नई दिल्ली: बुराड़ी विधानसभा की शंकरपुरा बस्ती के लोग पिछले 10 साल से अपनी प्यास बुझाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. यहां हफ्ते में एक बार टैंकर से पानी आता है और यही एकमात्र साधन है जहां से लोगों को पीने का पानी मिलता है.
यहां रोज बस्ती के लोगों में पीने के पानी के लिए जद्दोजहद होती है. कभी-कभी तो लोगों में आपस में मारपीट और छीनाझपटी तक की नौबत आ जाती है. ईटीवी की टीम जब वहां पहुंची तो ऐसा ही नजारा वहां देखने को मिला.
पिछले 10 साल से झेल रहा है शंकरपुरा
शंकरपुरा के रहने वाले वीरू प्रधान ने बताया कि यहां रोज के यही हालात हैं. वे पिछले 10 सालों से ये समस्या झेल रहे हैं. उन्होंने बताया कि 10 साल पहले यहां पाइपलाइन से पानी की आपूर्ति की जाती थी. वीरू ने बताया कि 10 साल पहले जिले सिंह चौहान बुराड़ी विधानसभा से विधायक हुआ करते थे.
टैंकर का पानी ही एकमात्र सहारा है यहां
उन्होंने ही बस्ती में ये पाइपलाइन लगाई थी. लेकिन वो खराब हो गया और तब से लेकर ये बस्ती पानी के लिए रोज संघर्ष करती है. वीरू प्रधान ने ये भी बताया कि अभी पांच महीने पहले ही निगम पार्षद अनिल त्यागी ने पाइपलाइन लगवाई थी लेकिन उसमें या तो पानी नहीं आता या फिर गंदा पानी आता है.
लोगों में हो जाती है मारपीट-छीनाझपटी
बस्ती में अपनी जिंदगी का काफी अरसा गुजारने वाले वीरू राम ने बताया कि, पाइपलाइन खराब होने के बाद 10 सालों तक उसपे कोई काम नहीं हुआ. स्थानीय निगम पार्षद ने जो पाइपलाईन लगवाई वो शंकरपुरा जैसी बड़ी आबादी के लिए नाकाफी है. उन्होंने बताया कि यहां हफ्ते में एक बार ही टेंकर आता है जिसकी वजह से लोगों में छीना-झपटी तक हो जाती है.
लोगों ने बताया कि, पानी भरने के लिए सुबह तीन बजे ही उठ जाना पड़ता है. इसके बाद सुबह के सात-आठ बजे तक लड़ाई चलती है.
कोई जनप्रतिनिधि झांकने तक नहीं आया
एक बुजुर्ग महिला का कहना है कि यहां रोज महिलाएं, बच्चे और किशोरियां घंटों पानी भरने के लिए संघर्ष करते हैं. उन्होंने शिकायती लहजे में कहा कि, तमाम समस्याएं बताने और सूचना देने के बावजूद आज तक कोई भी जनप्रतिनिधि इलाके में झांकने तक नहीं आया.
ये पूछने पर की अरविंद केजरीवाल ने तो हर मुहल्ले को मुफ्त पानी का दावा किया था, महिला कहती हैं कि, वे लोग बड़े लोग हैं. वादा करने में क्या जाता है. झेलना तो हमें पड़ रहा है न.
गर्मी आ जाएगी तो लोगों का क्या होगा
जाहिर है कि केजरीवाल सरकार के मुफ्त पानी का वादा खोखला साबित हुआ है. ये कोई दो-तीन दिनों की बात नहीं है बल्कि शंकरपुरा के लोग पिछले एक दशक से पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
न तो किसी जनप्रतिनिधि को इसकी खबर है और न ही किसी प्रशासनिक अधिकारी ने ही इसकी सुध ली है. अभी तो गर्मियां बस शुरू हुई है. जब वो प्रचंड होगी तब न जाने क्या होगा?