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सात अस्थायी अस्पताल बनवाने में भ्रष्टाचार की जांच की मनोज तिवारी की मांग पर सुनवाई टली

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Published : Oct 26, 2021, 5:21 PM IST

दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने राजधानी में सात अस्थायी अस्पताल बनवाने में भ्रष्टाचार की जांच करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई टाल दी है. यह याचिका बीजेपी नेता मनोज तिवारी ने दायर की है.

मनोज तिवारी की मांग पर सुनवाई टली
मनोज तिवारी की मांग पर सुनवाई टली

नई दिल्ली: राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली में सात अस्थायी अस्पताल बनवाने में भ्रष्टाचार की जांच करने की बीजेपी सांसद मनोज तिवारी की याचिका पर सुनवाई टाल दी है. एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रविंद्र कुमार पांडेय ने अगली सुनवाई 15 नवंबर को करने का आदेश दिया है.

बीते नौ अक्टूबर को कोर्ट ने एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था. सुनवाई के दौरान ACB के जांच अधिकारी बृजेश मिश्रा ने स्टेटस रिपोर्ट पेश की थी और कहा था कि इस शिकायत पर जांच शुरू करने के लिए सक्षम प्राधिकार से अनुमति लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. जांच अधिकारी ने कहा था कि वो अनुमति लेने की प्रक्रिया में तेजी लाएंगे.

मनोज तिवारी ने शिकायत की है कि उन्होंने केंद्र सरकार के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा को पत्र लिखकर कहा था कि दिल्ली में सात अस्थायी अस्पतालों के निर्माण में PWD विभाग की ओर से फर्जीवाड़ा किया गया है. ये सात अस्पताल शालीमार बाग, किराड़ी, सुल्तानपुरी, चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय, GTB, सरिता विहार और रघुबीर नगर में स्थित हैं. इन अस्थायी अस्पतालों के निर्माण के लिए एक ही कंपनी सैम इंडिया बिल्डवेल प्राईवेट लिमिटेड को ठेका देने में पक्षपात किया गया.

इस कंपनी को 1256 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया जबकि इन अस्पतालों को बनाने में अनुमानित लागत 1216 करोड़ रुपये थी. ये भी ठेका बिना दिल्ली सरकार की अनुमति के एक ही दिन में दे दिया गया.

ये भी पढ़ें- राहुल गांधी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत FIR दर्ज करने की मांग पर सुनवाई टली

मनोज तिवारी ने अपनी शिकायत में कहा है कि दिल्ली सरकार के PWD मंत्री सत्येन्द्र जैन, PWD विभाग के इंजीनियर इन चीफ शशिकांत, PWD विभाग के चीफ इंजीनियर संजीव रस्तोगी की भूमिका की जांच हो.

ये भी पढ़ें- कॉलोनियों का नियमितीकरण गरीबों व दलितों के लिए है, ना कि अमीरों के लिएः दिल्ली हाईकोर्ट

आरोप है कि शशिकांत ने अपने रिटायर होने की तिथि 31 अगस्त को अस्थायी अस्पताल के निर्माण के लिए सैम बिल्डवेल के नाम से 1256 करोड़ रुपये के तीन टेंडर स्वीकृत किए. इन अस्पतालों की टेंडर राशि को संजीव रस्तोगी ने यह कहकर बढ़ा दी कि स्ट्रक्चरल ट्यूब की कीमत 79 हजार रुपये प्रति टन हो गई है जबकि इसकी कीमत 52,625 रुपये प्रति टन थी.

नई दिल्ली: राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली में सात अस्थायी अस्पताल बनवाने में भ्रष्टाचार की जांच करने की बीजेपी सांसद मनोज तिवारी की याचिका पर सुनवाई टाल दी है. एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रविंद्र कुमार पांडेय ने अगली सुनवाई 15 नवंबर को करने का आदेश दिया है.

बीते नौ अक्टूबर को कोर्ट ने एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था. सुनवाई के दौरान ACB के जांच अधिकारी बृजेश मिश्रा ने स्टेटस रिपोर्ट पेश की थी और कहा था कि इस शिकायत पर जांच शुरू करने के लिए सक्षम प्राधिकार से अनुमति लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. जांच अधिकारी ने कहा था कि वो अनुमति लेने की प्रक्रिया में तेजी लाएंगे.

मनोज तिवारी ने शिकायत की है कि उन्होंने केंद्र सरकार के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा को पत्र लिखकर कहा था कि दिल्ली में सात अस्थायी अस्पतालों के निर्माण में PWD विभाग की ओर से फर्जीवाड़ा किया गया है. ये सात अस्पताल शालीमार बाग, किराड़ी, सुल्तानपुरी, चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय, GTB, सरिता विहार और रघुबीर नगर में स्थित हैं. इन अस्थायी अस्पतालों के निर्माण के लिए एक ही कंपनी सैम इंडिया बिल्डवेल प्राईवेट लिमिटेड को ठेका देने में पक्षपात किया गया.

इस कंपनी को 1256 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया जबकि इन अस्पतालों को बनाने में अनुमानित लागत 1216 करोड़ रुपये थी. ये भी ठेका बिना दिल्ली सरकार की अनुमति के एक ही दिन में दे दिया गया.

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मनोज तिवारी ने अपनी शिकायत में कहा है कि दिल्ली सरकार के PWD मंत्री सत्येन्द्र जैन, PWD विभाग के इंजीनियर इन चीफ शशिकांत, PWD विभाग के चीफ इंजीनियर संजीव रस्तोगी की भूमिका की जांच हो.

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आरोप है कि शशिकांत ने अपने रिटायर होने की तिथि 31 अगस्त को अस्थायी अस्पताल के निर्माण के लिए सैम बिल्डवेल के नाम से 1256 करोड़ रुपये के तीन टेंडर स्वीकृत किए. इन अस्पतालों की टेंडर राशि को संजीव रस्तोगी ने यह कहकर बढ़ा दी कि स्ट्रक्चरल ट्यूब की कीमत 79 हजार रुपये प्रति टन हो गई है जबकि इसकी कीमत 52,625 रुपये प्रति टन थी.

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