नई दिल्ली/गाजियाबाद : गाजियाबाद के बखरवा गांव में पटाखे की अवैध फैक्ट्री में पांच जुलाई को विस्फोट हो गया था. इसमें 10 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि एक दर्जन से ज्यादा लोग झुलस गए थे. दुर्घटना में झुलसे लोगों को 50 हजार रुपये और मुफ्त इलाज तथा मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की गई थी. हालांकि इस घटना के 4 महीने बीत जाने के बावजूद अभी तक प्रभावित परिवारों को मुआवजा नहीं मिला है.
बार-बार मुआवजे की मांग कर रहे, पीड़ित परिवारों ने 20 अक्टूबर को मोदीनगर तहसील परिसर में आत्महत्या करने की चेतावनी दी थी. इसके लिए वह आज मोदीनगर तहसील परिसर में पहुंचे भी थे, लेकिन वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने उनसे मिट्टी के तेल की कैन छीन ली.
बखरवा दुर्घटना की प्रभावित मीनाक्षी ने बताया कि बखरवा के अग्निकांड में वह झुलस गई थी. जिसमें प्रशासन द्वारा मृतकों को 4-4 लाख रुपए और घायलों को मुफ्त इलाज के साथ ही 50 हजार रू देने की घोषणा की गई थी. लेकिन मुआवजे की मांग को लेकर वह तीन से चार महीनों से तहसील परिसर के चक्कर काट रही हैं. उन्होंने कर्जा लेकर अपना इलाज कराया था और अब कर्ज देने वाले उनके यहां चक्कर काट रहे हैं.
मुआवजे की मांग को लेकर तहसील के चक्कर काट रहे हैं पीड़ित
ईटीवी भारत को बखरवे की प्रभावित राजवती ने बताया कि वह इस घटना में घायल हो गई थी, लेकिन उसके बाद से उनको अभी तक मुआवजा नहीं मिला है. इसलिए आज मजबूरी में वह मोदीनगर तहसील परिसर में आत्महत्या करने पहुंची थी, लेकिन यहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने उनसे मिटटी के तेल की कैन छीन ली. एक ओर प्रभावित मुन्नी ने बताया कि हादसे के समय प्रशासन ने उनको आर्थिक सहायता के लिए बोला था, लेकिन अभी तक उनकी किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं की गई है.
कर्ज लेकर कराया था इलाज
इस पूरे मामले को लेकर मोदीनगर के तहसीलदार उमाकांत तिवारी का कहना है कि एक मृतिका के परिजनों और 12 घायलों के मुआवजे की मांग को लेकर शासन को संदर्भित कर दिया गया है. गाजियाबाद जिलाधिकारी द्वारा उनकी मांगों को पूरा करने के लिए एक पत्र भी लिखा गया है. धनराशि प्राप्त होने के उपरांत शीघ्र ही उनके परिजनों को दे दी जाएगी.