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सात अस्थायी अस्पतालों के निर्माण में भ्रष्टाचार की जांच मांग पर सुनवाई टली

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Published : Dec 2, 2021, 8:03 PM IST

बीजेपी सांसद मनोज तिवारी की याचिका पर राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सात अस्थायी अस्पताल बनवाने में भ्रष्टाचार की जांच की मांग करने की याचिका पर सुनवाई टाल दी है.

अस्थायी अस्पतालों के निर्माण में भ्रष्टाचार की जांच मांग पर सुनवाई टली
अस्थायी अस्पतालों के निर्माण में भ्रष्टाचार की जांच मांग पर सुनवाई टली

नई दिल्ली: राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली में सात अस्थायी अस्पताल बनवाने में भ्रष्टाचार की जांच करने की बीजेपी सांसद मनोज तिवारी की याचिका पर सुनवाई टाल दी है. एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रविंद्र कुमार पांडेय ने अगली सुनवाई 14 दिसंबर को करने का आदेश दिया है.



गुरुवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. 15 नवंबर को एसीबी की ओर से वकील विजय जोशी ने कहा था कि स्टेटस रिपोर्ट में सतर्कता महानिदेशक की ओर से शिकायतकर्ता मनोज तिवारी से शिकायतों को कुछ स्पष्टीकरण मांगे गए हैं. उन्होंने शिकायतकर्ता से स्पष्टीकरण प्राप्त होने के बाद आगे दूसरी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने की बात कही थी.

ये भी पढ़ें- दिल्ली हाईकोर्ट ने चंद्रशेखर आजाद की पार्टी को चुनाव चिह्न आवंटित करने का आदेश दिया

बीते 9 अक्टूबर को कोर्ट ने एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था. एसीबी के जांच अधिकारी बृजेश मिश्रा ने स्टेटस रिपोर्ट पेश करते हुए कहा था कि इस शिकायत पर जांच शुरू करने के लिए सक्षम प्राधिकार से अनुमति लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. जांच अधिकारी ने कहा था कि वो अनुमति लेने की प्रक्रिया में तेजी लाएंगे.

मनोज तिवारी ने शिकायत की है कि उन्होंने केंद्र सरकार के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा को पत्र लिखकर कहा था कि दिल्ली में सात अस्थायी अस्पतालों के निर्माण में पीडब्डल्यूडी विभाग की ओर से फर्जीवाड़ा किया गया है. ये सात अस्पताल शालीमार बाग, किराड़ी, सुल्तानपुरी, चाचा नेहरु बाल चिकित्सालय, जीटीबी , सरिता विहार और रघुबीर नगर में स्थित हैं.

इन अस्थायी अस्पतालों के निर्माण के लिए एक ही कंपनी सैम इंडिया बिल्डवेल प्राईवेट लिमिटेड को ठेका देने में पक्षपात किया गया. इस कंपनी को 1256 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया जबकि इन अस्पतालों को बनाने में अनुमानित लागत 1216 करोड़ रुपये थी. ये भी ठेका बिना दिल्ली सरकार की अनुमति के एक ही दिन में दे दिया गया.

ये भी पढ़ें- दिल्ली उच्च न्यायालय ने HUL के स्वामित्व वाले टॉयलेट क्लीनर ब्रांड के विज्ञापन पर लगाई रोक


मनोज तिवारी ने अपनी शिकायत में कहा है कि दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येन्द्र जैन, पीडब्ल्यूडी विभाग के इंजीनियर इन चीफ शशिकांत, पीडब्ल्यूडी विभाग के चीफ इंजीनियर संजीव रस्तोगी की भूमिका की जांच हो.

शिकायत में कहा गया है कि शशिकांत ने अपने रिटायर होने की तिथि 31 अगस्त को अस्थायी अस्पताल के निर्माण के लिए सैम बिल्डवेल के नाम से 1256 करोड़ रुपये के तीन टेंडर स्वीकृत किए. इन अस्पतालों की टेंडर राशि को संजीव रस्तोगी ने यह कहकर बढ़ा दी कि स्ट्रक्चरल ट्यूब की कीमत 79 हजार रुपये प्रति टन हो गई है जबकि इसकी कीमत 52,625 रुपये प्रति टन थी.

नई दिल्ली: राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली में सात अस्थायी अस्पताल बनवाने में भ्रष्टाचार की जांच करने की बीजेपी सांसद मनोज तिवारी की याचिका पर सुनवाई टाल दी है. एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रविंद्र कुमार पांडेय ने अगली सुनवाई 14 दिसंबर को करने का आदेश दिया है.



गुरुवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. 15 नवंबर को एसीबी की ओर से वकील विजय जोशी ने कहा था कि स्टेटस रिपोर्ट में सतर्कता महानिदेशक की ओर से शिकायतकर्ता मनोज तिवारी से शिकायतों को कुछ स्पष्टीकरण मांगे गए हैं. उन्होंने शिकायतकर्ता से स्पष्टीकरण प्राप्त होने के बाद आगे दूसरी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने की बात कही थी.

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बीते 9 अक्टूबर को कोर्ट ने एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था. एसीबी के जांच अधिकारी बृजेश मिश्रा ने स्टेटस रिपोर्ट पेश करते हुए कहा था कि इस शिकायत पर जांच शुरू करने के लिए सक्षम प्राधिकार से अनुमति लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. जांच अधिकारी ने कहा था कि वो अनुमति लेने की प्रक्रिया में तेजी लाएंगे.

मनोज तिवारी ने शिकायत की है कि उन्होंने केंद्र सरकार के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा को पत्र लिखकर कहा था कि दिल्ली में सात अस्थायी अस्पतालों के निर्माण में पीडब्डल्यूडी विभाग की ओर से फर्जीवाड़ा किया गया है. ये सात अस्पताल शालीमार बाग, किराड़ी, सुल्तानपुरी, चाचा नेहरु बाल चिकित्सालय, जीटीबी , सरिता विहार और रघुबीर नगर में स्थित हैं.

इन अस्थायी अस्पतालों के निर्माण के लिए एक ही कंपनी सैम इंडिया बिल्डवेल प्राईवेट लिमिटेड को ठेका देने में पक्षपात किया गया. इस कंपनी को 1256 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया जबकि इन अस्पतालों को बनाने में अनुमानित लागत 1216 करोड़ रुपये थी. ये भी ठेका बिना दिल्ली सरकार की अनुमति के एक ही दिन में दे दिया गया.

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मनोज तिवारी ने अपनी शिकायत में कहा है कि दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येन्द्र जैन, पीडब्ल्यूडी विभाग के इंजीनियर इन चीफ शशिकांत, पीडब्ल्यूडी विभाग के चीफ इंजीनियर संजीव रस्तोगी की भूमिका की जांच हो.

शिकायत में कहा गया है कि शशिकांत ने अपने रिटायर होने की तिथि 31 अगस्त को अस्थायी अस्पताल के निर्माण के लिए सैम बिल्डवेल के नाम से 1256 करोड़ रुपये के तीन टेंडर स्वीकृत किए. इन अस्पतालों की टेंडर राशि को संजीव रस्तोगी ने यह कहकर बढ़ा दी कि स्ट्रक्चरल ट्यूब की कीमत 79 हजार रुपये प्रति टन हो गई है जबकि इसकी कीमत 52,625 रुपये प्रति टन थी.

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