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फतेहपुरी मस्जिद: बीते चार दशकों से हो रही थी अनदेखी, अब शुरू हुआ मरम्मत कार्य, जानिए इतिहास

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Published : Dec 7, 2021, 9:03 PM IST

दिल्ली का दिल कहे जाने वाले चांदनी चौक के अंदर स्थित फतेहपुरी मस्जिद जो वहां की एक पहचान भी है. इन दिनों जर्जर हालात से गुजर रही है. मस्जिद में जगह-जगह मरम्मत कार्य की जरूरत है. पिछले चार दशकों से मस्जिद की देखरेख को लेकर प्रशासन के द्वारा किसी भी तरह की सुध नहीं ली गई है और अब मस्जिद के गंभीर हालात में पहुंचने के बाद वक्फ बोर्ड के द्वारा मरम्मत के कार्य की शुरुआत करवा दी गई है.

Fatehpuri Masjid
फतेहपुरी मस्जिद

नई दिल्ली : दिल्ली की ऐतिहासिक धरोहर और पुरानी दिल्ली के क्षेत्र की पहचान माने जाने वाली फतेहपुरी मस्जिद इन दिनों खराब हालातों से गुजर रही है. दरअसल ऐतिहासिक फतेहपुरी मस्जिद की पूरी इमारत जर्जर हालत में पहुंच चुकी है. जगह-जगह इमारत में मरम्मत के काम की न सिर्फ आवश्यकता है बल्कि अब तो फतेहपुरी मस्जिद की छत के कुछ हिस्से भी धीरे-धीरे टूट कर गिर रहे हैं. पिछले लगभग चार दशकों से फतेहपुरी मस्जिद के मरम्मत कार्य और बाकी चीजों को लेकर प्रशासन की तरफ से किसी भी तरह का कोई ध्यान नहीं दिया गया है. न तो मस्जिद का रंग रोगन करवाया गया है और न ही मस्जिद में किसी भी प्रकार का मरम्मत कार्य.

हालातों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 1970 मस्जिद के तीनों दरवाजे में से एक दरवाजा जो चांदनी चौक की तरफ खुलता है के ऊपर घड़ी लगवाई गई थी. उसकी भी देखरेख नहीं की गई और वह भी बंद पड़ी है. जबकि जामा मस्जिद के एक गेट की मीनार भी टूट चुकी है. जहां मस्जिद के अंदर स्थित दो मीनारों में से एक मिनार टेढ़ी हो चुकी है जो कभी भी गिर सकती है और खतरे की बात है. क्षेत्र के स्थानीय निवासियों के अनुसार मस्जिद के अंदर फर्श भी खराब हो गया था है. इसे रिपेयर करवाने की आवश्यकता है. पिछले चार दशकों में मस्जिद में अब तक जो भी थोड़ा बहुत काम हुआ है वह भी बिना प्रशासन की सहायता से लोगों द्वारा दिए गए अनुदान से हुआ है. प्रशासन के द्वारा मस्जिद को लेकर किसी भी तरह का ध्यान न देकर बड़े स्तर पर लापरवाही की गई है।

