नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण ने तमाम प्रकार के निर्माण कार्य पर बैन लगा दिया है.
निर्माण कार्य बंद होने से जहां एक तरफ दिहाड़ी मजदूरों के लिए दो वक्त की रोटी चुनौती से कम नहीं है, तो वहीं दूसरी तरफ बिल्डर्स को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
'30 दिन काम बंद होने पर प्रोजेक्ट होता है 70 दिन लेट'
पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण द्वारा लगाए गए तमाम प्रकार के निर्माण कार्यों पर बैन का असर बिल्डरों पर किस तरह पड़ रहा है. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने CREDAI गाजियाबाद अध्यक्ष गौरव गुप्ता से खास बातचीत की.
गौरव गुप्ता ने बताया कि तमाम प्रकार के निर्माण कार्य पर लगाए गए बैन का सबसे ज्यादा प्रभाव उन प्रोजेक्ट के पड़ता है जो कि पूरे होने की कगार पर हैं. उन्होंने बताया कि 30 दिन अगर निर्माण कार्य बंद रहता है तो इससे प्रोजेक्ट करीब 70 दिन लेट होता है, क्योंकि मजदूरों और तमाम रिसोर्सेज को जोड़ने में समय लगता है.
'प्रोजेक्ट लेट होने से ग्राहकों को उठाना पड़ता है खामियाजा'
निर्माण कार्य प्रतिबंध को देखते हुए मजदूर भी अपने घर वापस लौट जाते हैं. निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगने से प्रोजेक्ट की कुल खर्च में भी इजाफा होता है. वहीं निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगने से प्रोजेक्ट लेट होते हैं जिसका खामियाजा ग्राहकों को उठाना पड़ता है.