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बल्लभगढ़ अनाज मंडी में किसानों को नहीं मिल रहा उचित दाम, देखें रिपोर्ट

हरियाणा में मुसीबत से जूझ रही मंडियों की पड़ताल करने के लिए ईटीवी भारत की टीम बल्लभगढ़ की अनाज मंडी का दौरा किया. ईटीवी भारत से बातचीत में किसानों ने मंडी को लेकर कई बड़े खुलासे किए. किसानों ने एमएसपी को लेकर सवाल उठाए और मौजूदा सरकार पर कई आरोप भी लगाए.

किसानों को नहीं मिल रहा उचित दाम
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Published : Nov 20, 2019, 11:04 PM IST

नई दिल्ली/फरीदाबाद: बल्लभगढ़ मंडी में लाखों क्विंटल धान पड़ा हुआ है लेकिन सरकार का इस तरफ ध्यान नहीं है. किसानों का साफ तौर से कहना है कि सरकार ने धान के रेट फिक्स करने के साथ-साथ ही एक-एक दाना खरीदने का दावा किया है, लेकिन उनके बासमती धान को नहीं खरीदा जा रहा है, जिसकी वजह से उन्हें औने पौने दामों में आढ़तियों को बेचना पड़ रहा है.

किसानों को नहीं मिल रहा उचित दाम

धान बेचने के लिए किसानों की जद्दोजहद जारी
किसानों का कहना है कि पहले तो उन्हें मौसम की मार झेलनी पड़ी, जिसकी वजह से उनकी पैदावार कम हुई उसके बाद पिछले साल जो धान 35 सो रुपये क्विंटल बिका था. वहीं इस बार ढाई हजार रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बिक रहा है. वो भी आढ़तियों के माध्यम से, जिसकी वजह से उन्हें धान की पैदावार में लगी लागत भी नहीं मिल पा रही है. किसानों का कहना है कि सरकार उनके धान के रेट फिक्स कर उसे भी खरीदे.

पिछले साल की तुलना में मिल रहा कम रेट
वहीं आढ़तियों का कहना है कि हमारे क्षेत्र में ज्यादातर 80% क्षेत्र में बासमती धान ही बोया जाता है, लेकिन सरकार इस तरफ ध्यान नहीं देती जिसकी वजह से किसानों को इसका नुकसान उठाना पड़ता है. इस धान को यहां से एक्सपोर्ट किया जाता है, इस बार एक्सपोर्टर बासमती धान में कोई रुचि नहीं दिखा रहे हैं. जिसकी वजह से किसानों को धान के रेट कम मिल रहे हैं.

अन्नदाता की हो रही दुर्गति
इतना ही नहीं किसानों के लिए मंडियों में प्रशासन के तमाम इंतजामों के दावे भी पूरी तरह से खोखले साबित हो रहे हैं. किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए मंडियों में कई-कई दिन इंतजार करना पड़ रहा है. जो सरकार किसानों को चुनाव के दौरान देश के लिए सबसे जरूरी बताती है और उनकी आय दोगुनी करने का वादा करती है लेकिन चुनाव के बाद वही किसान मंडी में अपने धान नहीं बेच पा रहा हैं.

नहीं मिल रहा उचित भाव
किसानों का आरोप है कि मंडी में आढ़तियों द्वारा मन मर्जी के भाव पर धान को खरीदा जा रहा है. किसानों को उनकी लागत से भी कम भाव दिया जा रहा है. कभी नमी तो कभी कुछ और कारण बताकर उनकी फसलों की खरीद में भी देरी की जा रही है. मंडी में अपनी फसलों को लेकर पहुंचे किसान धान की फसल की खरीद को लेकर मौजूदा सरकार को कोसते नजर आ रहे हैं.

नई दिल्ली/फरीदाबाद: बल्लभगढ़ मंडी में लाखों क्विंटल धान पड़ा हुआ है लेकिन सरकार का इस तरफ ध्यान नहीं है. किसानों का साफ तौर से कहना है कि सरकार ने धान के रेट फिक्स करने के साथ-साथ ही एक-एक दाना खरीदने का दावा किया है, लेकिन उनके बासमती धान को नहीं खरीदा जा रहा है, जिसकी वजह से उन्हें औने पौने दामों में आढ़तियों को बेचना पड़ रहा है.

किसानों को नहीं मिल रहा उचित दाम

धान बेचने के लिए किसानों की जद्दोजहद जारी
किसानों का कहना है कि पहले तो उन्हें मौसम की मार झेलनी पड़ी, जिसकी वजह से उनकी पैदावार कम हुई उसके बाद पिछले साल जो धान 35 सो रुपये क्विंटल बिका था. वहीं इस बार ढाई हजार रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बिक रहा है. वो भी आढ़तियों के माध्यम से, जिसकी वजह से उन्हें धान की पैदावार में लगी लागत भी नहीं मिल पा रही है. किसानों का कहना है कि सरकार उनके धान के रेट फिक्स कर उसे भी खरीदे.

पिछले साल की तुलना में मिल रहा कम रेट
वहीं आढ़तियों का कहना है कि हमारे क्षेत्र में ज्यादातर 80% क्षेत्र में बासमती धान ही बोया जाता है, लेकिन सरकार इस तरफ ध्यान नहीं देती जिसकी वजह से किसानों को इसका नुकसान उठाना पड़ता है. इस धान को यहां से एक्सपोर्ट किया जाता है, इस बार एक्सपोर्टर बासमती धान में कोई रुचि नहीं दिखा रहे हैं. जिसकी वजह से किसानों को धान के रेट कम मिल रहे हैं.

