नई दिल्ली/ गाजियाबाद: गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष सीमा त्यागी ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाया कि प्रशासन के ढुलमुल रवैये के कारण आज स्कूल प्रबंधन अभिभावकों का शोषण कर रहे हैं.
फीस अधिनियम का हो रहा उल्लघंन
प्रेस वार्ता के दौरान गाजियाबाद पैरट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष सीमा त्यागी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए फीस अधिनियम 2018 बनाया गया.
इसमें जिला स्तर पर प्राइवेट स्कूलों की फीस निर्धारण के लिए जिला में जिला शुल्क नियामक कमेटी (डीएफआरसी) का गठन किया गया. लेकिन गाजियाबाद में डीएफआरसी का गठन तो हुआ पर फीस अधिनियम 2018 के नियमों को ताक पर रखा गया.
स्कूल के प्रतिनिधियों का बोलबाला
पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सीमा त्यागी ने प्रेस वार्ता में फीस अधिनियम 2018 के उल्लंघन के कई कारण बताए.
- फीस अधिनियम 2018 के अनुसार डीएफआरसी में केवल 7 सदस्यों को नामित किया जा सकता है. परंतु गाजियाबाद की डीएफआरसी में 13 सदस्यों को नामित किया गया है.
- डीएफआरसी में प्राइवेट स्कूलों के प्रतिनिधि का बोलबाला है जो डीएफआरसी के निर्णय को प्रभावित कर प्राइवेट स्कूलों को फायदा पहुंचाने का काम कर रहे हैं.
- फीस अधिनियम 2018 के अनुसार किसी भी अधिकारी को अपनी मनमानी से कमेटी का गठन करने का अधिकार नहीं दिया गया है. इसके बावजूद कमेटी के सदस्यों की संख्या बढ़ा दी गई है.
- प्रेस वार्ता के दौरान पेरेंट्स एसोसिएशन के सदस्यों का कहना है कि कई स्कूलों ने ऑडिटिंग बैलेंस शीट नहीं दी है. इसके बिना स्कूलों की आय और व्यय का हिसाब नहीं लगाया जा सकता.
- इसके अलावा स्कूलों द्वारा बच्चों से एसी का चार्ज वसूला जा रहा है जबकि डीएफआरसी अपने नियमों में खुद मानती है कि एसी चार्ज फीस का हिस्सा नहीं है.