नई दिल्ली/गाजियाबादः सनातन धर्म में सावन महीने का विशेष महत्व होता है. हिंदू पंचांग का यह पांचवा महीना भोलेनाथ को समर्पित होता है. मान्यता है कि इस महीने में भगवान शंकर की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाए तो वह अत्यंत प्रसन्न होते हैं और मनोवांछित सभी कामनाओं की पूर्ति होती है. भगवान शिव के भक्तों के लिए पूरा महीना खास होता है. सावन के महीने में गाजियाबाद के प्रमुख धार्मिक स्थल गंगनहर के बारे में बताएंगे, जिसे छोटा हरिद्वार के नाम से भी जाना जाता है.
छोटा हरिद्वार गाजियाबाद के मुरादनगर स्थित गंगनहर पर मौजूद है. यहां हमेशा हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. विशेषकर सावन के महीने में कांवड़ यात्रा के दौरान लाखों की संख्या में शिवभक्त यहां पहुंचते हैं. छोटा हरिद्वार में गंग नहर के दोनों तरफ पक्के घाट बने हुए हैं. जहां श्रद्धालु स्नान करते हैं.
छोटे हरिद्वार के पंडित रविन्द्र गोस्वामी के मुताबिक इसे छोटा हरिद्वार इसलिए कहा जाता है क्योंकि गंगनहर में बहता हुआ पानी सीधा हरिद्वार के हर की पौड़ी से आ रहा है. अधिकतर श्रद्धालु जब हरिद्वार जाते हैं तो वह गंग नहर यानी कि छोटा हरिद्वार जरूर ठहरते हैं. साथ ही, हरिद्वार से वापस लौटते हुए श्रद्धालु गंग नहर में स्नान करते हैं. गंगनहर में श्रद्धालुओं को हरिद्वार में होने का एहसास होता है. इसलिए गंग नहर के इस घाट का नाम छोटा हरिद्वार पड़ गया.
यहां के पंडित रविंद्र गोस्वामी बताते हैं छोटे हरिद्वार में प्राचीन शनि मंदिर है. यहां भगवान हनुमान, भगवान झूलेलाल, भगवान भोलेनाथ, काली माता आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं. सावन के महीने में छोटे हरिद्वार में रौनक और भी अधिक हो जाती है. लाखों की संख्या में सावन के महीने में शिव भक्त छोटे हरिद्वार आते हैं, जिनके ठहरने के लिए पुलिस प्रशासन द्वारा व्यवस्था की जाती है. इसके साथ-साथ मंदिर के सेवादार भी शिव भक्तों की सेवा में मौजूद रहते हैं.
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रविंद्र गोस्वामी के मुताबिक छोटे हरिद्वार को लेकर कई प्रकार की मान्यताएं भी हैं. जिसके चलते यहां साल भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. ऐसा बताया जाता है कि छोटे हरिद्वार में स्नान करने के बाद शनि मंदिर में मांगी गई सभी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं. कोई भी श्रद्धालु छोटे हरिद्वार से खाली हाथ वापस नहीं लौटता है. गंगनहर पर पानी का बहाव काफी तेज रहता है. ऐसे में छोटे हरिद्वार पर गोताखोरों की टीम स्थानीय प्रबंधन के साथ हर समय मौजूद रहती है. जिससे किसी भी अनहोनी को होने से रोका जा सके. गंग नहर के घाटों पर श्रद्धालुओं कि सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए बैरिकेडिंग लगी हुई है.