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आख़िर क्यों ज़रा सी बात पर जान लेने-देने पर उतारू है आज का इंसान, क्यों बढ़ रहा है ग़ुस्सा? - ग़ाज़ियााद MMG अस्पताल

मनोचिकित्सक डॉ. एके. विश्वकर्मा ने बताया कि आज की इस भागती-दौड़ती तेज रफ्तार जिंदगी में हर पल लोगों के अंदर गुस्सा घर कर रहा है. बीते दो साल कोरोना लॉकडाउन के कारण भी लोग घरों में बंद रहते हुए इस तरह के गुस्से पालते रहे. आज का खान-पान और जीवन शैली भी इस गुस्से को पालने में सहायक साबित हो रही है.

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Published : Jun 25, 2022, 5:07 PM IST

नई दिल्ली/ग़ाज़ियाबाद : मौजूदा समय में देखने को मिल रहा है लोगों में धैर्य खत्म होता जा रहा है. धैर्य खत्म होने के चलते लोग एक दूसरे का आवेश में आकर खून बहा रहे हैं. कभी शिकंजी में नींबू न डालने पर दुकानदार की जान ली जा रही है तो कभी खराब सब्जी देने पर सब्जी वाले को इस हद तक पीटा जाता है कि अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो जाती है. ग़ाज़ियाबाद समेत देश के तमाम हिस्सों में छोटी-छोटी बातों को लेकर लोगों की जान लेने-देने की नौबत के मामले अक्सर देखने को मिलते हैं. हाल ही में इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं. ऐसे में ये एक बड़ा सवाल है कि आख़िर इंसान ज़रा-ज़रा सी बात पर जान लेने और देने पर उतारू क्यों हो जा रहा है. आख़िर क्या है इस आक्रोश की असल वजह.

ग़ाज़ियाबाद के MMG अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. एके. विश्वकर्मा ने इंसान में तेजी से पनपते गुस्से के तमाम कारकों और उनके तमाम पहलुओं पर ईटीवी भारत की टीम से बात की. उन्होंने बताया कि आज की इस भागती-दौड़ती तेज रफ्तार जिंदगी में हर पल लोगों के अंदर गुस्सा घर कर रहा है. बीते दो साल कोरोना लॉकडाउन के कारण भी लोग घरों में बंद रहते हुए इस तरह के गुस्से पालते रहे. आज का खान-पान और जीवन शैली भी इस गुस्से को पालने में सहायक साबित हो रही है. जो कि समय-समय पर ज्वालामुखी की तरह फूट पड़ता है. किसी न किसी बहाने से इसको आग मिलती है. जिसके नतीजे में लोग खून बहाने पर उतर आते हैं.

आख़िर क्यों ज़रा सी बात पर जान लेने-देने पर उतारू है आज का इंसान, क्यों बढ़ रहा है ग़ुस्सा?




क्यों बढ़ रहा तनाव ?

डॉ. एके. विश्वकर्मा ने बताया इस नए दौर में समाज में कई प्रकार के परिवर्तन हो रहे हैं. जिसके चलते लोगों में तनाव काफी बढ़ रहा है. कई लोग अपने तनाव पर नियंत्रण रखने में कामयाब होते हैं, जबकि कई लोग तनाव को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं. मौजूदा समय में लोगों का एक दूसरे से मिलना जुलना काफी कम हो गया है. एक दूसरे से बातचीत करके अपने सुख-दुख को बांटकर तनाव को कम किया जा सकता है. लोग समाज से कट रहे हैं. जिसके चलते तनाव का स्तर बढ़ता ही जा रहा है.

० कैसे कम होगा तनाव

डॉक्टर विश्वकर्मा बताते हैं कि इलाज उन तमाम समस्याओं का किया जा सकता है जो तनाव के कारण उत्पन्न हो रही है. जैसे सिर दर्द, नींद का न आना आदि. तनाव को कम करने के लिए किसी भी व्यक्ति को अधिकतर प्रयास स्वयं करने होंगे. दिनचर्या को ठीक करें, समय से सोना और उठना, नियमित व्यायाम करने से तनाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है.


