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लॉकडाउन 2.0: पलवल में भूखे सोने को मजबूर घुमंतू जाति के लोग - people are sleeping hungry

लॉकडाउन घुमंतू जाति के लोगों पर मुसीबत का पहाड़ बन कर टूटा है. लॉकडाउन से इस लोगों का कामकाज बंद हो गया है. इन लोगों को अब भूखा सोना पड़ रहा है.

nomadic people are sleeping hungry in palwal
भूखे सोने को मजबूर घुमंतू जाति के लोग
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Published : Apr 20, 2020, 7:44 PM IST

नई दिल्ली/पलवल: लॉकडाउन कुछ लोगों के लिए कितना भारी साबित हो रहा है. इसका एक जीता जागता उदाहरण पलवल की पंचवटी कॉलोनी मोड़ स्थित सड़क किनारे झुग्गियों में रह रहे घुमंतू जाति के लोगों में देखने को मिला.

भूखे सोने को मजबूर घुमंतू जाति के लोग

घुमंतू जाति के लोगों का कहना है कि कुछ कार सवार लोग उन्हें दो दिन पहले खाने में केवल खिचड़ी देकर गए थे. लॉकडाउन के दौरान कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अन्न के दाने -दाने को तरसते नजर आ रहे हैं. दुकानदारों ने उधार देना बंद कर दिया पहले से ही सड़क किनारे झुग्गियों में रहने वाले इन लोगों का दर्द लॉकडाउन में और बढ़ गया.

सिल-बट्टे बिकने भी बंद हो गए

पूरे दिन की मेहनत मजदूरी के बाद दो जून की रोटी कमाना पहले ही इन पर भारी था, उत्तरप्रदेश जिला बुलंदशहर निवासी के लोगों का कहना है कि वो पिछले कई महीनों से पलवल की पंचवटी कॉलोनी की झुग्गियां में रह रहे हैं और सिल-बट्टे बेचकर जैसे - तैसे अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे थे. लेकिन जब से देशभर में लॉकडाउन लगा दिया है. तब से उनके सिल-बट्टे बिकने भी बंद हो गए हैं. अब ऐसे में उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

उनका कहना है कि पहले वो परचून की दुकानों से घर का सामान उधार लेकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे थे. लेकिन अब दुकानदारों ने भी उन्हें उधार देने से बंद कर दिया. अब ऐसे में उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि वो कैसे अपने परिवार का पालन पोषण करें. उनका कहना है कि उन्हें कई बार तो भूखा भी सोना पड़ रहा है. लेकिन बावजूद इसके सरकार या प्रशासन द्वारा उनकी किसी तरह की कोई मदद नहीं की जा रही है.

नई दिल्ली/पलवल: लॉकडाउन कुछ लोगों के लिए कितना भारी साबित हो रहा है. इसका एक जीता जागता उदाहरण पलवल की पंचवटी कॉलोनी मोड़ स्थित सड़क किनारे झुग्गियों में रह रहे घुमंतू जाति के लोगों में देखने को मिला.

भूखे सोने को मजबूर घुमंतू जाति के लोग

घुमंतू जाति के लोगों का कहना है कि कुछ कार सवार लोग उन्हें दो दिन पहले खाने में केवल खिचड़ी देकर गए थे. लॉकडाउन के दौरान कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अन्न के दाने -दाने को तरसते नजर आ रहे हैं. दुकानदारों ने उधार देना बंद कर दिया पहले से ही सड़क किनारे झुग्गियों में रहने वाले इन लोगों का दर्द लॉकडाउन में और बढ़ गया.

सिल-बट्टे बिकने भी बंद हो गए

पूरे दिन की मेहनत मजदूरी के बाद दो जून की रोटी कमाना पहले ही इन पर भारी था, उत्तरप्रदेश जिला बुलंदशहर निवासी के लोगों का कहना है कि वो पिछले कई महीनों से पलवल की पंचवटी कॉलोनी की झुग्गियां में रह रहे हैं और सिल-बट्टे बेचकर जैसे - तैसे अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे थे. लेकिन जब से देशभर में लॉकडाउन लगा दिया है. तब से उनके सिल-बट्टे बिकने भी बंद हो गए हैं. अब ऐसे में उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

उनका कहना है कि पहले वो परचून की दुकानों से घर का सामान उधार लेकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे थे. लेकिन अब दुकानदारों ने भी उन्हें उधार देने से बंद कर दिया. अब ऐसे में उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि वो कैसे अपने परिवार का पालन पोषण करें. उनका कहना है कि उन्हें कई बार तो भूखा भी सोना पड़ रहा है. लेकिन बावजूद इसके सरकार या प्रशासन द्वारा उनकी किसी तरह की कोई मदद नहीं की जा रही है.

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