नई दिल्ली/ग़ाज़ियाबाद : ग़ाज़ियाबाद नगर निगम क्षेत्र पांच ज़ोन कविनगर, वसुंधरा, मोहननगर, विजयनगर और सिटी ज़ोन में बंटा हुआ है. जोनल स्तर पर जोनल प्रभारी और कर निरीक्षकों द्वारा टैक्स वसूली की जाती है. यह वित्तीय वर्ष समाप्ति की ओर है. शासन स्तर से 180 करोड़ रुपए टैक्स वसूलने का लक्ष्य दिया गया है. प्रत्येक ज़ोन में टैक्स वसूली के लिए नगर निगम की टीमें लगातार कार्यवाही कर रही हैं. इसके बावजूद टेक्स वसूली का लक्ष्य अभी कोसों दूर है.
ग़ाज़ियाबाद नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी (Cheif Tax Assessment Officer) डॉ. संजीव सिन्हा ने बताया कि नगर निगम की मुख्य आय का स्रोत संपत्ति कर है. संपत्ति कर के अंतर्गत हाउस टैक्स, वॉटर टैक्स और सीवर टैक्स की वसूली होती है. नगर निगम सीमा के अंतर्गत बने आवासीय और गैर आवासीय भवन, इंडस्ट्रीज़, राज्य सरकार और केंद्र सरकार के भवनों से भी टैक्स वसूला जाता है.
संजीव ने बताया कि नगर निगम बड़े बकायेदारों को लगातार टैक्स जमा करने के लिए नोटिस भेजे जा रहे हैं. टैक्स न जमा करने वाले बकायेदारों पर कुर्की की कार्यवाही निगम प्रशासन कर रहा है. सरकारी भवनों को छोड़कर आवासीय और गैर आवासीय भवनों पर नगर निगम का लगभग 80 करोड़ रुपए टैक्स बकाया है. नगर निगम की टीमें डोर-टू-डोर टैक्स वसूली की कार्यवाही कर रही हैं. सिन्हा ने बताया कि जिन सरकारी भवनों पर नगर निगम का टैक्स बकाया है. उनके मुख्यालय को नगर निगम ने टैक्स जमा करने के लिए अवगत कराया है. निगम के मुताबिक सरकारी विभागों पर तक़रीबन 108 करोड़ रुपए बकाया है.
ग़ाज़ियाबाद नगर निगम के बड़े बकाएदार
• बिजली विभाग: 84.88 करोड़
• पुलिस विभाग: 7.68 करोड़
• ग़ाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण: 5.02 करोड़
• ज़िलाधिकारी कार्यालय: 4.57 करोड़
• बीएसएनएल: 1.96 करोड़
• मेट्रो: 45.74 करोड़
• मानव संसाधन विकास केंद्र: 10.01 करोड़
• रेलवे: 5.96 करोड़
• पोस्ट ऑफिस: 1.33 करोड़
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ग़ाज़ियाबाद नगर निगम के बड़े बकाएदारों में कोई निजी संस्थान या व्यक्ति नहीं, बल्कि सरकारी विभाग और कार्यालय हैं. जिनमें बिजली विभाग सबसे बड़ा बकाएदार है. जबकि सिविल बकाएदारों ने काफी हद तक टैक्स जमा कर दिया है. नगर निगम से दी गई जानकारी के मुताबिक सिटी जोन के तहत आने वाले राजनगर एक्सटेंशन में 52 सोसाइटियों में लगभग 35000 फ्लैट हैं. जिसमें से लगभग 20 हज़ार फ्लैटों ने अब तक 1 करोड़ 23 हज़ार रुपए संपत्ति कर जमा किया है. सरकारी विभागों में जिलाधिकारी कार्यालय से लेकर पोस्ट ऑफिस तक ने टैक्स जमा नहीं किया है. सबसे ज़्यादा 84.88 करोड़ का टैक्स बकाया बिजली विभाग पर है. अगर ये तमाम सरकारी बकायेदार टैक्स जमा कर दें तो निगम राजस्व वसूली के लक्ष्य को पूरा कर लेगा.