नई दिल्ली/पलवल: विधायक दीपक मंगला ने नगर परिषद द्वारा घर-घर से कूड़ा इकट्ठा करने वाली 10 गाड़ियों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया, लेकिन इन गाड़ियों की हालत देखकर लगता है कि सिर्फ खानापूर्ति की गई है. इनमें से ज्यादातर गाड़ियां पूरी तरह से कंडम में हैं. उनके टीन और लोही की पत्तियां पूरी तरहे से गली हुई हैं. कईयों में ना तो हाइड्रोलिक प्रेशर है और ना ही जीपीएस सिस्टम, यहां तक कि कई गाड़ियों पर तो नंबर प्लेट भी नहीं है. जब इस बारे में पलवल नगर परिषद के जेई दिगंबर सिंह से बात की तो वो इन सभी आरोपों को नकारते दिखे, लेकिन तस्वीरों में आप साफ-साफ देख सकते हैं. क्योंकि तस्वीरें कभी झूठ नहीं बोलती.
नगर परिषद नियमों को ताक पर रखकर टेंडर के नियमों की अनदेखी कर रह है. बिना ढके कूड़े डालने पर नगर परिषद 100 रुपये प्रति चक्कर जुर्माना कर सकता है, लेकिन यहां तो खुलेआम नियमों की अवहेलना हो रही है. अभी तक किसी का एक रुपये का भी चालान नहीं किया गया. बिना ढके ही कूड़े डंपिंग स्टेशन भेजा जा रहा है. जिसकी वजह से लोगों को बीमारियों को भय सताने लगा है.
साथ ही कई कॉलोनियां तो ऐसी हैं, जिनसे कूड़ा भी नहीं उठाया जा रहा है. नियमों के अनुसार किसी कॉलोनी से अगर कूड़ा नहीं उठाया जाता तो नगर परिषद पहले दिन फर्म पर 2500 और फिर भी ना उठाने पर दूसरे दिन 5000 रुपये जुर्माना लगा सकता है, लेकिन यहां तो ना तो जुर्माना वसूलने वालों को किसी की परवाह है और ना ही नियम तोड़ने वालों को किसी का डर. इस मामले को लेकर जब विधायक दीपक मंगला से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि इस मामले में जांच होगी और जो दोषी होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी, अगर जरूरत पड़ी तो ठेकेदार का टेंडर भी रद्द कर दिया जाएगा.
विधायक भी कार्रवाई की बात कहकर निकल गए, लेकिन किस पर कार्रवाई जब खुद ने ही कंडम गाड़ियां को हरी झंडी दिखाई तो पहले ही नियमों के बारे में सोचना चाहिए था. फिलहाल गंदगी की वजह से पलवल जिले की जो तस्वीर बन रही है, वो आपके सामने है. यहां उठती बदबू और सड़कों पर बने कूड़े के ढेरों से लोगों का जीना मुहाल है.