नई दिल्ली/पलवल: सरकार लगातार किसान की आय दोगुनी करने के दावे कर रही है, इसी को लेकर सरकार तीन कृषि कानून लेकर आई है, लेकिन क्या किसानों की आय दोगुनी हुई, ये आज भी सवाल बना हुआ है. उलट इसके किसान आज भी दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं.
कृषि कानूनों को लेकर देशभर में चल रहे विवाद पर सरकार लगातार दावे कर रही है कि किसानों की फसल एमएसपी पर खरीदी जा रही है, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कोसों दूर है. पलवल की मंडियों में किसान धक्के खाने को मजबूर हैं. उनको उनकी फसल का उचित रेट भी नहीं मिल रहा है.
मंडी में अपनी फसल को लेकर आए किसान धोर सिंह, राजेंद्र और गौरव ने बताया कि सरकार द्वारा निर्धारित धान की परमल (पीआर) किस्म की फसल की प्रति क्विंटल खरीद के लिए ग्रेड-ए के लिए एमएसपी 1888 रुपये और ग्रेड-बी के लिए 1860 रुपये और कपास के लिए 5725 रुपये निर्धारित किए हुए हैं, लेकिन अनाजमंडी धान की परमल किस्म 1250 से लेकर 1750 रुपये तक खरीद की जा रही है. यही हाल कपास और बाजरे का है.
किसानों का कहना है कि धान की 1509 किस्म जो पहले कभी 2500 रुपये तक खरीदी जाती थी, वो भी अब 1750 से लेकर 1850 रुपये में खरीदी जा रही है. बाजरे की फसल के लिए जिन किसानों के रजिस्ट्रेशन हो गए थे, उनकी 2150 रुपये और बाकियों के औने-पौने दामों मिल रहे हैं. जिसकी वजह से किसान काफी निराश हैं.