नई दिल्ली/गाजियाबाद : ठंड बढ़ने के साथ-साथ सर्दी जुकाम और बुखार के मरीज एवरेज संख्या में अस्पतालों में पहुंच रहे हैं, लेकिन सबसे बड़ी मुश्किल इस बात की है कि ज्यादातर लोग मामूली बुखार को लेकर काफी खौफ में अस्पताल पहुंचते हैं. लोगों को लगता है कि कहीं उन्हें कोरोना के नए वेरिएंट ने तो नहीं पकड़ लिया. इस बारे में हमने सरकारी अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक से बात की, जिन्होंने ओमीक्रोन को पहचानने का सही तरीका बताया. उन्होंने बताया कि राहत की बात यह है कि प्रदूषण का लेवल कम हुआ है, जिसके चलते अस्पतालों में बच्चों की संख्या कम हुई है.
गाजियाबाद जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक अनुराग भार्गव ने बताया कि ओमीक्रोन की मुख्य पहचान यह है कि इसमें मरीज काफी कमजोर हो जाता है. उसे कोई काम करने की हिम्मत नहीं होती. दूसरा लक्षण यह है कि उसमें स्ट्रैची थ्रोट हो जाता है. जब तक यह सिम्टम्स ना हो तब तक ओमीक्रोन नहीं कहा जा सकता है. हालांकि जिला अस्पताल में आने वाले हर मरीज का कोरोना टेस्ट जरूर करवाया जाता है.
उन्होंने कहा कि टेस्ट में अगर सीटी वैल्यू 10 से 12 जाती है तभी रिपोर्ट ओमीक्रोन की तरफ इशारा करती है. हालांकि उन्होंने यह कहा कि यह हेल्दी सीजन है, जिसके चलते बच्चों की संख्या कम हुई है. एडमिट होने वाले मरीजों की संख्या भी पहले की तुलना में कम हुई है.
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देश में Omicron से निपटने की तैयारी के चलते स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से अलर्ट पर हैं. किसी भी मरीज को बिना टेस्ट के वापस नहीं जाने दिया जाता है. वहीं इलाज के लिए पहले से बेहतर इंतजाम सरकारी अस्पतालों में किए गए हैं. व्यवस्था बेहतर होने के चलते अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीज बेहतर फील कर सकते हैं, लेकिन डॉक्टर यही कह रहे हैं कि हर बुखार या सर्दी आदि को Omicron समझकर डरने की जरूरत नहीं है. किसी भी बीमारी में ठीक होने के लिए सकारात्मक रहना बेहद जरूरी है. इसलिए हर तरह से लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है.