फतेहपुरी मस्जिद की इस हालत के लिए जिम्मेदार कौन ?
दिल्ली का दिल कहे जाने वाले चांदनी चौक की पहचान बन चुकी फतेहपुरी मस्जिद का निर्माण सन 1650 में फतेहपुरी बेगम के द्वारा कराया गया था. जो मुगल बादशाह शाहजहां की बीवियों में से एक थी. फतेहपुरी बेगम फतेहपुर सीकरी से थी और उनके नाम पर एक मस्जिद ताजमहल के अंदर भी बनाई गई है. आजादी से पहले ब्रिटिश हुकूमत के दौरान फतेहपुरी मस्जिद को सन 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राय लाला चुन्नामल को महज 19000 रुपये में बेच दी गई थी. इसके बाद फतेहपुरी मस्जिद को सन 1877 में उस समय की अंग्रेजी हुकूमत वाली सरकार के द्वारा एक मसौदे के तहत दिल्ली दरबार के मुस्लिमो को दे दी गई थी, जो पुरानी दिल्ली के क्षेत्र में रहते थे. फतेहपुरी मस्जिद से मिलती-जुलती एक मस्जिद अकराबादी भी थी. जिसे बाद में ब्रिटिश हुकूमत के द्वारा तोड़ दिया गया था.
Fatehpuri Masjid
दिल्ली की फतेहपुरी मस्जिद
शाहजहां की बेगम फतेहपुरी के द्वारा फतेहपुरी मस्जिद का निर्माण कराए जाने के बाद ही इस पूरे क्षेत्र में खारी बावली जैसे बड़े बाजार का निर्माण भी करवाया गया तो आज वर्तमान में एशिया के सबसे बड़े मसालों के बाजार के रूप में जाना जाता है. मुस्लिम त्योहार ईद उल फितर और ईद उल जुहा जैसे त्योहारों को बड़े ही हर्षोल्लास और उत्साह के साथ फतेहपुरी मस्जिद में मनाया जाता है. मस्जिद में तकरीबन 20 हजार लोग एक साथ नमाज पढ़ सकते हैं.
वर्तमान समय में फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम डॉक्टर मुफ्ती मुकर्रम अहमद हैं, जो कि पिछले 42 साल से फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम हैं. उनसे पहले उनके पिता फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम हुआ करते थे. लेकिन उनकी मृत्यु हो जाने के बाद 1971 से डॉक्टर मुफ्ती मुकर्रम अहमद फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम हैं.
Fatehpuri Masjid
फतेहपुरी मस्जिद की हालत

ये भी पढ़ें : जब सभी मांगें मानने के लिए तैयार तो एक साल से क्यों बैठा रखा था ? सरकार के प्रस्ताव पर टिकैत

फतेहपुरी मस्जिद दिल्ली की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है और दिल्ली के इतिहास को बयां करती है. इस पूरी मस्जिद को लाल पत्थर से बनाया गया है. साथ ही इसमें महापद्मा और कलश की आकृतियों को भी टॉप पर बनाया गया है. इस पूरी मस्जिद का डिजाइन ट्रेडिशनल तरीके से किया गया है.

नमाज पढ़ने के लिए बनाए गए इबादत घर को बेहद खूबसूरत तरीके से नक्काशी के जरिए सजाया गया है, जिसमें 7 आर्च की ओपनिंग है. मस्जिद के दोनों तरफ सिंगल और डबल स्टोरी अपार्टमेंट भी हैं. सरल शब्दों में कहा जाए तो फतेहपुरी मस्जिद लाल पत्थरों से बनी है, जो मुगल वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना भी है. मस्जिद के दोनों और लाल पत्थर से बने स्तंभों की कतारें हैं. इस मस्जिद के अंदर एक कुआं भी है जो सफेद संगमरमर का बना है.

फतेहपुरी मस्जिद का इतिहास जितना पुराना है उतना दिलचस्पी यहां पर देश के बड़े-बड़े राजनेताओं ने भी आकर इबादत की है. इसमें देश के पूर्व उपराष्ट्रपति डॉक्टर हामिद अंसारी, पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व प्रधानमंत्री ज्ञानी जैल सिंह के साथ केंद्र सरकार के कई मंत्री और अन्य राजनेता भी शामिल हैं. फतेहपुरी मस्जिद शुरू से ही पुरानी दिल्ली के क्षेत्र में हिंदू मुस्लिम एकता की एक पहचान भी रही है और इस मस्जिद ने पूरे क्षेत्र में एकता बनाए रखने के साथ शांति बनाए रखने में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

Fatehpuri Masjid
फतेहपुरी मस्जिद का प्रांगण

ये भी पढ़ें- राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना, कहा- फैसला अभी हवा में, मिल कुछ नहीं रहा

350 साल से ज्यादा पुरानी हो चुकी फतेहपुरी मस्जिद को वर्तमान समय में मरम्मत कार्य की आवश्यकता है, जिसकी शुरुआत भी हो चुकी है, लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि आखिर ऐतिहासिक धरोहर और दिल्ली के इतिहास का गवाह रही फतेहपुरी मस्जिद के इतने जर्जर हालात में आने का क्या कारण हैं.

