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कहानी चौधरी जगबीर सिंह की, जो बाबा टिकैत के समय से बना रहे हैं BKU की टोपी - Chaudhary Jagbir Kisan Union cap

दिल्ली में कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे 84 साल के सुखबीर सिंह हाथ से बनी टोपी किसान यूनियन की टोपी बेच रहे हैं. ये टोपी उन्होंने यूनियन की स्थापना के समय महेंद्र सिंह टिकैत को बनाकर दिखाई थी, जो बाबा टिकैत को पसंद आई और किसान यूनियन की टोपी बन गई. तब से आज तक सुखबीर सिंह किसान यूनियन की ये टोपी बनाने का काम कर रहे हैं.

Chaudhary Jagbir made the first hat of the Farmers Union
चौधरी जगबीर ने बनाई थी किसान यूनियन की पहली टोपी
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Published : Jan 14, 2021, 5:45 PM IST

Updated : Jan 14, 2021, 6:04 PM IST

नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन का आज 50वां दिन है. किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार कृषि कानूनों को वापस ले और एमएसपी की गारंटी को लेकर कानून बनाए. कई दौर की वार्ता किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच हुई लेकिन अभी भी सरकार और किसानों के बीच गतिरोध बरकरार है. किसानों के आंदोलन में 80 साल से ऊपर के बुजुर्ग भी खुले आसमान के नीचे कड़ाके की ठंड में बॉर्डर पर डटे हुए हैं.

चौधरी जगबीर ने बनाई थी किसान यूनियन की पहली टोपी

'यूनियन की स्थापना के समय बनी थी पहली टोपी'

मुजफ्फरनगर के सिसौली गांव के रहने वाले चौधरी जगबीर की उम्र 86 साल है. जगबीर आंदोलन के पहले दिन से ही गाजीपुर बॉर्डर पर डटे हुए है. दिल्ली की गला देने वाली ठंड भी उनका हौसला नहीं तोड़ पाई है. चौधरी जगबीर बताते हैं कि भारतीय किसान यूनियन कि जब स्थापना हुई थी तब बाबा महेंद्र सिंह टिकैत ने उन्हें यूनियन की टोपियां और बिल्ले बनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी. यूनियन की पहली टोपी को डिज़ाइन कर शुरुआत में चंद टोपिया बनाई गई. जिसके बाद बाबा टिकैत को उनके द्वारा बनाई गई टोपी पसंद आई और उन्हें आगे भी इसी तरह काम को जारी रखने की जिम्मेदारी दी गई. किसानों के आंदोलन में टोपियां भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.

'86 साल की उम्र में भी सिल रहे टोपियां'

आमतौर पर देखा जाता है कि 50 की उम्र पार करने के बाद ही आंखों पर चश्मा लग जाता है लेकिन 86 साल की उम्र में चौधरी जगबीर सिलाई मशीन से टोपियों की सिलाई करते हैं. जगबीर बताते हैं की आंदोलन के पहले दिन वह गांव से 500 टोपियां बनाकर ग़ाज़ीपुर बॉर्डर लाए थे. जिसमें से लगभग 400 टोपियां बिक गई हैं. बीते तीन दशकों में किसान आंदोलनों में शामिल हो चुके लाखों किसानों ने उनके हाथों से बनी टोपियाँ पहनी है.

'कानून वापसी के बाद ही होगी घर वापसी'
चौधरी जगबीर केंद्र सरकार से काफी नाराज नज़र आए. उनका कहना था कि केंद्र सरकार द्वारा किसानों के लिए कोई काम नहीं किया गया. अब सरकार ने ऐसे कानून बना दिए, जो किसान को बर्बाद कर देंगे. उनका कहना था कि मौजूदा भाजपा सरकार के मुकाबले पिछली सरकारें काफी बेहतर थीं. चौधरी जगबीर ने कहा कि यह आर पार की लड़ाई है. जब तक केंद्र सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है, तब तक वह दिल्ली से अपने गांव को वापस नहीं लौटेंगे, चाहे कई महीने क्यों ना लग जाएं. दिल्ली एनसीआर की कप कपा देने वाली ठंड में घरों में भी ठंड से बचने के लिए लोग हीटर आदि का इस्तेमाल करते हैं. वहीं जगबीर की तरह सैकड़ों किसान खुले आसमान के नीचे बॉर्डर पर रातें बिता रहे हैं.

नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन का आज 50वां दिन है. किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार कृषि कानूनों को वापस ले और एमएसपी की गारंटी को लेकर कानून बनाए. कई दौर की वार्ता किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच हुई लेकिन अभी भी सरकार और किसानों के बीच गतिरोध बरकरार है. किसानों के आंदोलन में 80 साल से ऊपर के बुजुर्ग भी खुले आसमान के नीचे कड़ाके की ठंड में बॉर्डर पर डटे हुए हैं.

चौधरी जगबीर ने बनाई थी किसान यूनियन की पहली टोपी

'यूनियन की स्थापना के समय बनी थी पहली टोपी'

मुजफ्फरनगर के सिसौली गांव के रहने वाले चौधरी जगबीर की उम्र 86 साल है. जगबीर आंदोलन के पहले दिन से ही गाजीपुर बॉर्डर पर डटे हुए है. दिल्ली की गला देने वाली ठंड भी उनका हौसला नहीं तोड़ पाई है. चौधरी जगबीर बताते हैं कि भारतीय किसान यूनियन कि जब स्थापना हुई थी तब बाबा महेंद्र सिंह टिकैत ने उन्हें यूनियन की टोपियां और बिल्ले बनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी. यूनियन की पहली टोपी को डिज़ाइन कर शुरुआत में चंद टोपिया बनाई गई. जिसके बाद बाबा टिकैत को उनके द्वारा बनाई गई टोपी पसंद आई और उन्हें आगे भी इसी तरह काम को जारी रखने की जिम्मेदारी दी गई. किसानों के आंदोलन में टोपियां भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.

'86 साल की उम्र में भी सिल रहे टोपियां'

आमतौर पर देखा जाता है कि 50 की उम्र पार करने के बाद ही आंखों पर चश्मा लग जाता है लेकिन 86 साल की उम्र में चौधरी जगबीर सिलाई मशीन से टोपियों की सिलाई करते हैं. जगबीर बताते हैं की आंदोलन के पहले दिन वह गांव से 500 टोपियां बनाकर ग़ाज़ीपुर बॉर्डर लाए थे. जिसमें से लगभग 400 टोपियां बिक गई हैं. बीते तीन दशकों में किसान आंदोलनों में शामिल हो चुके लाखों किसानों ने उनके हाथों से बनी टोपियाँ पहनी है.

'कानून वापसी के बाद ही होगी घर वापसी'
चौधरी जगबीर केंद्र सरकार से काफी नाराज नज़र आए. उनका कहना था कि केंद्र सरकार द्वारा किसानों के लिए कोई काम नहीं किया गया. अब सरकार ने ऐसे कानून बना दिए, जो किसान को बर्बाद कर देंगे. उनका कहना था कि मौजूदा भाजपा सरकार के मुकाबले पिछली सरकारें काफी बेहतर थीं. चौधरी जगबीर ने कहा कि यह आर पार की लड़ाई है. जब तक केंद्र सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है, तब तक वह दिल्ली से अपने गांव को वापस नहीं लौटेंगे, चाहे कई महीने क्यों ना लग जाएं. दिल्ली एनसीआर की कप कपा देने वाली ठंड में घरों में भी ठंड से बचने के लिए लोग हीटर आदि का इस्तेमाल करते हैं. वहीं जगबीर की तरह सैकड़ों किसान खुले आसमान के नीचे बॉर्डर पर रातें बिता रहे हैं.

Last Updated : Jan 14, 2021, 6:04 PM IST
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