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79 साल के इसरानी का अनोखा शौक, 11 साल की उम्र से कर रहे डाक टिकट इकट्ठा - जवाहर इसरानी का अनोखा शौक

अक्सर लोग अपने शौक को पूरा करने के लिए जी जान लगा देते हैं. गाजियाबाद के शालीमार सिटी के रहने वाले डॉ. जवाहर इसरानी को 11 साल की उम्र से ही डाक टिकट इकट्ठे करने का शौक है.

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डाक टिकटों का शौक
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Published : May 22, 2022, 10:52 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: हर व्यक्ति का कोई न कोई शौक (Hobby) जरूर होता है. अक्सर लोग अपने शौक को पूरा करने के लिए जी जान लगा देते हैं. गाजियाबाद के शालीमार सिटी के रहने वाले डॉ. जवाहर इसरानी को 11 साल की उम्र से ही डाक टिकट इकट्ठे करने का शौक है. दरअसल जब डॉ इसरानी स्कूल में थे तब उनकी क्लास टीचर ने कहा था कि हर एक बच्चे का कोई न कोई शौक होना बेहद जरूरी है. उन्होंने अपनी क्लास टीचर की बात को गंभीरता से लिया और अपनी हॉबी को ढूंढने में लग गए. कुछ ही सालों में उन्हें एहसास हो गया कि उन्हें पोस्टल स्टैंप इकट्ठे करने का शौक है.

डॉ जवाहर इसरानी की उम्र 79 साल हैं. डॉ इसरानी बताते हैं कि 11 साल की उम्र से उन्होंने अपने शौक को पूरा करने के लिए डाक टिकट इकट्ठा करने शुरू किए. मौजूदा समय में उनके पास कुल मिलाकर 240 से अधिक देशों, किंगडम और आइलैंड के तकरीबन 53 हजार से अधिक डाक टिकट मौजूद हैं. इसरानी बताते हैं कि उनके शौक ने उनको न सिर्फ देश बल्कि दुनिया भर में एक अलग पहचान दिलाई है. दुनिया भर से उन्हें कई अवार्ड मिल चुके हैं.

इसरानी बताते हैं कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था अपने शौक के दम पर उन्हें अलग पहचान मिलेगी. इसरानी प्रतिष्ठित इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड समेत कई रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके हैं. लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में इसरानी दो बार अपना नाम दर्ज करा चुके हैं. उन्हें उन्हें जनवरी 2020 में मालदीव की ग्लोबल कनकॉर्ड वर्चुअल यूनिवर्सिटी द्वारा पीएचडी की डिग्री से नवाजा गया है. अपने शौक को पूरा करने के लिए किस रानी ने अब तक तकरीबन 40 लाख रुपए खर्च किए हैं.

इतना ही नहीं 500 से अधिक स्कूल, कॉलेज, ऑफिस आदि में इसरानी द्वारा अपने डाक टिकटों के कलेक्शन को डिस्प्ले किया जा चुका है. वर्ष 2000 में इसरानी एक निजी कंपनी से बतौर मैकेनिकल इंजीनियर के पद से रिटायर हुए थे. रिटायरमेंट के बाद भी उन्होंने अपने शौक को जारी रखा. इसरानी बताते हैं कि रिटायरमेंट के बाद अब अपना अधिकतर समय अपने शौक को पूरा करने में लगा रहे हैं.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: हर व्यक्ति का कोई न कोई शौक (Hobby) जरूर होता है. अक्सर लोग अपने शौक को पूरा करने के लिए जी जान लगा देते हैं. गाजियाबाद के शालीमार सिटी के रहने वाले डॉ. जवाहर इसरानी को 11 साल की उम्र से ही डाक टिकट इकट्ठे करने का शौक है. दरअसल जब डॉ इसरानी स्कूल में थे तब उनकी क्लास टीचर ने कहा था कि हर एक बच्चे का कोई न कोई शौक होना बेहद जरूरी है. उन्होंने अपनी क्लास टीचर की बात को गंभीरता से लिया और अपनी हॉबी को ढूंढने में लग गए. कुछ ही सालों में उन्हें एहसास हो गया कि उन्हें पोस्टल स्टैंप इकट्ठे करने का शौक है.

डॉ जवाहर इसरानी की उम्र 79 साल हैं. डॉ इसरानी बताते हैं कि 11 साल की उम्र से उन्होंने अपने शौक को पूरा करने के लिए डाक टिकट इकट्ठा करने शुरू किए. मौजूदा समय में उनके पास कुल मिलाकर 240 से अधिक देशों, किंगडम और आइलैंड के तकरीबन 53 हजार से अधिक डाक टिकट मौजूद हैं. इसरानी बताते हैं कि उनके शौक ने उनको न सिर्फ देश बल्कि दुनिया भर में एक अलग पहचान दिलाई है. दुनिया भर से उन्हें कई अवार्ड मिल चुके हैं.

इसरानी बताते हैं कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था अपने शौक के दम पर उन्हें अलग पहचान मिलेगी. इसरानी प्रतिष्ठित इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड समेत कई रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके हैं. लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में इसरानी दो बार अपना नाम दर्ज करा चुके हैं. उन्हें उन्हें जनवरी 2020 में मालदीव की ग्लोबल कनकॉर्ड वर्चुअल यूनिवर्सिटी द्वारा पीएचडी की डिग्री से नवाजा गया है. अपने शौक को पूरा करने के लिए किस रानी ने अब तक तकरीबन 40 लाख रुपए खर्च किए हैं.

इतना ही नहीं 500 से अधिक स्कूल, कॉलेज, ऑफिस आदि में इसरानी द्वारा अपने डाक टिकटों के कलेक्शन को डिस्प्ले किया जा चुका है. वर्ष 2000 में इसरानी एक निजी कंपनी से बतौर मैकेनिकल इंजीनियर के पद से रिटायर हुए थे. रिटायरमेंट के बाद भी उन्होंने अपने शौक को जारी रखा. इसरानी बताते हैं कि रिटायरमेंट के बाद अब अपना अधिकतर समय अपने शौक को पूरा करने में लगा रहे हैं.

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