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मिल गया Pollution का Solution ! मियावाकी तकनीक से बंजर बन गया जंगल

दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण लोगों के लिए एक बड़ी परेशानी बना हुआ है. गाजियाबाद के लोग भी कई महीनों से प्रदूषण की मार झेल रहे हैं. इसी महत्वपूर्ण विषय पर पेश है हमारी विशेष प्रस्तुति.

Pollution का Solution
Pollution का Solution
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Published : Mar 30, 2022, 9:18 PM IST

Updated : Mar 30, 2022, 10:49 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक आज गाजियाबाद देश का सबसे प्रदूषित शहर है. गाजियाबाद का प्रदूषण स्तर रेड जोन में बरकरार है. हवा में बढ़ रहे प्रदूषण के चलते लोगों को कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. अभी यह कह पाना मुश्किल है कि आखिर कब तक लोगों को प्रदूषण के जहर से निजात मिल पाएगी. बीते कई सालों से देखने को मिला है कि दिवाली के बाद से ही दिल्ली एनसीआर गैस चैंबर में तब्दील होने लगता है.

गाजियाबाद में प्रदूषण के कहर को देखते हुए नगर निगम प्रदूषण को कम करने के लिए स्थाई समाधान निकालने की तरफ आगे बढ़ रहा है. युवा आईएएस अधिकारी और गाज़ियाबाद के नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने शहर में लंग्स ऑफ गाजियाबाद अभियान चला रखा है. अभियान के तहत शहर में मियावाकी तकनीक से पौधरोपण किया जा रहा है.गाजियाबाद नगर निगम के उद्यान प्रभारी डॉ अनुज ने बताया कि नगर निगम की खाली पड़ी जमीनों पर मियावाकी तकनीक से सघन वन विकसित किए जा रहे हैं.

प्रदूषण से निपटने के लिए लगाए जा रहे जंगल.

डॉ अनुज बताते हैं कि हिंडन नदी के किनारे साईं उपवन के एक हिस्से में एक साल पहले एक भी पौधा नहीं था. मियावाकी तकनीक से पौधा रोपण किया गया. साल भर में पौधे पेड़ बनकर तैयार हो चुके हैं और जंगल का रूप ले लिया है. कुल दो वर्षों में घना जंगल बनकर तैयार हो जाएगा. मियावाकी तकनीक से विकसित हुआ ये वन ऑक्सीजन बैंक का काम करेगा. डॉ अनुज ने बताया नगर निगम द्वारा शहर में 10 इलाकों को चिन्हित किया गया था, जिनमें से पांच में मियावाकी तकनीक से पौधरोपण किया जा चुका है, जबकि बाकी में अभी जारी है. मियावाकी तकनीक से तकरीबन 50 हज़ार पौधे नगर निगम द्वारा लगाए जा चुके हैं.

इसे भी पढ़ें: गाजियाबाद : प्रदूषण से निपटने के लिए पेड़ों पर किया जा रहा पानी का छिड़काव, छठ घाटों का सौंदर्यीकरण




क्या है मियावाकी तकनीक ?

मियावाकी तकनीक' मूल रूप से 'अकीरा मियावाकी नाम के जापान के एक बॉटनिस्ट ने डिवेलप किया है. इसकी तकनीक यह है कि कम जगह में अधिक से अधिक पौधों को रोपा जाता है. इसमें एक पौधे का दूसरे पौधे से लाइट, फोटोसिंथेसिस और अन्य रिसोर्सेज के लिए एक दूसरे से कंपटीशन होता है. ऐसे में सभी पौधों का ग्रोथ बहुत तेजी से होता है और कम समय में ही पौधे जंगल का स्वरूप प्राप्त कर लेते हैं.मियावाकी तकनीक का इस्तेमाल करने से पहले जिस जमीन पर वन क्षेत्र तैयार करना है वहां मिट्टी को पहले तैयार किया जाता है. इसके लिए जैविक खाद का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें चावल का भूसा, गोबर, नारियल का छिलका इत्यादि का प्रयोग कर मिट्टी को अधिक उर्वरक बनाया जाता है. इसके जल्दी तैयार होने से शहर में शुद्ध हवा की कमी को पूरा किया जा सकता है.