० आर्थिक तंगी से बढ़ता है तनाव

डॉक्टर विश्वकर्मा बताते हैं कि कई बार लोग अपनी लाइफस्टाइल बहुत ज़्यादा गढ़ लेते हैं. आमदनी से अधिक खर्च करते हैं. ऐसे में लोगों को आर्थिक तौर पर कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. धीरे-धीरे यह समस्याएं बढ़ती चली जाती हैं और अंत में व्यक्ति में तनाव पैदा करती हैं. तमाम हालात में एडजस्ट करने से तनाव काफी हद तक कम होता है.

नई दिल्ली/ग़ाज़ियाबाद : मौजूदा समय में देखने को मिल रहा है लोगों में धैर्य खत्म होता जा रहा है. धैर्य खत्म होने के चलते लोग एक दूसरे का आवेश में आकर खून बहा रहे हैं. कभी शिकंजी में नींबू न डालने पर दुकानदार की जान ली जा रही है तो कभी खराब सब्जी देने पर सब्जी वाले को इस हद तक पीटा जाता है कि अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो जाती है. ग़ाज़ियाबाद समेत देश के तमाम हिस्सों में छोटी-छोटी बातों को लेकर लोगों की जान लेने-देने की नौबत के मामले अक्सर देखने को मिलते हैं. हाल ही में इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं. ऐसे में ये एक बड़ा सवाल है कि आख़िर इंसान ज़रा-ज़रा सी बात पर जान लेने और देने पर उतारू क्यों हो जा रहा है. आख़िर क्या है इस आक्रोश की असल वजह.

ग़ाज़ियाबाद के MMG अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. एके. विश्वकर्मा ने इंसान में तेजी से पनपते गुस्से के तमाम कारकों और उनके तमाम पहलुओं पर ईटीवी भारत की टीम से बात की. उन्होंने बताया कि आज की इस भागती-दौड़ती तेज रफ्तार जिंदगी में हर पल लोगों के अंदर गुस्सा घर कर रहा है. बीते दो साल कोरोना लॉकडाउन के कारण भी लोग घरों में बंद रहते हुए इस तरह के गुस्से पालते रहे. आज का खान-पान और जीवन शैली भी इस गुस्से को पालने में सहायक साबित हो रही है. जो कि समय-समय पर ज्वालामुखी की तरह फूट पड़ता है. किसी न किसी बहाने से इसको आग मिलती है. जिसके नतीजे में लोग खून बहाने पर उतर आते हैं.

आख़िर क्यों ज़रा सी बात पर जान लेने-देने पर उतारू है आज का इंसान, क्यों बढ़ रहा है ग़ुस्सा?




क्यों बढ़ रहा तनाव ?

डॉ. एके. विश्वकर्मा ने बताया इस नए दौर में समाज में कई प्रकार के परिवर्तन हो रहे हैं. जिसके चलते लोगों में तनाव काफी बढ़ रहा है. कई लोग अपने तनाव पर नियंत्रण रखने में कामयाब होते हैं, जबकि कई लोग तनाव को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं. मौजूदा समय में लोगों का एक दूसरे से मिलना जुलना काफी कम हो गया है. एक दूसरे से बातचीत करके अपने सुख-दुख को बांटकर तनाव को कम किया जा सकता है. लोग समाज से कट रहे हैं. जिसके चलते तनाव का स्तर बढ़ता ही जा रहा है.

० कैसे कम होगा तनाव

डॉक्टर विश्वकर्मा बताते हैं कि इलाज उन तमाम समस्याओं का किया जा सकता है जो तनाव के कारण उत्पन्न हो रही है. जैसे सिर दर्द, नींद का न आना आदि. तनाव को कम करने के लिए किसी भी व्यक्ति को अधिकतर प्रयास स्वयं करने होंगे. दिनचर्या को ठीक करें, समय से सोना और उठना, नियमित व्यायाम करने से तनाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है.


० आर्थिक तंगी से बढ़ता है तनाव

डॉक्टर विश्वकर्मा बताते हैं कि कई बार लोग अपनी लाइफस्टाइल बहुत ज़्यादा गढ़ लेते हैं. आमदनी से अधिक खर्च करते हैं. ऐसे में लोगों को आर्थिक तौर पर कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. धीरे-धीरे यह समस्याएं बढ़ती चली जाती हैं और अंत में व्यक्ति में तनाव पैदा करती हैं. तमाम हालात में एडजस्ट करने से तनाव काफी हद तक कम होता है.

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