नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के बीच अभी से होली के रंग दिखने लगे हैं. बुलंदशहर से गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे किसानों ने यहां पर 700 वर्ष प्राचीन अंदाज में होली मनाई. इस होली की कुछ खास बातें हैं.
बुलंदशहर के भटोला गांव से आए किसानों ने बताया कि इस होली में मंत्रोच्चारण के साथ घंटे और ढोल की ध्वनि से सेलिब्रेशन किया जाता है. जिससे हर तरह का वायरस भाग जाता है. किसानों ने इस होली को मनाते समय कोरोना वायरस को दूर भगाने की कामना की.
साथ ही उनका कहना है कि इस बार होली पर वो राजनीति के शुद्धिकरण की भी कामना कर रहे हैं, जिससे उनकी मांग सुनी जा सके.
1 महीने पहले से मनाई जाने लगती होली
किसानों ने बताया कि उनके गांव में 1 महीने पहले से ही होली मनाई जाने लगती है. इससे पहले भी गांव में होली का सेलिब्रेशन चल रहा है और इस साल किसानों के लिए दिल्ली यूपी का बॉर्डर काफी अहम है. इसलिए यहां पर भी होली मनाने के लिए पहुंचे हैं.
किसानों ने इस दौरान एक दूसरे पर फूल भी बरसाए और नाच गाने के साथ होली को सेलिब्रेट किया. पूरा माहौल थोड़ी देर के लिए घंटी और ढोल की ध्वनि में सराबोर हो गया.
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गाजीपुर बॉर्डर पर होगा होलिका दहन
किसानों ने पहले ही साफ कर दिया है कि इस बार का होली का दहन गाजीपुर बॉर्डर पर होगा. इसके लिए अलग-अलग गांव से लकड़ियां भी यहां पहुंच चुकी हैं. बुलंदशहर से आया किसानों का यह दल भी अपने गांव की लकड़ियां लेकर आया. होली का दहन पर एक बार फिर से कई गांव के किसान गाजीपुर बॉर्डर पर एकत्रित होंगे, लेकिन उसकी एक झलक पहले ही देखने को मिल गई.