नई दिल्ली/यमुनानगरः हरियाणा में हर साल लगने वाला इंटरनेशनल सूरजकुंड क्राफ्ट मेला 1 फरवरी से फरीदाबाद में शुरू होगा. ये 34वां मेला है. 34वां सूरजकुंड मेला 2020 के लिए थीम राज्य हिमाचल प्रदेश है.
प्रदेश के पर्यटन मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने बताया कि सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में इस बार थीम स्टेट हिमाचल प्रदेश होगा, जबकि उज्बेकिस्तान पार्टनर-कंट्री के रूप में भागीदारी करेगा. पर्यटन मंत्री की ओर से जारी बयान में बताया गया कि मेला परिसर में बनाए जाने वाले अपना घर में हिमाचल राज्य से एक परिवार आकर ठहरेगा, जो अपनी संस्कृति को प्रदर्शित करेगा.
1 से 17 फरवरी तक मेले का आयोजन
हरियाणा के पर्यटन मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने बताया कि हरियाणा के फरीदाबाद में हर साल तरह 1 से 17 फरवरी 2020 तक सूरजकुंड क्राफ्ट मेले का आयोजन किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस बार उज्बेकिस्तान पार्टनर-कंट्री के रूप में भागीदारी करेगा. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश थीम-स्टेट के तौर पर हिस्सा लेगा. उन्होंने बताया कि 18 से ज्यादा देश इस मेले में हिस्सा लेंगे और वहां आने और स्टॉल लगाने वालों की तादाद काफी ज्यादा है. स्थिति ये है कि अगर उनके पास एक हजार स्टोल है तो डिमांड एक लाख की है.
क्यों चुना गया हिमाचल को थीम स्टेट
पर्यटन मंत्री ने बताया कि थीम-स्टेट के तौर पर हिमाचल प्रदेश चुने जाने के कारण हिमाचल के मैक्लॉडगंज और मनाली सहित वहां के 10 अन्य पर्यटन केंद्रों की छटा देखने को मिलेगी. इनमें चंबा घाटी, कुल्लू मनाली, धर्मशाला, कांगड़ा भी प्रदर्शित किए जाएंगे.
उन्होंने बताया कि हिमाचल के कलाकार ही यहां आकर मेला परिसर को सजाने का काम करेंगे. हिमाचल के पहाड़ी लोकनृत्य भी काफी प्रसिद्ध हैं. मेले की चौपाल पर जहां हिमाचल के पहाड़ी लोकनृत्यों को पेश किया जाएगा वहीं हिमाचल के 20 से अधिक तरह के खानपान की स्टाल लगाई जाएगी.
18 देश लेंगे हिस्सा
हिमाचल को दूसरी बार थीम स्टेट के रूप में शामिल किया जा रहा है. इससे पहले हिमाचल को 1996 में थीम-स्टेट बनाया गया था, जबकि पार्टनर कंट्री उज्बेकिस्तान वर्ष 1991 तक सोवियत संघ का एक घटक था. उज्बेकिस्तान के प्रमुख शहरों में वहां की राजधानी ताशकंद के अलावा समरकंद तथा बुखारा की विशेष संस्कृति के भी मेला परिसर में दर्शन होंगे. वहीं मेले में करीब 18 देश हिस्सा लेंगे. सभी देशों के रंग भी इस मेले में देखने को मिलेंगे.
हिमाचली रंग में रंगेगा मेला
हिमाचल के पहाड़ी लोकनृत्य भी काफी प्रसिद्ध है. मेले की चौपाल पर हिमाचल के पहाड़ी लोकनृत्य कलाकारों द्वारा पेश किए जाएंगे. हिमाचल के नाटी, कथड़ी, घुघटी, बिड़सु, दानव नृत्य, बाक्यांग, कायांग, बानाचंयु पहाड़ी नृत्य किए जाते हैं. ये सभी नृत्य लोकसंस्कृति से जुड़े हुए हैं. खुशी के अलग-अलग मौकों पर इन नृत्यों को पेश किया जाता है. वहीं हिमाचल के 20 से अधिक तरह के खानपान की स्टाल मेले में लगाई जाएगी, ताकि दुनिया भर से आने वाले पर्यटक वहां का स्थानीय खानपान का स्वाद भी ले सके.
क्या है मेले में खास?
सूरजकुंड मेले में देश की संस्कृति और लोक कलाओं को देखने के अलावा शॉपिंग के भी कई सारे ऑप्शन होते हैं. यहां हैंडीक्राफ्ट्स और हैंडलूम की भरमार होती है. यह चीजें आपको बाहर मार्किट में मिलना मुश्किल है. इन्हें आप सस्ते दामों में खरीद सकते हैं. मेले में संगीत कार्यक्रम भी समय समय पर होते रहते हैं. इस बार उन पर्यटकों को मेले का मजा आने वाला है, जो विशेष कलाकृतियों में रुचि रखते हैं क्योंकि उन्हें यहां हिमाचल प्रदेश के कारीगरों द्वारा बनाई गई समृद्ध संस्कृति, परंपराओं और विशेष कलाकृतियां देखने को मिलेंगी.