नई दिल्ली: तिहाड़ जेल में बंद कैदियों को सुधारने के लिए जेल प्रशासन द्वारा समय-समय पर उचित कदम उठाए जाते हैं. उन्हें रोजगार से जोड़ने के लिए विभिन्न तरीके के प्रशिक्षण भी दिए जाते हैं. इसी कड़ी में अब दिल्ली स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी (डीएसएलएसए) की मदद से जेल प्रशासन कैदियों को कानूनी क्षेत्र में क्लर्क बनने के लिए प्रशिक्षित करेगा. पहले चरण में 50 कैदियों को इसके लिए चुना गया है. अगर वह सफल रहते हैं तो जेल के अन्य कैदियों को भी इस प्रशिक्षण में शामिल किया जाएगा.
तिहाड़ जेल सूत्रों के अनुसार, दिल्ली स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी और दिल्ली जेल ने मिलकर रोहिणी के जेल संख्या-10 में बुधवार से प्रोजेक्ट विधिक सहायक की शुरुआत की है. इस कार्यक्रम में डीएसएलएसए के सदस्य सचिव कंवलजीत अरोड़ा, तिहाड़ जेल के डीजी संदीप गोयल, स्पेशल सेक्रेटरी गौतम मनन एवं जेल के सुपरिटेंडेंट शामिल हुए.
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उत्तरी जिला के डीएलएसए सेक्रेटरी हरजीत सिंह जसपाल ने कहा कि यह एक पायलट प्रोजेक्ट है, जिसमें कैदियों को डाटा मैनेजमेंट, बेसिक कंप्यूटर स्किल्स, डायरी एंड केस मैनेजमेंट और कानून की बेसिक जानकारी दी जाएगी. इसकी मदद से जेल के बाहर निकलने पर कानून के क्षेत्र में ही क्लर्क की जॉब मिल सकेगी. जेल सूत्रों के अनुसार, यह पायलट प्रोजेक्ट अभी रोहिणी जेल के संख्या-10 से शुरू होगा. शुरुआत में 50 कैदियों को शामिल किया गया है. अगर यह प्रोजेक्ट कामयाब होता है, तो अन्य कैदियों को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा.
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कार्यक्रम के दौरान सदस्य सचिव कंवलजीत अरोड़ा ने जेल के कैदियों को प्रोजेक्ट में शामिल होने के लिए उत्साह बढ़ाया. उन्होंने कैदियों से कहा कि वह इस निशुल्क प्रशिक्षण को पाकर एक बेहतर भविष्य बना सकते हैं.