नई दिल्ली/फरीदाबाद: 1 फरवरी को आने वाले आम बजट में फरीदाबाद के उद्योगपति औद्योगिक सेक्टर को बढ़ावा देने की मांग करते दिखाई दे रहे हैं. उद्योगपतियों का साफ तौर से कहना है कि जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को आम बजट पेश करेंगी तो उन्हें ऑटो सेक्टर में चल रही मंदी से उभारने की कोशिश करनी चाहिए.
एक्सपोर्ट में छूट मिलनी चाहिए- एक्सपर्ट
इसके अलावा रोजगार बढ़ाने के लिए गारमेंट्स इंडस्ट्री को एक्सपोर्ट में छूट मिले तो देश में रोजगार बढ़ने के अवसर पैदा होंगे हालांकि उद्योगपतियों ने इस बार के बजट में से काफी उम्मीदें लगाई हुई है. उनका कहना है कि वे उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार के बजट से औद्योगिक सेक्टर को राहत देने के साथ-साथ आम आदमी को भी फायदा मिलेगा. उद्योगपतियों ने भी इस बात को माना कि औद्योगिक क्षेत्र में जहां उत्पादन घट रहा है तो वहीं ऑटो सेक्टर भी मंदी की मार झेल रहा है. इसके अलावा गारमेंट इंडस्ट्री में मंदी के चलते देश में रोजगार के अवसर नहीं बढ़ पा रहे हैं.
कॉस्ट ऑफ केमिस्ट्री काफी ज्यादा है- ऑटो सेक्टर एक्सपर्ट
ऑटो सेक्टर और इंडस्ट्री से जुड़े कारोबारियों और उद्योगपतियों का कहना है कि उनको कई सारी उम्मीदें इस बजट से हैं. उन्होंने कहा कि आज ऑटो सेक्टर और इंडस्ट्री मंदी की चपेट में है इसका बड़ा कारण ये है कि कॉस्ट ऑफ केमिस्ट्री काफी ज्यादा है और ब्याज दर काफी ज्यादा है जिस कारण वश प्रोडक्ट की कॉस्ट बढ़ रही है.
'कंपनियों को रेगुलर एरिया में शिफ्ट करें'
उन्होंने कहा कि फरीदाबाद में मदर यूनिट नहीं है जिस कारण यहां के उद्योगपतियों को गुजरात, कोलकाता, कानपुर इत्यादि जैसे दूसरे राज्यों में अपना माल बेचना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि फरीदाबाद में 24,000 छोटी कंपनी है और वह चाहते हैं कि इन कंपनियों को रेगुलर एरिया में किया जाए. उन्होंने कहा कि जीडीपी में बढ़ोतरी होनी चाहिए और इस बजट में इन्वेस्टमेंट होनी चाहिए क्योंकि इन्वेस्टमेंट होने से कंपनियां बढ़ेंगी और नए रोजगार पैदा होंगे.
'ऑटो सेक्टर में ब्याज दर कम होनी चाहिए'
उन्होंने कहा कि ऑटो सेक्टर में ब्याज दर कम होनी चाहिए ताकि लोगों को स्टार्ट अप करने का मौका मिले और इंडस्ट्रीज के लिए सब्सिडी ज्यादा मिलने चाहिए ताकि इंडस्ट्रीज में ज्यादा से ज्यादा इन्वेस्ट हो सके उन्होंने कहा कि फरीदाबाद के लिए मदद यूनिट की मांग काफी पुरानी है और अगर मदर यूनिट आती है तो यहां की छोटी बड़ी कंपनियों को माल बनाने का मौका मिलेगा और रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे.