नई दिल्ली/फरीदाबाद: कोरोना काल में हेल्थ सर्वे में जुटी आशा वर्कर्स ने शुक्रवार प्रदेश में 3 दिवसीय हड़ताल का ऐलान किया है. हड़ताल के पहले दिन सभी आशा वर्कर अपने काम पर जाने के बजाय नागरिक अस्पताल में धरने पर बैठ गई और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.
इस दौरान उन्होंने सरकार से अपनी मांगों को पूरा करने की गुहार भी लगाई. इस तीन दिवसीय हड़ताल से जिलों में चल रहे हेल्थ सर्वे पर भी असर पड़ सकता है. ये आशा वर्कर्स हड़ताल के तीसरे दिन जेल भरो आंदोलन भी करेंगी.
आशा वर्कर्स की मांगें
- एक्टिविटी प्रोग्राम में की गई 50 प्रतिशत कटौती को लागू किया जाए.
- कोविड-19 में काम कर रही आशाओं को जोखिम भत्ते के तौर पर 4000 रुपये दिए जाएं.
- कोविड-19 के लिए दिए जा रहे 1000 रु प्रोत्साहन राशि का 50% दिया जाए.
- गंभीर रूप से बीमार और दुर्घटना की शिकार आशाओं को सरकार के पैनल अस्पतालों में इलाज की सुविधा दी जाए.
- आशाओं को समुदायिक स्तरीय स्थाई कर्मचारी बनाया जाए. जब तक पक्का कर्मचारी नहीं बनाया जाता तब तक हरियाणा सरकार का न्यूनतम वेतन दिया जाए और इसे महंगाई भत्ते के साथ जोड़ा जाए.
- ईएसआई एवं पीएफ की भी सुविधा दी जाए.
- आशा वर्कर्स को हेल्थ वर्कर का दर्जा दिया जाए. 21 जुलाई को जारी किए गए नोटिफिकेशन के सभी बचे हुए निर्णय को लागू किया जाए.
आशा वर्कर्स ने सरकार को बड़े आंदोलन की चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि सरकार ने अगर समय रहते उनकी ये मांगें नहीं मानी तो वे बड़ा आंदोलन करेंगी. साथ ही आशा वर्कर्स का कहना है कि 7 और 8 अगस्त को वो हड़ताल पर हैं और 9 को जेल भारो आंदोलन केरंगी. अगर सरकार ने उनकी बात नहीं मानी तो ये हड़ताल आगे भी बढ़ाई जा सकती है.