नई दिल्ली: कोरोना महामारी से बचाव के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जा रहे सैनिटाइजर की सही पहचान कैसे की जाए. इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने वरिष्ठ डॉक्टर नरेंद्र सैनी से बात की. डीएमसी में साइंटिफिक कमेटी के चेयरमैन डॉक्टर नरेंद्र सैनी ने बताया हैंड सैनिटाइजर का मतलब है जो आपके हाथों को साफ रखें और आपके हाथों में कोई भी कीटाणु है, तो उन्हें खत्म करें. इसके लिए किसी भी हैंड सैनिटाइजर में 60 से 70 फीसदी तक अल्कोहल होना आवश्यक है.
साथ ही उन्होंने बताया कि इथेनॉल, प्रोपेनॉल, आइसो प्रोफाइड अल्कोहल यह सभी केमिकल पदार्थ हैंड सैनिटाइजर में होते हैं. यही आवश्यक केमिकल हैं जो हैंड सैनिटाइजर को कीटाणु एक हाथ में के लिए बनाते हैं और इनकी सही मात्रा जितनी तय की गई है उतनी ही होनी चाहिए इससे ज्यादा अल्कोहल कारगर नहीं होगा.
हैंड सैनिटाइजर में मेथेनॉल होना खतरनाक
लेकिन जिस प्रकार हम देख रहे हैं कि कई जगह पर हैंड सैनिटाइजर में अल्कोहल की जगह मेथेनॉल का इस्तेमाल किया जा रहा है. मेथेनॉल हमारे लिए हानिकारक केमिकल है, जो हमारे हाथों को खराब कर सकता है. स्किन खराब कर सकता है, हमारे सर में दर्द कर सकता है, भ्रम की स्थिति पैदा कर सकता है और ज्यादा होने पर हमारी किडनी सब पर बुरा प्रभाव डाल सकता है.
हैंड सैनिटाइजर पर लिखे कंटेंट को ध्यान से पढ़ें
डॉक्टर नरेंद्र सैनी ने कहा कि मार्केट में इन दिनों कई ऐसे हैंड सैनिटाइजर मिल रहे हैं जिनमें गलत मात्रा में केमिकल डाला गया है जो हमारे लिए हानिकारक हैं. ऐसे में जरूरी है कि सरकार इसमें सख्त कदम उठाए और इनकी जांच करे.
इसके अलावा यदि आप हैंड सैनिटाइजर खरीदने के लिए जाते हैं तो आप भरोसेमंद और सही दुकान से ही खरीदें. किसी भी रास्ते में बेच रहे दुकानदार से हैंड सैनिटाइजर ना खरीदे. साथ ही हैंड सैनिटाइजर खरीदते समय उस पर लिखे कंटेंट को ध्यान से जरूर पढ़ें.