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महिला मेडिकल अधिकारी जिन्होंने 'कारगिल युद्ध' में किया था करीब 200 सैनिकों का इलाज

कारगिल विजय दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने भारतीय थल सेना की मेडिकल अफसर रहीं डॉ. मेजर प्राची गर्ग से बातचीत की. डॉ. प्राची वह महिला मेडिकल अधिकारी हैं, जिन्होंने युद्ध के दौरान तकरीबन 200 सैनिकों का इलाज किया था.

female medical officer who treated indian soldiers in kargil war
कारगिल विजय दिवस
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Published : Jul 26, 2021, 8:28 AM IST

नई दिल्ली/गाजियाबादः कारगिल युद्ध को ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है. ये भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 में कश्मीर के कारगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष का नाम है. पाकिस्तान की सेना ने नियंत्रण रेखा पार करके भारत की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की थी. हालांकि भारतीय सेना ने पाकिस्तान के नापाक इरादों को ध्वस्त करते हुए उसे पीछे खदेड़ दिया था.

गाजियाबाद के अशोक नगर की रहने वाली डॉ. मेजर प्राची गर्ग ने कारगिल युद्ध के दौरान अहम भूमिका निभाई थी. कारगिल विजय दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने भारतीय थल सेना में मेडिकल अफसर रही डॉ. मेजर प्राची गर्ग से खास बातचीत की. डॉ. प्राची गर्ग ने बताया कि जब उन्होंने सेना ज्वाइन की थी, तब उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उन्हें किसी युद्ध का हिस्सा बनने का मौका मिलेगा.

कारगिल विजय दिवस पर विशेष...

डॉ. मेजर प्राची गर्ग ने आज भी कारगिल युद्ध के दौरान ली गई तस्वीरों को संजोग के रखा हुआ है. डॉ. प्राची अक्सर इन तस्वीरों को देखती हैं, तो उनकी आंखे नम हो जाती है. कारगिल युद्ध के दौरान डॉ. प्राची गर्ग द्रास सेक्टर में आठवीं माउंटेन आर्टिलरी डिवीजन में तैनात थी. कारगिल युद्ध क्षेत्र में प्राची में करीब तीन महीने बतौर मेडिकल अफसर देश के जांबाज सैनिकों का इलाज किया.

ब्रिगेड में मेजर प्राची एकमात्र महिला मेडिकल अफसर थी. जिन्होंने तकरीबन 200 से अधिक घायल सैनिकों का इलाज किया था. डॉ. प्राची बताती हैं कि युद्ध के दौरान कई सैनिक गंभीर रूप से घायल हुए थे, जो कि उनकी आंखों के सामने शहीद हो गए थे. आज भी उन्हें इस बात का दुख होता है कि वह देश के कई जांबाज सैनिकों को नहीं बचा पाई. प्राची गर्ग कहती हैं कि अगर आज भी उन्हें सेना फिर से ज्वाइन करने का मौका मिलेगा, तो वह जरूर करेंगी.

female medical officer who treated indian soldiers in kargil war
डॉ. मेजर प्राची से जुड़ी कुछ तस्वीरें

कहा जाता है कि सेना से जुड़े लोगों में देश सेवा का जज्बा होता है. कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान डॉ. प्राची गर्ग की देखरेख में कई हजार कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज हो चुका है. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान डॉ. प्राची संक्रमित हो गई थी. इस दौरान को घर पर आइसोलेट रहीं, लेकिन संक्रमित रहने के बावजूद भी डॉ. प्राची ने टेलीमेडिसिन के माध्यम से संक्रमित मरीजों का इलाज किया.

