नई दिल्ली/गाजियाबाद: भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि रोटी बाजार की नहीं, आवश्यकता की वस्तु है. सरकार तीन नए कृषि कानूनों के जरिए रोटी का बाजारीकरण करना चाहती है. फसल आने के बाद अनाज कारपोरेट की तिजौरी में चला जाएगा और फिर भूख के लिए जितनी चीख पुकार मचेगी, कॉरपोरेट उसका उतना रेट लगाएगा. आवश्यक वस्तु अधिनियम एक्ट खत्म करके सरकार ने उसे कितना ही अनाज जमा करने की पटकथा लिख दी है, लेकिन हम रोटी का बाजारीकरण नहीं होने देंगे. किसान इन तीनों कानूनों को रद्द कराकर अपने घर जाएगा.
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'बंगाल में हुआ प्रोटोकॉल का उल्लंघन'
राकेश टिकैत ने कहा कि आंदोलन स्थल पर रहने वाले सभी किसान मास्क लगा रहे हैं और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन कर रहे हैं. कोविड प्रोटोकॉल का कहीं उल्लंघन हुआ है, तो वह पश्चिमी बंगाल में हुआ है. सरकार के मंत्रियों और खुद प्रधानमंत्री ने बंगाल में रैलियों का आयोजन किया और खुद भी मास्क नहीं लगाया. पब्लिक में जो संदेश गया उसका नतीजा सामने है. पूरा देश बुरी तरह महामारी की चपेट में आ गया. सरकार के इंतजामों की भी पोल खुल गई. यदि जिम्मेदार लोग मास्क लगाना न छोड़ते, तो शायद ऐसी स्थिति न होती.
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'प्रवासी मजदूरों से है भाई का रिश्ता''
टिकैत ने कहा हम प्रवासी मजदूरों से भाई का रिश्ता मानते हैं. वे लोग गांव के छोटे किसान ही तो हैं. जोत कम होने के कारण वह गांव में अपने परिवार नहीं पाल सके, तो दिल्ली आ गए. इसके अलावा हमारा उनसे मानवता का रिश्ता भी है. तीसरी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लौटने वाले सभी श्रमिक वे हैं, जिनके पास काम नहीं है और मजबूरी में गांव लौट रहे हैं. ऐसे में कुछ दिन हम उनके खाने की पूर्ति कर सके, इससे बेहतर क्या होगा.