंच चुका है. दो जून को गुजरात के सावली से पहला ट्रेन सेट गाजियाबाद के दोहाई डिपो के लिए रवाना हुआ था.

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आरआरटीएस ट्रेनसेट की मुख्य विशेषताएं
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Published : Jun 13, 2022, 6:55 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद : देश की पहली रैपिड रेल का पहला ट्रेन सेट गाजियाबाद के दुहाई डिपो पहुंच चुका है. ट्रेनसेट को गुजरात के सावली में स्थित मेन्यूफैक्चरिंग प्लांट से ट्रेलर पर लाद कर सड़क मार्ग द्वारा लाया गया है. गुजरात के सावली से दुहाई डिपो पहुंचे ट्रेन ने तीन राज्यों, राजस्थान, हरियाणा और अंत में उत्तर प्रदेश का सफर तय किया है. ट्रेनसेट के सभी छह डिब्बे अलग-अलग ट्रेलर पर लाद कर लाए गए. दो जून को गुजरात के सावली से पहला ट्रेन सेट गाजियाबाद के दोहाई डिपो के लिए रवाना हुआ था.

दुहाई डिपो पहुंचने के बाद अब ट्रैन सेट के डिब्बों को क्रेन की सहायता से उतारा गया और अब आने वाले दिनों में डिपो में ही इस पूरी ट्रेन को असेम्बल किया जाएगा. दुहाई डिपो में इनके लिए ट्रैक बनकर तैयार हो चुके हैं और ट्रेन की टेस्टिंग के लिए भी पूरी तैयारी है. आरआरटीएस ट्रेनों के संचालन के लिए दुहाई डिपो में ही प्रशासनिक भवन बनाया गया है.

आरआरटीएस ट्रेनसेट की मुख्य विशेषताएं
एलस्टोम कंपनी करेगी रखरखावएनसीआरटीसी ने आरआरटीएस की ट्रेनसेट को बनाने के लिए मेसर्स एलस्टोम के साथ अनुबंध किया है, जिसके अनुसार मेसर्स एलस्टोम, मेरठ मेट्रो के लिए 10 तीन कोच वाली मेट्रो ट्रेन सहित 40 ट्रेनों की डिलीवरी करेगा. इनमे 30 छ: कोच वाली आरआरटीएस ट्रेने होंगी. ट्रेनों के निर्माण के साथ ही आगामी 15 सालों तक इन ट्रेनों के रखरखाव का जिम्मा भी मेसर्स एलस्टोम का ही होगा.
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गाजियाबाद के दुहाई डिपो पहुंचा कोच
मार्च 2023 में कर सकेंगे सफरदिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) कॉरिडोर के प्रायोरिटी सेक्शन पर मार्च 2023 तक देश की पहली आरआरटीएस ट्रेन चलाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए एनसीआरटीएस तेजी से कार्य कर रहा है. आरआरटीएस ट्रेनों को जनता के लिए ऑपरेशनल करने से पहले इसकी कई प्रकार की टेस्टिंग की जाती है. साथ ही सिग्नलिंग, रोलिंग स्टॉक और सतत विद्युत सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए इसे कई प्रक्रियाओं द्वारा जाँचा-परखा जाता है. सभी प्रक्रियाओं की सफल टेस्टिंग के बाद प्री-ऑपरेशनल ट्रायल होता है जिसमें सफल होने के बाद ही ट्रेन को यात्रियों के लिए ऑपरेशनल किया जाता है.
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रैपिड रेल का पहला ट्रेन सेट
82 किलोमीटर लंबा है कॉरिडोर82 किमी लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के 68 किमी का एक बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश में आता है, जबकि 14 किमी का हिस्सा दिल्ली में है. 17 किमी लंबे प्रायोरिटी सेक्शन में साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई आरआरटीएस स्टेशन और दुहाई डिपो हैं. देश की पहली आरआरटीएस ट्रेनसेट की मुख्य विशेषताएं:- • एयरोडायनेमिक प्रोफ़ाइल, उच्च गति पर हवा के खिंचाव को कम करने के लिए. • एर्गोनॉमिक रूप से डिज़ाइन की गई 2X2 ट्रांसवर्स सीटिंग, ओवरहेड लगेज रैक वाली कुशन वाली सीटें. • हर ट्रेन में एक 'प्रीमियम क्लास कार' जो आरामदेह, सुविधाजनक और यूजर फ्रेंडली होगी जिसमें अधिक लेगरूम, कोट हैंगर के साथ चौड़ी सीटें होंगी.• महिलाओं के लिए आरक्षित एक कोच.• सीसीटीवी निगरानी, आधुनिक पैसेंजर अनाउंसमेंट और डिजिटल पैसेंजर इनफार्मेशन सिस्टम (PAPIS). • वाई-फाई और ऑनबोर्ड इन्फोटेनमेंट.
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देश की पहली रैपिड रेल सेवा
• हर सीट पर मोबाइल चार्जिंग के लिए यूएसबी पोर्ट. • दिव्यांगों के लिए व्हीलचेयर की जगह और आपातकालीन चिकित्सा परिवहन के लिए स्ट्रेचर की जगह. दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर से प्रति वर्ष लगभग 2,50,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आने का अनुमान है. कॉरिडोर के प्रयोरिटी सेक्शन पर अगले साल मार्च 2023 में आरआरटीएस ट्रेनें चलाने का लक्ष्य अब अंतिम चरण में पहुंच चुका है. हालांकि इस पूरे कॉरिडोर पर ट्रेनों का संचालन वर्ष 2025 तक किया जाना है.

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नई दिल्ली/गाजियाबाद : देश की पहली रैपिड रेल का पहला ट्रेन सेट गाजियाबाद के दुहाई डिपो पहुंच चुका है. ट्रेनसेट को गुजरात के सावली में स्थित मेन्यूफैक्चरिंग प्लांट से ट्रेलर पर लाद कर सड़क मार्ग द्वारा लाया गया है. गुजरात के सावली से दुहाई डिपो पहुंचे ट्रेन ने तीन राज्यों, राजस्थान, हरियाणा और अंत में उत्तर प्रदेश का सफर तय किया है. ट्रेनसेट के सभी छह डिब्बे अलग-अलग ट्रेलर पर लाद कर लाए गए. दो जून को गुजरात के सावली से पहला ट्रेन सेट गाजियाबाद के दोहाई डिपो के लिए रवाना हुआ था.

दुहाई डिपो पहुंचने के बाद अब ट्रैन सेट के डिब्बों को क्रेन की सहायता से उतारा गया और अब आने वाले दिनों में डिपो में ही इस पूरी ट्रेन को असेम्बल किया जाएगा. दुहाई डिपो में इनके लिए ट्रैक बनकर तैयार हो चुके हैं और ट्रेन की टेस्टिंग के लिए भी पूरी तैयारी है. आरआरटीएस ट्रेनों के संचालन के लिए दुहाई डिपो में ही प्रशासनिक भवन बनाया गया है.

आरआरटीएस ट्रेनसेट की मुख्य विशेषताएं
एलस्टोम कंपनी करेगी रखरखावएनसीआरटीसी ने आरआरटीएस की ट्रेनसेट को बनाने के लिए मेसर्स एलस्टोम के साथ अनुबंध किया है, जिसके अनुसार मेसर्स एलस्टोम, मेरठ मेट्रो के लिए 10 तीन कोच वाली मेट्रो ट्रेन सहित 40 ट्रेनों की डिलीवरी करेगा. इनमे 30 छ: कोच वाली आरआरटीएस ट्रेने होंगी. ट्रेनों के निर्माण के साथ ही आगामी 15 सालों तक इन ट्रेनों के रखरखाव का जिम्मा भी मेसर्स एलस्टोम का ही होगा.
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गाजियाबाद के दुहाई डिपो पहुंचा कोच
मार्च 2023 में कर सकेंगे सफरदिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) कॉरिडोर के प्रायोरिटी सेक्शन पर मार्च 2023 तक देश की पहली आरआरटीएस ट्रेन चलाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए एनसीआरटीएस तेजी से कार्य कर रहा है. आरआरटीएस ट्रेनों को जनता के लिए ऑपरेशनल करने से पहले इसकी कई प्रकार की टेस्टिंग की जाती है. साथ ही सिग्नलिंग, रोलिंग स्टॉक और सतत विद्युत सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए इसे कई प्रक्रियाओं द्वारा जाँचा-परखा जाता है. सभी प्रक्रियाओं की सफल टेस्टिंग के बाद प्री-ऑपरेशनल ट्रायल होता है जिसमें सफल होने के बाद ही ट्रेन को यात्रियों के लिए ऑपरेशनल किया जाता है.
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रैपिड रेल का पहला ट्रेन सेट
82 किलोमीटर लंबा है कॉरिडोर82 किमी लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के 68 किमी का एक बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश में आता है, जबकि 14 किमी का हिस्सा दिल्ली में है. 17 किमी लंबे प्रायोरिटी सेक्शन में साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई आरआरटीएस स्टेशन और दुहाई डिपो हैं. देश की पहली आरआरटीएस ट्रेनसेट की मुख्य विशेषताएं:- • एयरोडायनेमिक प्रोफ़ाइल, उच्च गति पर हवा के खिंचाव को कम करने के लिए. • एर्गोनॉमिक रूप से डिज़ाइन की गई 2X2 ट्रांसवर्स सीटिंग, ओवरहेड लगेज रैक वाली कुशन वाली सीटें. • हर ट्रेन में एक 'प्रीमियम क्लास कार' जो आरामदेह, सुविधाजनक और यूजर फ्रेंडली होगी जिसमें अधिक लेगरूम, कोट हैंगर के साथ चौड़ी सीटें होंगी.• महिलाओं के लिए आरक्षित एक कोच.• सीसीटीवी निगरानी, आधुनिक पैसेंजर अनाउंसमेंट और डिजिटल पैसेंजर इनफार्मेशन सिस्टम (PAPIS). • वाई-फाई और ऑनबोर्ड इन्फोटेनमेंट.
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देश की पहली रैपिड रेल सेवा
• हर सीट पर मोबाइल चार्जिंग के लिए यूएसबी पोर्ट. • दिव्यांगों के लिए व्हीलचेयर की जगह और आपातकालीन चिकित्सा परिवहन के लिए स्ट्रेचर की जगह. दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर से प्रति वर्ष लगभग 2,50,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आने का अनुमान है. कॉरिडोर के प्रयोरिटी सेक्शन पर अगले साल मार्च 2023 में आरआरटीएस ट्रेनें चलाने का लक्ष्य अब अंतिम चरण में पहुंच चुका है. हालांकि इस पूरे कॉरिडोर पर ट्रेनों का संचालन वर्ष 2025 तक किया जाना है.

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