वर्ष 2016 में डॉ. प्राची को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा अमृतसर में आईएमए के डॉक्टर एपी शुक्ला मेमोरियल सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है. इसके अलावा उन्हें नारी गौरव सामान समेत कई अवार्ड से नवाजा जा चुका है. 2018 में दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन द्वारा उन्हें "नो प्लास्टिक कैंपेन" का ग्रीन एंबेसडर बनाया जा चुका है. मौजूदा समय में डॉ. प्राची इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पब्लिक ग्रीवेंस रिड्रेसल फोरम के उत्तर प्रदेश कॉन्वेनेर के पद पर तैनात हैं.

नई दिल्ली/गाजियाबादः कारगिल युद्ध को ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है. ये भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 में कश्मीर के कारगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष का नाम है. पाकिस्तान की सेना ने नियंत्रण रेखा पार करके भारत की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की थी. हालांकि भारतीय सेना ने पाकिस्तान के नापाक इरादों को ध्वस्त करते हुए उसे पीछे खदेड़ दिया था.

गाजियाबाद के अशोक नगर की रहने वाली डॉ. मेजर प्राची गर्ग ने कारगिल युद्ध के दौरान अहम भूमिका निभाई थी. कारगिल विजय दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने भारतीय थल सेना में मेडिकल अफसर रही डॉ. मेजर प्राची गर्ग से खास बातचीत की. डॉ. प्राची गर्ग ने बताया कि जब उन्होंने सेना ज्वाइन की थी, तब उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उन्हें किसी युद्ध का हिस्सा बनने का मौका मिलेगा.

कारगिल विजय दिवस पर विशेष...

डॉ. मेजर प्राची गर्ग ने आज भी कारगिल युद्ध के दौरान ली गई तस्वीरों को संजोग के रखा हुआ है. डॉ. प्राची अक्सर इन तस्वीरों को देखती हैं, तो उनकी आंखे नम हो जाती है. कारगिल युद्ध के दौरान डॉ. प्राची गर्ग द्रास सेक्टर में आठवीं माउंटेन आर्टिलरी डिवीजन में तैनात थी. कारगिल युद्ध क्षेत्र में प्राची में करीब तीन महीने बतौर मेडिकल अफसर देश के जांबाज सैनिकों का इलाज किया.

ब्रिगेड में मेजर प्राची एकमात्र महिला मेडिकल अफसर थी. जिन्होंने तकरीबन 200 से अधिक घायल सैनिकों का इलाज किया था. डॉ. प्राची बताती हैं कि युद्ध के दौरान कई सैनिक गंभीर रूप से घायल हुए थे, जो कि उनकी आंखों के सामने शहीद हो गए थे. आज भी उन्हें इस बात का दुख होता है कि वह देश के कई जांबाज सैनिकों को नहीं बचा पाई. प्राची गर्ग कहती हैं कि अगर आज भी उन्हें सेना फिर से ज्वाइन करने का मौका मिलेगा, तो वह जरूर करेंगी.

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डॉ. मेजर प्राची से जुड़ी कुछ तस्वीरें

कहा जाता है कि सेना से जुड़े लोगों में देश सेवा का जज्बा होता है. कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान डॉ. प्राची गर्ग की देखरेख में कई हजार कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज हो चुका है. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान डॉ. प्राची संक्रमित हो गई थी. इस दौरान को घर पर आइसोलेट रहीं, लेकिन संक्रमित रहने के बावजूद भी डॉ. प्राची ने टेलीमेडिसिन के माध्यम से संक्रमित मरीजों का इलाज किया.

वर्ष 2016 में डॉ. प्राची को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा अमृतसर में आईएमए के डॉक्टर एपी शुक्ला मेमोरियल सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है. इसके अलावा उन्हें नारी गौरव सामान समेत कई अवार्ड से नवाजा जा चुका है. 2018 में दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन द्वारा उन्हें "नो प्लास्टिक कैंपेन" का ग्रीन एंबेसडर बनाया जा चुका है. मौजूदा समय में डॉ. प्राची इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पब्लिक ग्रीवेंस रिड्रेसल फोरम के उत्तर प्रदेश कॉन्वेनेर के पद पर तैनात हैं.

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