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नई दिल्ली/गाजियाबाद: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक आज गाजियाबाद देश का सबसे प्रदूषित शहर है. गाजियाबाद का प्रदूषण स्तर रेड जोन में बरकरार है. हवा में बढ़ रहे प्रदूषण के चलते लोगों को कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. अभी यह कह पाना मुश्किल है कि आखिर कब तक लोगों को प्रदूषण के जहर से निजात मिल पाएगी. बीते कई सालों से देखने को मिला है कि दिवाली के बाद से ही दिल्ली एनसीआर गैस चैंबर में तब्दील होने लगता है.

गाजियाबाद में प्रदूषण के कहर को देखते हुए नगर निगम प्रदूषण को कम करने के लिए स्थाई समाधान निकालने की तरफ आगे बढ़ रहा है. युवा आईएएस अधिकारी और गाज़ियाबाद के नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने शहर में लंग्स ऑफ गाजियाबाद अभियान चला रखा है. अभियान के तहत शहर में मियावाकी तकनीक से पौधरोपण किया जा रहा है.गाजियाबाद नगर निगम के उद्यान प्रभारी डॉ अनुज ने बताया कि नगर निगम की खाली पड़ी जमीनों पर मियावाकी तकनीक से सघन वन विकसित किए जा रहे हैं.

प्रदूषण से निपटने के लिए लगाए जा रहे जंगल.

डॉ अनुज बताते हैं कि हिंडन नदी के किनारे साईं उपवन के एक हिस्से में एक साल पहले एक भी पौधा नहीं था. मियावाकी तकनीक से पौधा रोपण किया गया. साल भर में पौधे पेड़ बनकर तैयार हो चुके हैं और जंगल का रूप ले लिया है. कुल दो वर्षों में घना जंगल बनकर तैयार हो जाएगा. मियावाकी तकनीक से विकसित हुआ ये वन ऑक्सीजन बैंक का काम करेगा. डॉ अनुज ने बताया नगर निगम द्वारा शहर में 10 इलाकों को चिन्हित किया गया था, जिनमें से पांच में मियावाकी तकनीक से पौधरोपण किया जा चुका है, जबकि बाकी में अभी जारी है. मियावाकी तकनीक से तकरीबन 50 हज़ार पौधे नगर निगम द्वारा लगाए जा चुके हैं.

इसे भी पढ़ें: गाजियाबाद : प्रदूषण से निपटने के लिए पेड़ों पर किया जा रहा पानी का छिड़काव, छठ घाटों का सौंदर्यीकरण




क्या है मियावाकी तकनीक ?

मियावाकी तकनीक' मूल रूप से 'अकीरा मियावाकी नाम के जापान के एक बॉटनिस्ट ने डिवेलप किया है. इसकी तकनीक यह है कि कम जगह में अधिक से अधिक पौधों को रोपा जाता है. इसमें एक पौधे का दूसरे पौधे से लाइट, फोटोसिंथेसिस और अन्य रिसोर्सेज के लिए एक दूसरे से कंपटीशन होता है. ऐसे में सभी पौधों का ग्रोथ बहुत तेजी से होता है और कम समय में ही पौधे जंगल का स्वरूप प्राप्त कर लेते हैं.मियावाकी तकनीक का इस्तेमाल करने से पहले जिस जमीन पर वन क्षेत्र तैयार करना है वहां मिट्टी को पहले तैयार किया जाता है. इसके लिए जैविक खाद का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें चावल का भूसा, गोबर, नारियल का छिलका इत्यादि का प्रयोग कर मिट्टी को अधिक उर्वरक बनाया जाता है. इसके जल्दी तैयार होने से शहर में शुद्ध हवा की कमी को पूरा किया जा सकता है.

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Last Updated : Mar 30, 2022, 10:49 PM IST
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