नई दिल्ली: दिल्ली के निगमों में शिक्षक भर्ती का मामला लगातार उलझता जा रहा है. सोमवार शाम नियुक्ति रद्द करने के फैसले के बाद मंगलवार को साउथ एमसीडी ने अपना ही आदेश वापस ले लिया है. ऐसा करने के पीछे कोर्ट के आदेश की कॉपी नहीं मिलना वजह बताया गया है. हालांकि इसे वापस लेने के बावजूद इस बात पर संशय बरकरार है कि जिन अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र मिले हैं, वो अब अपनी नौकरी पक्की मानें या नहीं.
डीएसएसएसबी की परीक्षा प्रक्रिया पर उठाए सवाल
मंगलवार को निगम शिक्षकों की नियुक्ति पत्र रद्द करने का आदेश जारी होने पर निगम के सदन की बैठक में जमकर हंगामा हुआ. एक तरफ जहां बीजेपी के पार्षदों ने दिल्ली सरकार के आधीन काम कर रहे सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसएसबी) की परीक्षा प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए सरकार को कटघरे में खड़ा किया, तो वहीं कांग्रेस ने नियुक्ति पत्र रद्द करने के आदेश पर ही सवाल खड़े कर दिए.
बिना किसी आधार के फैसले पर सवाल पूछने पर अधिकारियों से कुछ बोलते नहीं बना. हालांकि उसी समय ये कहा गया कि आदेश वापस ले लिया गया है. उधर आम आदमी पार्टी पार्षदों ने इसमें दिल्ली सरकार को क्लीन चिट देते हुए कहा कि ये पूरी तरह कोर्ट का मामला है और दिल्ली सरकार से इसका कोई संबंध नहीं है.
एमसीडी कर रही है कोर्ट के आदेश का इंतजार
साउथ एमसीडी की शिक्षा समिति की अध्यक्ष नंदिनी शर्मा कहती हैं कि अभी निगम के पास कोर्ट का आदेश नहीं आया है. आदेश का इंतजार हो रहा है और जब तक आदेश नहीं आ जाता. तब तक इन अभ्यर्थियों की नियुक्ति होगी या नहीं इस पर फैसला नहीं लिया जा सकता. वहीं नॉर्थ एमसीडी की आयुक्त वर्षा जोशी ने कहा है कि आज भी उन्हें कोई कोर्ट का आदेश नहीं मिला है. इसलिए नियुक्ति को लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया.
शिक्षकों को 15 अक्टूबर से करनी थी ज्वाइनिंग
बताते चलें कि केंद्रीय प्रशासनिक प्राधिकरण(कैट) ने दिल्ली अधीनस्थ सेवा बोर्ड के निगम प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति परीक्षा परिणाम को रद्द कर दिया है. इसके बाद तीनों निगमों में नियुक्त होने वाले शिक्षकों की भर्ती पर रोक लगाने के आदेश जारी हुए थे. ऐसे कुल 3788 शिक्षकों के लिए निगम ने नियुक्ति पत्र जारी किए थे. जिन्हें 15 अक्टूबर से नौकरी पर लग जाना था.