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सावन का दूसरा सोमवार: गाजियाबाद के दूधेश्वर मंदिर में लगी भक्तों की लंबी लाइन

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Published : Aug 2, 2021, 8:55 AM IST

Updated : Aug 2, 2021, 10:57 AM IST

गाजियाबाद के दूधेश्वर मंदिर में सावन के दूसरे सोमवार को भी भक्तों की भारी भीड़ है. यहां बारिश के बाद भी भक्त भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए लंबी लाइन में खड़े हैं.

doodheshwar mandir
सावन का दूसरा सोमवार

नई दिल्ली/गाजियाबाद: प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर में सावन के दूसरे सोमवार को भी भक्तों का तांता लगा हुआ है. बारिश के बाद भी आस्था का जनसैलाब मंदिर में उमड़ा है. कोरोना प्रोटोकॉल के तहत भक्त भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर रहे हैं. भक्तों का कहना है कि सावन के सोमवार के दिन भोलेनाथ का जलाभिषेक करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

प्राचीन मान्यता है कि दूधेश्वर नाथ मंदिर में रावण के पिता ऋषि विश्वश्रवा ने भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की थी. यही नहीं बाद में रावण ने भी अपना 10वां सिर भगवान दूधेश्वर के चरणों में अर्पित किया था. एक किवदंती ये भी प्रचलित है कि, यहां मंदिर से पहले एक टीला हुआ करता था जहां एक गाय रोज आकर दूध दिया करती थी. जब उस स्थान की खुदाई की गई तो भगवान दूधेश्वर का शिवलिंग प्रकट हुआ था.

सावन का दूसरा सोमवार

ये भी पढ़ें: सावन के दूसरे सोमवार पर बना विशेष संयोग, ऐसे करें भगवान भोलेनाथ की पूजा ?

आपको बता दें कि, मंदिर में प्रवेश से पहले कोरोना प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है. मंदिर के द्वार पर थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था की गई है. अगर किसी भी भक्त को बुखार है, तो उन्हें मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी. हर साल शिवरात्रि पर यहां लाखों भक्तों का तांता लगता है. उसके लिए भी तमाम तैयारियां मंदिर की तरफ से की गई हैं. हाल ही में मंदिर की सुरक्षा में भी इजाफा किया गया था.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर में सावन के दूसरे सोमवार को भी भक्तों का तांता लगा हुआ है. बारिश के बाद भी आस्था का जनसैलाब मंदिर में उमड़ा है. कोरोना प्रोटोकॉल के तहत भक्त भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर रहे हैं. भक्तों का कहना है कि सावन के सोमवार के दिन भोलेनाथ का जलाभिषेक करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

प्राचीन मान्यता है कि दूधेश्वर नाथ मंदिर में रावण के पिता ऋषि विश्वश्रवा ने भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की थी. यही नहीं बाद में रावण ने भी अपना 10वां सिर भगवान दूधेश्वर के चरणों में अर्पित किया था. एक किवदंती ये भी प्रचलित है कि, यहां मंदिर से पहले एक टीला हुआ करता था जहां एक गाय रोज आकर दूध दिया करती थी. जब उस स्थान की खुदाई की गई तो भगवान दूधेश्वर का शिवलिंग प्रकट हुआ था.

सावन का दूसरा सोमवार

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आपको बता दें कि, मंदिर में प्रवेश से पहले कोरोना प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है. मंदिर के द्वार पर थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था की गई है. अगर किसी भी भक्त को बुखार है, तो उन्हें मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी. हर साल शिवरात्रि पर यहां लाखों भक्तों का तांता लगता है. उसके लिए भी तमाम तैयारियां मंदिर की तरफ से की गई हैं. हाल ही में मंदिर की सुरक्षा में भी इजाफा किया गया था.

Last Updated : Aug 2, 2021, 10:57 AM IST
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