नई दिल्ली/गाजियाबाद: कैप्टन अमरिंदर सिंह (Caption Amarinder Singh) ने नई पार्टी बनाने का एलान किया है. उन्होंने कहा कि पार्टी का नाम अभी फाइनल नहीं हुआ है. अमरिंदर सिंह ने पार्टी के चुनाव चिह्न पर कहा कि इसका फैसला चुनाव आयोग करेगा.
बीते 19 अक्टूबर को ही कैप्टन अमरिंदर सिंह ने यह भी कहा था कि अगर किसानों के हित में किसान आंदोलन (Farmers Protest) का समाधान कर दिया जाता है तो 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में वे भाजपा (BJP) के साथ गठबंधन कर सकते हैं. कैप्टन द्वारा नई पार्टी बनाने को लेकर गाजीपुर बार्डर से भारतीय किसान यूनियन के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन समेत कई नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है.
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केंद्र सरकार के मंत्रियों के साथ अगर अमरिंदर सिंह की अच्छी बातचीत है तो किसान आंदोलन का समाधान करवाएं और किसान आंदोलन का समाधान होने के बाद जिस पार्टी के साथ भी हाथ मिलाने चाहते है वो उनकी व्यक्तिगत निर्णय होगा. किसानों का इससे कोई लेना देना नहीं है. राजनीति से किसानों का कोई वास्ता नहीं है.
भारतीय किसान यूनियन के प्रयागराज जिलाध्यक्ष अनुज सिंह ने कहा अमरिंदर सिंह बड़े नेता हैं. किसानों की समस्या का समाधान होने बाद वह किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन करें. ये उनका व्यक्तित्व विचार है. उससे किसानों का कोई लेना-देना नहीं है. हो सकता है कैप्टन अमरिंदर सिंह किसान आंदोलन और किसानों के दम पर चुनाव लड़ना चाहते हैं लेकिन उनका किसानों स कोई सरोकार नहीं है. विभिन्न राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में किसान भाजपा के खिलाफ प्रचार तो करेंगे लेकिन किसी भी राजनैतिक की पार्टी के पक्ष में नहीं खड़े होंगे.
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किसान नेता अतुल त्रिपाठी ने कहा अगर कैप्टन अमरिंदर सिंह किसानों के समर्थन में होते आज आंदोलनकरी किसानों के बीच में होते. अमरिंदर सिंह की मंशा केवल शुद्ध राजनीति करना है. अमरिंदर सिंह कभी गृह मंत्री के चक्कर काटते हैं कभी भाजपा के नेताओं से मिलते हैं. जो भी नेता सत्ता के शिखर पर पहुंचने के लिए जो भी किसान के ऊपर अपनी राजनैतिक रोटी सेकेगा ऐसे नेताओं के समर्थन में किसान नहीं है.
कैप्टन अमरिंदर सिंह समाधान और मध्यस्थता की बात करते हैं. मध्यस्थता और समाधान के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह को किसानों के बीच खड़ा होना था लेकिन वह राजनीतिक पार्टी के दफ्तर में चक्कर लगा रहे हैं.
अतुल ने कहा सत्ता के सर्वोच्च शिखर पर बैठी भाजपा सरकार किसान आंदोलन का समाधान नहीं चाहती है. किसान आंदोलन को 11 महीने पूरे हो चुके हैं इस दौरान 700 से अधिक किसान शहीद हुए हैं. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब का मुख्यमंत्री रहते हुए किसानों के लिए कुछ नहीं किया. ऐसे में कैप्टन अमरिंदर सिंह से कोई पास उम्मीद नहीं है.