नई दिल्ली/गाजियाबाद: कोविड-19 वैश्विक महामारी के चलते रोजगार काफी प्रभावित हुआ है. खासकर असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम करने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. भले ही अनलॉक शुरू हुए 5 महीने से अधिक हो चुके हैं लेकिन अभी भी जनजीवन पूरी तरह से पटरी पर नहीं लौट पाया है.
असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों पर कोरोना वायरस कहर बनकर टूट रहा है. भले ही अनलॉक शुरू हुए लम्बा समय हो चुका लेकिन अभी भी काम धंधे पूरी तरह से पटरी पर वापस नहीं लौट पाए. गाजियाबाद में ऑटोचालक भी कोरोना की मार झेल रहे हैं. कोरोना के चलते सवारियां नहीं मिल रही हैं. जिसके चलते ऑटो चालकों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
ऑटो चालकों को नहीं मिल रही सवारी
ऑटो चालकों का कहना है कि कोरोना से पहले 8-9 घंटे ऑटो चलाकर तकरीबन एक हज़ार रुपये की कमाई हो जाती थी. घर परिवार ठीक चल रहा था थोड़ी बहुत बचत भी कर लिया करते थे लेकिन कोरोना के बाद काम-धंधा चौपट हो गया है. कोरोना के चलते सवारियां नहीं मिल रही है. ट्रेनों का संचालन भी पहले की तरह वापस पटरी पर नहीं लौटा है. जिसके चलते सवारियां काफी कम है. स्कूल भी केवल कक्षा 9 से 12 तक के लिए खोले गए.
किराये का ऑटो चलाते हैं अधिकतर ऑटो चालक
अधिकतर ऑटो चालक किराए का ऑटो चलाते हैं. ऑटो का किराया प्रतिदिन मालिक को पहुंचाया जाता है. किराया न पहुंचाने पर मालिक अगले दिन ऑटो नहीं देता है. ऐसे में किराए पर ऑटो चलाने वाले ऑटो चालकों को भी किराया जुटाने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. आम दिनों में ऑटो चालकों की तकरीबन ₹1000 की दिहाड़ी हो जाती थी, लेकिन मौजूदा समय में कोरोना के चलते ₹500 कमाना भी मुश्किल हो गया.