आखिर पिछले चार दशकों से मस्जिद में मरम्मत कार्य करवाने को लेकर अनदेखा क्यों किया जा रहा था. आज मस्जिद के इतने हालात खराब हैं कि हर दूसरे दिन छोटे-मोटे हादसे से यहां हो रहे हैं. इसकी वजह से मस्जिद में इबादत करने आए लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. फिलहाल वक्फ बोर्ड के द्वारा मस्जिद में मरम्मत कार्य की शुरुआत तो करवा दी गई है, लेकिन क्या पूरी मस्जिद में मरम्मत का कार्य पूरी तरह से हो पाएगा जिसकी वर्तमान समय में सबसे अधिक आवश्यकता है. ताकि भारत की आजादी और हिंदू मुस्लिम एकता की गवाही फतेहपुरी मस्जिद को संजो कर रखा जा सके.


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नई दिल्ली : दिल्ली की ऐतिहासिक धरोहर और पुरानी दिल्ली के क्षेत्र की पहचान माने जाने वाली फतेहपुरी मस्जिद इन दिनों खराब हालातों से गुजर रही है. दरअसल ऐतिहासिक फतेहपुरी मस्जिद की पूरी इमारत जर्जर हालत में पहुंच चुकी है. जगह-जगह इमारत में मरम्मत के काम की न सिर्फ आवश्यकता है बल्कि अब तो फतेहपुरी मस्जिद की छत के कुछ हिस्से भी धीरे-धीरे टूट कर गिर रहे हैं. पिछले लगभग चार दशकों से फतेहपुरी मस्जिद के मरम्मत कार्य और बाकी चीजों को लेकर प्रशासन की तरफ से किसी भी तरह का कोई ध्यान नहीं दिया गया है. न तो मस्जिद का रंग रोगन करवाया गया है और न ही मस्जिद में किसी भी प्रकार का मरम्मत कार्य.

हालातों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 1970 मस्जिद के तीनों दरवाजे में से एक दरवाजा जो चांदनी चौक की तरफ खुलता है के ऊपर घड़ी लगवाई गई थी. उसकी भी देखरेख नहीं की गई और वह भी बंद पड़ी है. जबकि जामा मस्जिद के एक गेट की मीनार भी टूट चुकी है. जहां मस्जिद के अंदर स्थित दो मीनारों में से एक मिनार टेढ़ी हो चुकी है जो कभी भी गिर सकती है और खतरे की बात है. क्षेत्र के स्थानीय निवासियों के अनुसार मस्जिद के अंदर फर्श भी खराब हो गया था है. इसे रिपेयर करवाने की आवश्यकता है. पिछले चार दशकों में मस्जिद में अब तक जो भी थोड़ा बहुत काम हुआ है वह भी बिना प्रशासन की सहायता से लोगों द्वारा दिए गए अनुदान से हुआ है. प्रशासन के द्वारा मस्जिद को लेकर किसी भी तरह का ध्यान न देकर बड़े स्तर पर लापरवाही की गई है।

फतेहपुरी मस्जिद की इस हालत के लिए जिम्मेदार कौन ?
दिल्ली का दिल कहे जाने वाले चांदनी चौक की पहचान बन चुकी फतेहपुरी मस्जिद का निर्माण सन 1650 में फतेहपुरी बेगम के द्वारा कराया गया था. जो मुगल बादशाह शाहजहां की बीवियों में से एक थी. फतेहपुरी बेगम फतेहपुर सीकरी से थी और उनके नाम पर एक मस्जिद ताजमहल के अंदर भी बनाई गई है. आजादी से पहले ब्रिटिश हुकूमत के दौरान फतेहपुरी मस्जिद को सन 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राय लाला चुन्नामल को महज 19000 रुपये में बेच दी गई थी. इसके बाद फतेहपुरी मस्जिद को सन 1877 में उस समय की अंग्रेजी हुकूमत वाली सरकार के द्वारा एक मसौदे के तहत दिल्ली दरबार के मुस्लिमो को दे दी गई थी, जो पुरानी दिल्ली के क्षेत्र में रहते थे. फतेहपुरी मस्जिद से मिलती-जुलती एक मस्जिद अकराबादी भी थी. जिसे बाद में ब्रिटिश हुकूमत के द्वारा तोड़ दिया गया था.
Fatehpuri Masjid
दिल्ली की फतेहपुरी मस्जिद
शाहजहां की बेगम फतेहपुरी के द्वारा फतेहपुरी मस्जिद का निर्माण कराए जाने के बाद ही इस पूरे क्षेत्र में खारी बावली जैसे बड़े बाजार का निर्माण भी करवाया गया तो आज वर्तमान में एशिया के सबसे बड़े मसालों के बाजार के रूप में जाना जाता है. मुस्लिम त्योहार ईद उल फितर और ईद उल जुहा जैसे त्योहारों को बड़े ही हर्षोल्लास और उत्साह के साथ फतेहपुरी मस्जिद में मनाया जाता है. मस्जिद में तकरीबन 20 हजार लोग एक साथ नमाज पढ़ सकते हैं.
वर्तमान समय में फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम डॉक्टर मुफ्ती मुकर्रम अहमद हैं, जो कि पिछले 42 साल से फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम हैं. उनसे पहले उनके पिता फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम हुआ करते थे. लेकिन उनकी मृत्यु हो जाने के बाद 1971 से डॉक्टर मुफ्ती मुकर्रम अहमद फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम हैं.
Fatehpuri Masjid
फतेहपुरी मस्जिद की हालत

