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भू-माफियाओं की 'काली नजर' में अरावली की पहाड़ियां, ऐसे हो रहा 'चीरहरण' - Aravali hills

जिले में खनन माफिया धड़ल्ले से पांव पसार रहे हैं और अवैध निर्माण करवा रहे हैं. अब भू-माफिया अवैध रूप से लोगों को यहां फ्लैट बनाकर बेच रहे हैं.

भू-माफियाओं की 'काली नजर' में अरावली की पहाड़ियां, ऐसे हो रहा 'चीरहरण'
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Published : Mar 21, 2019, 9:04 AM IST

Updated : Mar 21, 2019, 10:46 AM IST

नई दिल्ली/फरीदाबाद: सुप्रीम कोर्ट में पीएलपीए के संशोधन मामले में फटकार के बाद भी अरावली की पहाड़ियों पर धड़ल्ले से अवैध निर्माण जारी है. इस मामले को लेकर अभी भी अधिकारी चेते नहीं है. ये अवैध निर्माण उस जगह हो रहा हैजहां से कभी माइनिंग के पत्थर निकाले जाते थे. जिसके चलते वहां 200 फीट गहरी खान बन गई.

भू-माफियाओं की 'काली नजर' में अरावली की पहाड़ियां, ऐसे हो रहा 'चीरहरण'

साल 1992 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फरीदाबाद के इस इलाके में खनन पर प्रतिबंध लगा दिया था. बावजूद इसके ये जगह भू-माफियाओं की काली नजर से नहीं बचपाया. अब भू-माफिया अवैध रूप सेलोगों को यहां फ्लैट बनाकर बेच रहे हैं.

अधिकारी कुछ भी बताने को तैयार नहीं
इतने बड़े पैमाने पर अरावली में हो रहे चीरहरण के बारे में जब ETV BHARAT की टीम को पता चलातो हमने के माइनिंग अधिकारी, फॉरेस्ट अधिकारी, MCF कमिश्नर से इसके बारे में पूछा लेकिन सभी अधिकारी साफ-साफ कुछ बताने की बजाय एक दूसरे विभाग पर बात को टालते नजर आए.

भू-माफियाओं की 'काली नजर' में अरावली की पहाड़ियां, ऐसे हो रहा 'चीरहरण'

प्रॉपर्टी डीलर का गोल-मोल जवाब
वहीं जब प्रॉपर्टी डीलर से इस बारे में बात की गई वो सारी बातों का गोल-मोल जवाब देने लगा और कहा कि यहां पर वो फ्लैट बना रहे हैं और ये जगह किसी खरबंदा नाम के शख्स से खरीदी गई थी. इतना ही नहीं ये फ्लैट सरकार और नगर निगम के बायलॉज के हिसाब से ही बना रहे हैं.

नई दिल्ली/फरीदाबाद: सुप्रीम कोर्ट में पीएलपीए के संशोधन मामले में फटकार के बाद भी अरावली की पहाड़ियों पर धड़ल्ले से अवैध निर्माण जारी है. इस मामले को लेकर अभी भी अधिकारी चेते नहीं है. ये अवैध निर्माण उस जगह हो रहा हैजहां से कभी माइनिंग के पत्थर निकाले जाते थे. जिसके चलते वहां 200 फीट गहरी खान बन गई.

भू-माफियाओं की 'काली नजर' में अरावली की पहाड़ियां, ऐसे हो रहा 'चीरहरण'

साल 1992 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फरीदाबाद के इस इलाके में खनन पर प्रतिबंध लगा दिया था. बावजूद इसके ये जगह भू-माफियाओं की काली नजर से नहीं बचपाया. अब भू-माफिया अवैध रूप सेलोगों को यहां फ्लैट बनाकर बेच रहे हैं.

अधिकारी कुछ भी बताने को तैयार नहीं
इतने बड़े पैमाने पर अरावली में हो रहे चीरहरण के बारे में जब ETV BHARAT की टीम को पता चलातो हमने के माइनिंग अधिकारी, फॉरेस्ट अधिकारी, MCF कमिश्नर से इसके बारे में पूछा लेकिन सभी अधिकारी साफ-साफ कुछ बताने की बजाय एक दूसरे विभाग पर बात को टालते नजर आए.

भू-माफियाओं की 'काली नजर' में अरावली की पहाड़ियां, ऐसे हो रहा 'चीरहरण'

प्रॉपर्टी डीलर का गोल-मोल जवाब
वहीं जब प्रॉपर्टी डीलर से इस बारे में बात की गई वो सारी बातों का गोल-मोल जवाब देने लगा और कहा कि यहां पर वो फ्लैट बना रहे हैं और ये जगह किसी खरबंदा नाम के शख्स से खरीदी गई थी. इतना ही नहीं ये फ्लैट सरकार और नगर निगम के बायलॉज के हिसाब से ही बना रहे हैं.

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नई दिल्ली/फरीदाबाद: सुप्रीम कोर्ट में पीएलपीए के संशोधन मामले में फटकार के बाद भी अरावली की पहाड़ियों पर धड़ल्ले से अवैध निर्माण जारी है. इस मामले को लेकर अभी भी अधिकारी चेते नहीं है. ये अवैध निर्माण उस जगह हो रहा है. जहां से कभी माइनिंग के पत्थर निकाले जाते थे. जिसके चलते वहां 200 फीट गहरी खान बन गई.



सन् 1992 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फरीदाबाद के इस इलाके में खनन पर प्रतिबंध लगा दिया था. बावजूद इसके ये जगह भू-माफियाओं की काली नजर से नहीं बचा पाया. अब भू-माफिया अवैध रूप से लोगों को यहां फ्लैट बनाकर बेच रहे हैं.  



अधिकारी कुछ भी बताने को तैयार नहीं

इतने बड़े पैमाने पर अरावली में हो रहे चिरहरण के बारे में जब ETV BHARAT की टीम को पता चला. तो हमने के माइनिंग अधिकारी, फारेस्ट अधिकारी, MCF कमिश्नर से इसके बारे में पूछा लेकिन सभी अधिकारी साफ-साफ कुछ बताने की बजाय एक दूसरे विभाग पर बात को टालते नजर आए.



प्रॉपर्टी डीलर का गोल-मोल जवाब

वहीं जब प्रॉपर्टी डीलर से इस बारे में बात की गई वो सारी बातों का गोल-मोल जवाब देने लगा और कहा कि यहां पर वो फ्लैट बना रहे हैं और ये जगह किसी खरबंदा नाम के शख्स से खरीदी गई थी. इतना ही नहीं ये फ्लैट सरकार और नगर निगम के बायलॉज के हिसाब से ही बना रहे हैं.

 


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Last Updated : Mar 21, 2019, 10:46 AM IST
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