ETV Bharat / city

Farms Laws:  सुनिए 10 महीने में कितनी बदली किसानों की राय...

कृषि कानूनों (Farms laws) को बने लगभग 10 महीने हो चुके हैं. वहीं दूसरी ओर कृषि कानूनों की वापसी और MSP पर गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली के विभिन्न बॉर्डर्स पर बीते 6 महीनों से किसानों का आंदोलन जारी (Farmer Protest) है.

author img

By

Published : Jun 8, 2021, 10:54 PM IST

farmers-opinion-on-agricultural-law-after-about-one-year-ghaziabad
कृषि कानूनों पर कितनी बदली है किसानों की राय?

नई दिल्ली/गाजियाबाद : तीन कृषि कानून (farms laws) के खिलाफ सरकार के साथ कई दौर की वार्ता के बाद भी बात नहीं बनी. नतीजतन अब भी किसान दिल्ली के विभिन्न बॉर्डर्स (Ghazipur Border) पर लगातार आंदोलन (Farmer Protest) कर रहे हैं. कृषि अध्यादेश को लोकसभा में पारित हुए एक साल का वक्त हो गया है और ये अब कानून भी बन चुका है, लेकिन किसान इसे मानने को तैयार नहीं हैं और आंदोलन जारी है. ETV भारत पर किसानों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.

किसान अनिल कुमार कश्यप का कहना है कि नए कृषि कानूनों में कुछ सही भी हैं और कुछ कमियां भी है, जैसे कि वे खुद माल खरीद कर लाते हैं. तो सभी लागत उनकी लगती है, लेकिन जब वे इस माल को बेचते हैं तो बीच में बिचौलिये उनकी लागत खा जाते हैं. ऐसे में इन कृषि कानूनों से बिचौलियों को खत्म करने की कोशिश की जा रही है, वो सही है.

कृषि कानूनों पर कितनी बदली है किसानों की राय?
किसानों को लाभ पहुंचाने का प्रयास करे सरकार
किसान सचिन त्यागी का कहना है कि सरकार को किसानों की बात मान लेनी चाहिए क्योंकि उनको इन कृषि कानूनों से कोई फायदा नहीं होने वाला है. किसानों का कहना है कि ये सरकार किसानों की नहीं व्यापारियों की.
नए कृषि कानून से थोड़ा फायदा, थोड़ा नुकसान
तो वहीं दूसरी ओर किसान राहुल कृषि कानूनों (Farms laws) से सहमत दिखाई दिए. उनका कहना है कि उनको इन कानूनों से कोई नुकसान नहीं हो रहा है बल्कि फायदा है. बॉर्डर पर बैठे हुए लोग किसान नहीं है. वो तो सिर्फ व्यापारी हैं.
मिली-जुली प्रतिक्रियाएं
किसानों की राय जानी तो किसानों की मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली. कुछ किसानों का कहना है कि कृषि कानूनों (Agricultural laws) से फायदा होगा जबकि कुछ किसानों ने इनको नुकसानदायक बताया है.

नई दिल्ली/गाजियाबाद : तीन कृषि कानून (farms laws) के खिलाफ सरकार के साथ कई दौर की वार्ता के बाद भी बात नहीं बनी. नतीजतन अब भी किसान दिल्ली के विभिन्न बॉर्डर्स (Ghazipur Border) पर लगातार आंदोलन (Farmer Protest) कर रहे हैं. कृषि अध्यादेश को लोकसभा में पारित हुए एक साल का वक्त हो गया है और ये अब कानून भी बन चुका है, लेकिन किसान इसे मानने को तैयार नहीं हैं और आंदोलन जारी है. ETV भारत पर किसानों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.

किसान अनिल कुमार कश्यप का कहना है कि नए कृषि कानूनों में कुछ सही भी हैं और कुछ कमियां भी है, जैसे कि वे खुद माल खरीद कर लाते हैं. तो सभी लागत उनकी लगती है, लेकिन जब वे इस माल को बेचते हैं तो बीच में बिचौलिये उनकी लागत खा जाते हैं. ऐसे में इन कृषि कानूनों से बिचौलियों को खत्म करने की कोशिश की जा रही है, वो सही है.

कृषि कानूनों पर कितनी बदली है किसानों की राय?
किसानों को लाभ पहुंचाने का प्रयास करे सरकार
किसान सचिन त्यागी का कहना है कि सरकार को किसानों की बात मान लेनी चाहिए क्योंकि उनको इन कृषि कानूनों से कोई फायदा नहीं होने वाला है. किसानों का कहना है कि ये सरकार किसानों की नहीं व्यापारियों की.
नए कृषि कानून से थोड़ा फायदा, थोड़ा नुकसान
तो वहीं दूसरी ओर किसान राहुल कृषि कानूनों (Farms laws) से सहमत दिखाई दिए. उनका कहना है कि उनको इन कानूनों से कोई नुकसान नहीं हो रहा है बल्कि फायदा है. बॉर्डर पर बैठे हुए लोग किसान नहीं है. वो तो सिर्फ व्यापारी हैं.
मिली-जुली प्रतिक्रियाएं
किसानों की राय जानी तो किसानों की मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली. कुछ किसानों का कहना है कि कृषि कानूनों (Agricultural laws) से फायदा होगा जबकि कुछ किसानों ने इनको नुकसानदायक बताया है.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.