ये भी पढ़ें : जब सभी मांगें मानने के लिए तैयार तो एक साल से क्यों बैठा रखा था ? सरकार के प्रस्ताव पर टिकैत

फतेहपुरी मस्जिद दिल्ली की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है और दिल्ली के इतिहास को बयां करती है. इस पूरी मस्जिद को लाल पत्थर से बनाया गया है. साथ ही इसमें महापद्मा और कलश की आकृतियों को भी टॉप पर बनाया गया है. इस पूरी मस्जिद का डिजाइन ट्रेडिशनल तरीके से किया गया है.

नमाज पढ़ने के लिए बनाए गए इबादत घर को बेहद खूबसूरत तरीके से नक्काशी के जरिए सजाया गया है, जिसमें 7 आर्च की ओपनिंग है. मस्जिद के दोनों तरफ सिंगल और डबल स्टोरी अपार्टमेंट भी हैं. सरल शब्दों में कहा जाए तो फतेहपुरी मस्जिद लाल पत्थरों से बनी है, जो मुगल वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना भी है. मस्जिद के दोनों और लाल पत्थर से बने स्तंभों की कतारें हैं. इस मस्जिद के अंदर एक कुआं भी है जो सफेद संगमरमर का बना है.

फतेहपुरी मस्जिद का इतिहास जितना पुराना है उतना दिलचस्पी यहां पर देश के बड़े-बड़े राजनेताओं ने भी आकर इबादत की है. इसमें देश के पूर्व उपराष्ट्रपति डॉक्टर हामिद अंसारी, पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व प्रधानमंत्री ज्ञानी जैल सिंह के साथ केंद्र सरकार के कई मंत्री और अन्य राजनेता भी शामिल हैं. फतेहपुरी मस्जिद शुरू से ही पुरानी दिल्ली के क्षेत्र में हिंदू मुस्लिम एकता की एक पहचान भी रही है और इस मस्जिद ने पूरे क्षेत्र में एकता बनाए रखने के साथ शांति बनाए रखने में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

Fatehpuri Masjid
फतेहपुरी मस्जिद का प्रांगण

ये भी पढ़ें- राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना, कहा- फैसला अभी हवा में, मिल कुछ नहीं रहा

350 साल से ज्यादा पुरानी हो चुकी फतेहपुरी मस्जिद को वर्तमान समय में मरम्मत कार्य की आवश्यकता है, जिसकी शुरुआत भी हो चुकी है, लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि आखिर ऐतिहासिक धरोहर और दिल्ली के इतिहास का गवाह रही फतेहपुरी मस्जिद के इतने जर्जर हालात में आने का क्या कारण हैं.

आखिर पिछले चार दशकों से मस्जिद में मरम्मत कार्य करवाने को लेकर अनदेखा क्यों किया जा रहा था. आज मस्जिद के इतने हालात खराब हैं कि हर दूसरे दिन छोटे-मोटे हादसे से यहां हो रहे हैं. इसकी वजह से मस्जिद में इबादत करने आए लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. फिलहाल वक्फ बोर्ड के द्वारा मस्जिद में मरम्मत कार्य की शुरुआत तो करवा दी गई है, लेकिन क्या पूरी मस्जिद में मरम्मत का कार्य पूरी तरह से हो पाएगा जिसकी वर्तमान समय में सबसे अधिक आवश्यकता है. ताकि भारत की आजादी और हिंदू मुस्लिम एकता की गवाही फतेहपुरी मस्जिद को संजो कर रखा जा सके.


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