नई दिल्ली/गाजियाबाद : गाजियाबाद के ऑटो रिक्शा चालकों ने ट्रैफिक पुलिस के एक फरमान के खिलाफ हड़ताल कर दी है. ऑटो वालों की हड़ताल होने से यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. स्टेशन से लेकर शहर के तमाम इलाकों में जाने के लिए लोगों को ऑटो रिक्शा नहीं मिल रहा है.
ऑटो रिक्शा के रूट निर्धारण से इस तरह बढ़ेंगी लोगों की परेशानियां
ऑटो चालक ट्रैफिक एसपी के उस आदेश का विरोध कर रहे हैं, जिसमें एसपी ने ऑटो वालों को अलग-अलग रूट पर चलने की व्यवस्था बनाई है. इस नई व्यवस्था से तहत एक तय रूट का ऑटो दूसरी किसी रूट पर नहीं जा सकेगा. ऐसे में यात्रियों को एक रूट से दूसरी या तीसरी रूट तक जाने के लिए कई ऑटो बदलने पड़ेंगे. इतना ही नहीं इसमें समय तो बर्बाद होगा ही, पैसे की भी भारी बर्बादी होगी. जबकि इसका खामियाजा ऑटो चालकों को भी भुगतना पड़ेगा.
रूट तोड़ने पर चार हजार रुपए का कटेगा चालान
ट्रैफिक विभाग के एसपी ने एक रूट से दूसरे रूट पर जाने पर ऑटो रिक्शा वालों के लिए चार हजार रुपए का भारी-भरकम चालान भी तय किया है. ट्रैफिक एसपी के इसी आदेश का ऑटो रिक्शा चालक विरोध कर रहे हैं. सैकड़ों ऑटो वालों ने हड़ताल करके विरोध-प्रदर्शन किया. ऑटो रिक्शा चालकों का कहना है कि हमने परमिट किसी एक रूट का नहीं लिया है. वह प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए नई व्यवस्था वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं. ऑटो चालक संघ के अध्यक्ष दिलशाह अहमद का कहना है कि ट्रैफिक एसपी के इस फरमान से ऑटो वालों के साथ ही आम जनता की भी दिक्कतें बढ़ेंगी. इतना ही नहीं, दिनभर अपने तय रूट पर ऑटो चलाने के बाद जब ऑटो चालक रात को दूसरी रूट पर अपने घर जाएगा, तो पुलिस वाले पकड़कर चार हजार रुपए का चालान काटेंगे. इस तरह ऑटो वालों को बेवजह परेशान भी किया जाएगा.
ऑटो का रूट तय होने से कैसे मिलेगी प्रदूषण व जाम से निजात?
ऑटो रिक्शा चालकों की मांगों के विपरीत गाजियाबाद के एसपी ट्रैफिक का कहना है कि ऑटो का रूट तय करने से सवारियों को परेशानी नहीं होगी. और तो और सुरक्षा के लिहाज से भी यह व्यवस्था बेहतर साबित होगी. इससे ट्रैफिक जाम से मुक्ति मिलेगी और प्रदूषण की समस्या से भी काफी हद तक निजात मिलेगी. उनका यह भी कहना है कि अवैध तरीके से ऑटो चलाने वाले ही इस व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं. एसपी ट्रैफिक की ये दलीलें किसी की भी समझ के परे हैं. आखिर अवैध ऑटो वालों को सड़क पर चलने कौन दे रहा है. क्या ऐसे वाहनों के लिए कोई नियम-कानून नहीं है. रूट तय कर देने से अवैध गाड़ियों पर रोक कैसे लग जाएगी. ट्रैफिक एसपी की ये बातें किसी की भी समझ में नहीं आने वाली हैं.
एसपी ट्रैफिक पर ऑटो स्ट्राइक का फिलहाल कोई असर नहीं!
ट्रैफिक एसपी पर ऑटो वालों की हड़ताल का फिलहाल कोई असर नजर नहीं आ रहा है. उनका कहना है कि हड़ताल वही लोग कर रहे हैं, जिनकी गाड़ियों के पेपर पूरे नहीं हैं. अब जिनके पेपर पूरे नहीं हैं, उनकी गाड़ियां सड़क पर चलने से रोकने या उनके खिलाफ चालान काटने की जिम्मेदारी आखिर किसकी है. क्या ऐसे लोगों के लिए रूट निर्धारित करना ही आखिरी उपाय है. गाजियाबाद के एसपी ट्रैफिक रामानंद कुशवाहा का कहना है की ऑटो का रूट निर्धारित करने से पब्लिक को फायदा होगा. लेकिन उनके इस फैसले से पब्लिक को फायदा कैसे होगा, ये वह नहीं समझा सके.
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बहरहाल शहर में ऑटो रिक्शा चालक विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. वह नई व्यवस्था वापस लेने की मांग पर अड़े हैं. उनका कहना है कि जब तक रूट निर्धारण का यह फैसला वापस नहीं लिया जाता है, तब तक हमारी हड़ताल जारी रहेगी. ऐसे में जनता की परेशानियों से न तो ऑटो चालकों को कोई सरोकार है और न ही एसपी ट्रैफिक को कोई सरोकार है. उन्हें पब्लिक का दर्द तो तब महसूस होता. जब सरकारी गाड़ी की बजाय उन्हें भी ऑटो रिक्शा और पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करना पड़ता.