अन्नदाता की हो रही दुर्गति
इतना ही नहीं किसानों के लिए मंडियों में प्रशासन के तमाम इंतजामों के दावे भी पूरी तरह से खोखले साबित हो रहे हैं. किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए मंडियों में कई-कई दिन इंतजार करना पड़ रहा है. जो सरकार किसानों को चुनाव के दौरान देश के लिए सबसे जरूरी बताती है और उनकी आय दोगुनी करने का वादा करती है लेकिन चुनाव के बाद वही किसान मंडी में अपने धान नहीं बेच पा रहा हैं.

नहीं मिल रहा उचित भाव
किसानों का आरोप है कि मंडी में आढ़तियों द्वारा मन मर्जी के भाव पर धान को खरीदा जा रहा है. किसानों को उनकी लागत से भी कम भाव दिया जा रहा है. कभी नमी तो कभी कुछ और कारण बताकर उनकी फसलों की खरीद में भी देरी की जा रही है. मंडी में अपनी फसलों को लेकर पहुंचे किसान धान की फसल की खरीद को लेकर मौजूदा सरकार को कोसते नजर आ रहे हैं.

Intro:फरीदाबाद
एंकर--- सूबे की सरकार एक तरफ जहां किसानों के परमल धान का एक-एक दाना खरीदने का दावा कर रही है वहीं दूसरी तरफ फरीदाबाद और पलवल जिले में 80% क्षेत्र में बोए जाने वाली बासमती धान को नहीं खरीदा जा रहा है जिसकी वजह से किसान आढ़तियों को अपने धान को औने पौने दाम में बेच रही हैं किसान सरकार से मांग कर रहे हैं कि उनके धान का सरकारी रेट फिक्स किया जाए दिखाई दे रहा यह नजारा बल्लभगढ़ मंडी का है जहां लाखों क्विंटल धान पड़ा हुआ है लेकिन सरकार का इस तरफ ध्यान नहीं है किसानों का साफ तौर से कहना है कि सरकार ने परमल धान के रेट फिक्स करने के साथ-साथ ही एक-एक दाना खरीदने का दावा किया है लेकिन उनके बासमती धान को नहीं खरीदा जा रहा है जिसकी वजह से उन्हें औने पौने दामों में आढ़तियों को बेचना पड़ रहा है किसानों का कहना है कि पहले तो उन्हें मौसम की मार झेलनी पड़ी जिसकी वजह से उनकी पैदावार कम हुई उसके बाद पिछले साल जो धान 35 सो रुपए क्विंटल बिका था वह इस बार ढाई हजार रुपे क्विंटल तक बिक रहा है और वह भी आढ़तियों के माध्यम से जिसकी वजह से उन्हें धान की पैदावार की लागत भी नहीं मिल पा रही है किसानों का कहना है कि सरकार उनके धान के रेट फिक्स कर उसे भी खरीदें महारथियों का मानना है कि हमारे क्षेत्र में ज्यादातर 80% क्षेत्र में बासमती धान ही बोया जाता है लेकिन सरकार इस तरफ ध्यान नहीं देती जिसकी वजह से किसानों को इसका नुकसान उठाना पड़ता है इस धान को यहां से एक्सपोर्ट किया जाता है इस बार एक्सपोर्टर बासमती धान में कोई रुचि नहीं दिखा रहे हैं जिसकी वजह से किसानों को धान के रेट कम मिल रहे हैं सरकार की तरफ से बासमती चावल का मूल्य 2781 प्रति क्विंटल रखा गया है लेकिन किसानों को निजी खरीददार2400 रुपए से लेकर 2800 रुपए तक का रेट दे रहे हैं ज्यादातर किसानों को 2500 का भाव मिल रहा है जिससे किसानों को सीधा नुकसान जा रहा है किसानों ने बताया कि पिछले साल जब उन्होंने बासमती चावल को बेचा था तो उनको 3700 रुपए का भाव मिला था लेकिंन इस बार पूरा मामला उलट हो रहा है ना तो कोई सरकारी एजेंसी उनके बासमती चावल को खरीदने आ रही है ना ही किसी अन्य प्रकार की सहायता मार्केट कमेटी या प्रशासन की तरफ से उनको मिल रही है उन्होंने कहा कि जितनी लागत लगाकर वह बासमती चावल होगा रहे हैं इतनी कीमत भी उनको यहां पर नहीं मिल पा रही है किसानों की मांग है कि जिस तरह से सरकार ने परमल की खरीददारी ताकि उसी हिसाब से बासमती चावल की खरीदारी भी तय होनी चाहिए ताकि किसानों का सारा बासमती धान बिक सके मंडी में आढ़ती ने बताया कि किसानों को सच्चाई में कम भाव मिल रहा है क्योंकि बासमती चावल देश से बाहर भेजा जाता है लेकिन इस बार शायद चावल बाहर नहीं भेजा जा रहा है जिस कारण इसकी खरीद नहीं की जा रही है उन्होंने कहा कि निजी खरीदार किसानों से ओने पौने दामों पर चावल खरीद रहे हैं बल्लमगढ़ की अनाज मंडी में 75000 क्विंटल परमल धान की खरीद की जा चुकी है जबकि 200000 से भी ज्यादा क्विंटल बासमती चावल मंडी में बिना खरीद के रखा हुआ है

बाईट--किसान
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