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गाजियाबाद: करोड़ों की सरकारी जमीन पर फर्जीवाड़े का जिला प्रशासन ने किया भंडाफोड़

जनपद गाजियाबाद में सरकारी खाली पड़ी जमीन पर अपना हक बताने वाले मामले में जिला प्रशासन की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया है. जो जमीन को संरक्षित करते हुए अभिलेखों में दुरुस्तीकरण की कार्रवाई कर अपनी रिपोर्ट 10 दिनों के अंदर प्रस्तुत करेगी.

District administration busted fraudulently on crores of government land in Ghaziabad
जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे
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Published : Aug 21, 2020, 2:59 AM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: जनपद गाजियाबाद के जिलाधिकारी को सरकारी भूमि को हथियाने के संबंधित में एक शिकायत प्राप्त हुई थी. जिनमें दो पक्षों में जमीन के कब्जे को लेकर आपसी विवाद था. जिसको जिलाधिकारी ने गंभीरता से लेते हुए प्रकरण की जांच तत्कालीन उपजिलाधिकारी सदर प्रशांत तिवारी से कराई. प्रशांत तिवारी तत्कालीन उपजिलाधिकारी सदर का जनपद से स्थानांतरण होने के बावजूद जाते-जाते उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी है.

एफआईआर दर्ज कराए जाने के निर्देश

उप जिलाधिकारी प्रशांत तिवारी की सौंपी गई जांच रिपोर्ट में पाया गया है कि ग्राम अकबरपुर बहरामपुर के खसरा संख्या 206/5 रकबा 3.0730 हेक्टेयर (राजस्व अभिलेखों में चरागाह की भूमि दर्ज है) में कुल 239 व्यक्तियों के जरिए क्रय-विक्रय किया गया है. चारागाह भूमि को समय-समय पर विभिन्न लोगों ने फर्जी तरीके से विक्रय कर दिया. इस संबंध में उप जिलाधिकारी सदर के तहसीलदार सदर को भेजे गए अपने आदेश में यह कहा गया है कि बेशकीमती शासकीय भूमि के खरीद-फरोख्त के संबंध में अब तक जो क्रेता, विक्रेता, बैनामा लेखक, गवाहों तथा अन्य संलिप्त लिप्त व्यक्तियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराए जाने के निर्देश दिए हैं.

बंजर की जमीन को निजी जमीन बनाने का प्रयास

इसी प्रकार तत्कालीन उप जिलाधिकारी सदर ने अपनी एक और जांच रिपोर्ट में अवगत कराया है कि नोएडा से गाजियाबाद स्थानांतरित हुए ग्राम कानावनी में एक आवेदक अरबों रुपये की जमीन को अपनी होने का दावा करते हुए कब्जा मुक्त कराए जाने का अनुरोध कर रहा था. जिसकी जांच और खसरा नंबर 525, 526, 527 की 1359 फसली की कॉपी निकलवाने पर पता चला कि वह समस्त जमीन बंजर की जमीन है. जिस पर बहुत वर्ष पहले भी फर्जी एंट्री कर बंजर की जमीन को निजी जमीन बनाने का प्रयास किया गया था.

अपनी रिपोर्ट 10 दिनों के अंदर प्रस्तुत करें


जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे ने तत्कालीन उपजिलाधिकारी सदर की जांच रिपोर्ट के आधार पर इन तमाम प्रकरणों में अपर जिलाधिकारी प्रशासन की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया है. जो इस जमीन को संरक्षित करते हुए अभिलेखों में दुरुस्तीकरण की कार्रवाई और इस प्रकरण में दोषी व्यक्तियों को चिन्हित कर अपनी रिपोर्ट 10 दिनों के अंदर प्रस्तुत करेगी.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: जनपद गाजियाबाद के जिलाधिकारी को सरकारी भूमि को हथियाने के संबंधित में एक शिकायत प्राप्त हुई थी. जिनमें दो पक्षों में जमीन के कब्जे को लेकर आपसी विवाद था. जिसको जिलाधिकारी ने गंभीरता से लेते हुए प्रकरण की जांच तत्कालीन उपजिलाधिकारी सदर प्रशांत तिवारी से कराई. प्रशांत तिवारी तत्कालीन उपजिलाधिकारी सदर का जनपद से स्थानांतरण होने के बावजूद जाते-जाते उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी है.

एफआईआर दर्ज कराए जाने के निर्देश

उप जिलाधिकारी प्रशांत तिवारी की सौंपी गई जांच रिपोर्ट में पाया गया है कि ग्राम अकबरपुर बहरामपुर के खसरा संख्या 206/5 रकबा 3.0730 हेक्टेयर (राजस्व अभिलेखों में चरागाह की भूमि दर्ज है) में कुल 239 व्यक्तियों के जरिए क्रय-विक्रय किया गया है. चारागाह भूमि को समय-समय पर विभिन्न लोगों ने फर्जी तरीके से विक्रय कर दिया. इस संबंध में उप जिलाधिकारी सदर के तहसीलदार सदर को भेजे गए अपने आदेश में यह कहा गया है कि बेशकीमती शासकीय भूमि के खरीद-फरोख्त के संबंध में अब तक जो क्रेता, विक्रेता, बैनामा लेखक, गवाहों तथा अन्य संलिप्त लिप्त व्यक्तियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराए जाने के निर्देश दिए हैं.

बंजर की जमीन को निजी जमीन बनाने का प्रयास

इसी प्रकार तत्कालीन उप जिलाधिकारी सदर ने अपनी एक और जांच रिपोर्ट में अवगत कराया है कि नोएडा से गाजियाबाद स्थानांतरित हुए ग्राम कानावनी में एक आवेदक अरबों रुपये की जमीन को अपनी होने का दावा करते हुए कब्जा मुक्त कराए जाने का अनुरोध कर रहा था. जिसकी जांच और खसरा नंबर 525, 526, 527 की 1359 फसली की कॉपी निकलवाने पर पता चला कि वह समस्त जमीन बंजर की जमीन है. जिस पर बहुत वर्ष पहले भी फर्जी एंट्री कर बंजर की जमीन को निजी जमीन बनाने का प्रयास किया गया था.

अपनी रिपोर्ट 10 दिनों के अंदर प्रस्तुत करें


जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे ने तत्कालीन उपजिलाधिकारी सदर की जांच रिपोर्ट के आधार पर इन तमाम प्रकरणों में अपर जिलाधिकारी प्रशासन की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया है. जो इस जमीन को संरक्षित करते हुए अभिलेखों में दुरुस्तीकरण की कार्रवाई और इस प्रकरण में दोषी व्यक्तियों को चिन्हित कर अपनी रिपोर्ट 10 दिनों के अंदर प्रस्तुत करेगी.

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