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योगी सरकार 1000 करोड़ की 600 बीघा संपत्ति से थी बेखबर - up govt.

गाजियाबाद के मोदीनगर के सिकरी खुर्द गांव में लगभग 600 बीघा शत्रु संपत्ति है. जिस पर लोगों ने कब्जा जमा रखा है. प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के कारण अभी तक यह जमीन राज्य सरकार को स्थानांतरित नहीं हुई थी.

गाजियाबाद में 1000 करोड़ की शत्रु संपत्ति
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Published : Jun 29, 2019, 9:23 AM IST

Updated : Jun 29, 2019, 1:47 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद के मोदीनगर के सिकरी खुर्द गांव में लगभग 600 बीघा सरकारी जमीन का पता चला है. वास्तव में यह जमीन शत्रु संपत्ति है. हैरान करने वाली बात यह है कि इस जमीन की जानकारी सरकार तक को नहीं है.

गाजियाबाद में 1000 करोड़ की शत्रु संपत्ति

प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के कारण अभी तक यह जमीन राज्य सरकार को स्थानांतरित नहीं हुई थी.

जानें पूरा मामला
साल 2017 में मेरठ के एक स्थानीय निवासी ने जिलाधिकारी रितु माहेश्वरी से शिकायत की थी कि मोदीनगर के सिकरी खुर्द गांव में लगभग 600 बीघा शत्रु संपत्ति है. जिस पर लोगों ने कब्जा जमा रखा है.

जांच के दौरान पता चला कि इस जमीन का मालिक वर्तमान में पाकिस्तान का निवासी है. तत्कालीन तहसीलदारों की लापरवाही के कारण जमीन का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हो पाया.

जिलाधिकारी रितु माहेश्वरी ने बताया कि मामला सामने आने के बाद एसडीएम के नेतृत्व में एक जांच समिति का गठन किया गया था. जिसने अपनी जांच रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख भी किया है कि तहसीलदार और तत्कालीन अधिकारियों की लापरवाही की वजह से उक्त जमीन अभी तक सरकार को स्थानांतरित नहीं हो पाई है.

जमीन की कीमत एक हजार करोड़
पिछले साल जब इस मामले की जांच की गई तो तहसीलदार ने उक्त जमीन का रिकॉर्ड दर्ज किया जबकि नियमानुसार 40 साल से पुरानी जमीन का रिकॉर्ड तहसीलदार अपने स्तर पर नहीं कर सकता. इस पूरे प्रकरण में तहसीलदार की भूमिका की जांच के लिए भी सरकार को पत्र लिखा गया है.

बता दें कि वर्तमान में जमीन की कीमत डीएम सर्किल रेट के हिसाब से लगभग 1000 करोड़ रुपये है. वर्तमान में इस जमीन पर लोगों का अवैध कब्जा है.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद के मोदीनगर के सिकरी खुर्द गांव में लगभग 600 बीघा सरकारी जमीन का पता चला है. वास्तव में यह जमीन शत्रु संपत्ति है. हैरान करने वाली बात यह है कि इस जमीन की जानकारी सरकार तक को नहीं है.

गाजियाबाद में 1000 करोड़ की शत्रु संपत्ति

प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के कारण अभी तक यह जमीन राज्य सरकार को स्थानांतरित नहीं हुई थी.

जानें पूरा मामला
साल 2017 में मेरठ के एक स्थानीय निवासी ने जिलाधिकारी रितु माहेश्वरी से शिकायत की थी कि मोदीनगर के सिकरी खुर्द गांव में लगभग 600 बीघा शत्रु संपत्ति है. जिस पर लोगों ने कब्जा जमा रखा है.

जांच के दौरान पता चला कि इस जमीन का मालिक वर्तमान में पाकिस्तान का निवासी है. तत्कालीन तहसीलदारों की लापरवाही के कारण जमीन का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हो पाया.

जिलाधिकारी रितु माहेश्वरी ने बताया कि मामला सामने आने के बाद एसडीएम के नेतृत्व में एक जांच समिति का गठन किया गया था. जिसने अपनी जांच रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख भी किया है कि तहसीलदार और तत्कालीन अधिकारियों की लापरवाही की वजह से उक्त जमीन अभी तक सरकार को स्थानांतरित नहीं हो पाई है.

जमीन की कीमत एक हजार करोड़
पिछले साल जब इस मामले की जांच की गई तो तहसीलदार ने उक्त जमीन का रिकॉर्ड दर्ज किया जबकि नियमानुसार 40 साल से पुरानी जमीन का रिकॉर्ड तहसीलदार अपने स्तर पर नहीं कर सकता. इस पूरे प्रकरण में तहसीलदार की भूमिका की जांच के लिए भी सरकार को पत्र लिखा गया है.

बता दें कि वर्तमान में जमीन की कीमत डीएम सर्किल रेट के हिसाब से लगभग 1000 करोड़ रुपये है. वर्तमान में इस जमीन पर लोगों का अवैध कब्जा है.

Intro:गाजियाबाद : गाजियाबाद के मोदीनगर के सिकरी खुर्द गांव में लगभग 600 बीघा सरकारी जमीन का पता चला है जिसकी जानकारी सरकार को नही है.वास्तव में यह जमीन शत्रु संपत्ति है. लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के कारण अभी तक यह जमीन राज्य सरकार को स्थानांतरित नहीं हुई है.


Body:दरअसल पूरा मामला यह है कि वर्ष 2017 में मेरठ के एक स्थानीय निवासी ने जिलाधिकारी रितु माहेश्वरी से शिकायत की थी कि मोदीनगर के सिकरी खुर्द गांव में लगभग 600 बीघा शत्रु संपत्ति है. जिस पर लोगों ने कब्जा जमा रखा है. जांच के दौरान यह पता चला कि इस जमीन का मालिक वर्तमान में पाकिस्तान का निवासी है लेकिन तत्कालीन तहसीलदारों की लापरवाही के कारण उक्त जमीन का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है.

इस पूरे प्रकरण पर जिलाधिकारी रितु माहेश्वरी ने बताया कि पूरा मामला सामने आने के बाद एसडीएम के नेतृत्व में एक जांच समिति का गठन किया गया था. जिसने अपनी जांच रिपोर्ट मैं इस बात का उल्लेख किया है कि तहसीलदार और तत्कालीन अधिकारियों की लापरवाही के कारण उक्त जमीन अभी तक सरकार को स्थानांतरित नहीं हो पाई है. जब पिछले वर्ष इस पूरे मामले की जांच की गई तो तहसीलदार ने उक्त जमीन का रिकॉर्ड दर्ज किया जबकि नियमानुसार 40 वर्ष से पुरानी जमीन का रिकॉर्ड तहसीलदार अपने स्तर पर नहीं कर सकता. इस पूरे प्रकरण में तहसीलदार की भूमिका की जांच के लिए भी सरकार को पत्र लिखा गया है.


Conclusion:आपको बता दें कि अभी वर्तमान में उक्त जमीन की कीमत डीएम सर्किल रेट के हिसाब से लगभग 1000 करोड़ रुपय है और वर्तमान में इस जमीन पर लोगों का अवैध कब्जा है. अब देखना यह है कि राज्य सरकार इस पूरे मामले पर क्या रुख अपनाता है और दोषी अधिकारियों पर क्या करवाई करता है.
Last Updated : Jun 29, 2019, 1:47 PM IST
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