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HC: स्मगलिंग के आरोप में बंद दो आरोपियों को मिली जमानत - बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका

सोने के आभूषणों की तस्करी के मामले में कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी और उनके डिटेंशन आर्डर के बीच आठ महीने से ज्यादा की देरी के कारण कोई संबंध स्थापित नहीं किया जा सका. कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के प्रतिवेदन पर केंद्र सरकार ने भी देरी की जो काफी गंभीर बात है.

स्मगलिंग के आरोप में बंद दो आरोपियों को मिली जमानत
Two accused in gold smuggling case get bail
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Published : Aug 9, 2021, 10:46 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सोने के आभूषणों की तस्करी के मामले में गिरफ्तार दो आरोपियों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच ने दोनों आरोपियों की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया.

कोर्ट ने दोनों आरोपियों गोपाल गुप्ता और अमित पाल सिंह के खिलाफ जारी डिटेंशन आर्डर को निरस्त कर दिया. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी और उनके डिटेंशन आर्डर के बीच आठ महीने से ज्यादा की देरी के कारण कोई संबंध स्थापित नहीं किया जा सका. कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के प्रतिवेदन पर केंद्र सरकार ने भी देरी की जो काफी गंभीर बात है.

कोर्ट ने साफ कहा कि आरोपियों के प्रतिवेदन देने के बाद उन्हें इसके जल्द निपटारे का अधिकार है. प्रतिवेदन पर फैसला करने में देरी कर आरोपी को लगातार हिरासत में नहीं रखा जा सकता है. कोर्ट ने इस बात को भी गंभीरता से लिया कि डिटेंशन का आदेश जारी करते समय दूसरे तरह के मामले के आदेश की कॉपी पेस्ट की गई थी.

याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ताओं को 24 अप्रैल 2019 को गिरफ्तार किया गया था जबकि गिरफ्तारी का प्रस्ताव जनवरी 2020 में भेजा गया था. दोनों आरोपी इट्स माई नेम प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारी थे.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सोने के आभूषणों की तस्करी के मामले में गिरफ्तार दो आरोपियों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच ने दोनों आरोपियों की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया.

कोर्ट ने दोनों आरोपियों गोपाल गुप्ता और अमित पाल सिंह के खिलाफ जारी डिटेंशन आर्डर को निरस्त कर दिया. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी और उनके डिटेंशन आर्डर के बीच आठ महीने से ज्यादा की देरी के कारण कोई संबंध स्थापित नहीं किया जा सका. कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के प्रतिवेदन पर केंद्र सरकार ने भी देरी की जो काफी गंभीर बात है.

कोर्ट ने साफ कहा कि आरोपियों के प्रतिवेदन देने के बाद उन्हें इसके जल्द निपटारे का अधिकार है. प्रतिवेदन पर फैसला करने में देरी कर आरोपी को लगातार हिरासत में नहीं रखा जा सकता है. कोर्ट ने इस बात को भी गंभीरता से लिया कि डिटेंशन का आदेश जारी करते समय दूसरे तरह के मामले के आदेश की कॉपी पेस्ट की गई थी.

याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ताओं को 24 अप्रैल 2019 को गिरफ्तार किया गया था जबकि गिरफ्तारी का प्रस्ताव जनवरी 2020 में भेजा गया था. दोनों आरोपी इट्स माई नेम प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारी थे.

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