नई दिल्ली/फरीदाबाद: कोरोना वायरस से लगे लॉकडाउन की वजह से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई हैं. जन्म के बाद बच्चों को लगने वाले जीवन रक्षक टीकाकरण अभियान की गति में कमी दर्ज की गई है. फरीदाबाद जिले की अगर बात की जाए तो इस साल 52 हजार बच्चों का टीकाकरण करने का लक्ष्य रखा गया. लेकिन कोविड-19 की वजह से अभी तक 23 हजार बच्चों का ही टीकाकरण हो पाया है.
टीकाकरण की रफ्तार हुई धीमी
टीकाकरण का जिम्मा एएनएम और आशा वर्कर समेत आंगनवाड़ी वर्कर्स के कंधों पर हैं. आंगनबाड़ी वर्कर ने बताया कि कंटेंनमेंट जोन और रेड जोन में काम करना काफी चुनौतिपूर्ण रहा. टीकाकरण की बागडोर संभाल रहे फरीदाबाद स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी सीएमओ डॉक्टर रमेश चंद्र ने बताया कि इस महामारी के दौर में टीकाकरण की रफ्तार धीमी हुई है. 1 महीने में पहले 1450 सेशन लगते थे. कोविड-19 की वजह से ये आंकड़ा 1200 रह गया.
परिवहन की कमी होने की वजह से गर्भवती महिलाएं टीकाकरण केंद्र तक नहीं पहुंच पाई. जिसकी वजह से स्वास्थ्य विभाग ने एएनएम, आशा वर्कर और आंगनबाड़ी वर्कर्स ड्यूटी लगाई. इन्होंने घर-घर जाकर बच्चों का टीकाकरण किया. कंटेनमेंट जोन वाले इलाकों में टीकाकरण करना एएनएम, आशा और आंगनबाड़ी वर्कर्स के लिए बड़ी चुनौती थी. क्योंकि ना तो इन इलाकों में आने की इजाजत थी और ना जाने की.
स्वास्थ्य विभाग की तरफ से उनको स्पेशल पास और सुरक्षा के सारे उपकरण दिए गए. ताकि उनका स्टाफ संक्रमण से बच सके. सरकारी गाड़ियों की मदद से गर्भवती महिलाओं को टीका लगवाने के लिए अस्पताल लाया गया. स्वास्थ्य विभाग ने उम्मीद जताई है कि सब कुछ सही रहा तो इस अभियान में तेजी लाई जाएगी.
टीकाकरण क्या है?
टीकाकरण हमारे शरीर में टीके यानी वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया है, ताकि शरीर में रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करने के लिए एंटीबॉडी का उत्पादन हो सके. वैक्सीन मुंह से या इंजेक्शन के जरिए दी जा सकती है.
बच्चों को टीकाकरण की आवश्यकता क्यों होती है?
टीकाकरण का उद्देश्य बच्चों को बीमारियों के संक्रमण से बचाना है. उम्र बढ़ने के साथ-साथ बच्चों को अलग-अलग टीके लगाए जाते हैं. जिसकी वजह से बच्चों में बीमारियों के संक्रमण का खतरा कम हो जाता है.