नई दिल्ली/पलवल: नागरिक अस्पताल में शनिवार 17 अप्रैल को विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाया गया. सिविल सर्जन डॉ. ब्रहमदीप सिंह ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. इस कार्यक्रम में 30 हीमोफीलिया मरीजों और उनके परिजनों ने हिस्सा लिया.
इस अवसर पर हीमोफीलिया मरीजों के लिए ड्राइंग, कविता व हीमोफीलिया से संबंधित एक प्रतियोगिता भी आयोजित की गई. इस मौके पर हीमोफीलिया रोग विशेषज्ञ एवं जिला नोडल अधिकारी डॉ. दिव्या अग्रवाल ने बताया कि हीमोफीलिया एक जन्मजात बीमारी है. जो मनुष्य के शरीर में पाए जाने वाले प्रमुख 13 प्रोटीन में से किसी एक प्रोटीन की कमी के कारण होती है.
कई बार इस बीमारी की पहचान बचपन में नहीं हो पाती है. बीमारी के लक्षण पाए जाने पर लोगों को इसकी तरफ ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि पलवल के नागरिक अस्पताल में हीमोफीलिया का इलाज किया जाता है.
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प्रत्येक गुरुवार को हीमोफीलिया ओपीडी रहेगी एवं बच्चों के वार्ड में एक बेड हीमोफीलिया के बच्चों के लिए आरक्षित रहेगा. एक आशा वर्कर अपने सर्वे में हीमोफीलिया के बच्चों का भी मूल्यांकन करेगी. उन्होंने बताया कि हीमोफीलिया की बीमारी से पीड़ित बच्चों के आईकार्ड बनाए जाएंगे.
क्यों मनाया जाता है हीमोफीलिया दिवस
बता दें कि, 17 अप्रैल को विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाया जाता है. इसे मनाने का कारण यही है कि लोग इस बीमारी के बारे में जानें और इसके प्रति जागरूक हों. ये एक तरह का डिसऑर्डर है, जिससे खासतौर पर हमारे शरीर का खून प्रभावित होता है.
हीमोफीलिया से पीड़ित व्यक्ति को जब भी अंदरूनी या बाहरी चोट लगती है, तो उसका खून बहना रुकता नहीं. खून लगातार बहता रहता है और बहता हुआ रक्त जम नहीं पाता. इस दिवस को मनाने की शुरुआत 1989 से की गई. तब से यह हर साल 'वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया' (डब्ल्यूएफएच) के संस्थापक फ्रैंक कैनेबल के जन्मदिन यानी 17 अप्रैल के दिन मनाया जाता है.
इस बार ये है हीमोफीलिया दिवस की थीम
वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया के संस्थापक फ्रैंक केनेबल की 1987 में संक्रमित खून के कारण एड्स होने से मृत्यु हो गई थी. हर वर्ष इस दिवस की अलग थीम रखी जाती है. इस बार विश्व हीमोफीलिया दिवस की थीम 'एडाप्टिंग टू चेंज' रखी गई है.