नई दिल्ली: उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगा और सीएए प्रोटेस्ट मामले में दिल्ली पुलिस के पैनल को दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने खारिज कर दिया है. इस मुद्दे पर दिल्ली के उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच बीते कुछ दिनों से काफी खींचतान रही और अब दिल्ली सरकार ने उस पैनल को ही खारिज कर दिया है, जिसकी वकालत उपराज्यपाल कर रहे थे. आम आदमी पार्टी प्रवक्ता राघव चड्ढा ने आज मीडिया से बातचीत की.
राघव चड्ढा ने कहा कि जुलाई 2018 का सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट है कि दिल्ली में दिल्ली सरकार या इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी का पक्ष रखने के लिए वकीलों की नियुक्ति का अधिकार सिर्फ लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकार के पास है. उन्होंने कहा कि इसमें गृह मंत्रालय, उपराज्यपाल या दिल्ली पुलिस के कमिश्नर नहीं हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इन्वेस्टिगेशन और प्रॉसिक्यूशन दोनों अलग-अलग हैं.
'सरकार ने भेजा है पैनल का नाम'
राघव चड्ढा का कहना था कि प्रिंसिपल ऑफ नेचुरल जस्टिस साफ तौर पर यह कहता है कि इन्वेस्टिगेशन और प्रॉसिक्यूशन सांठगांठ के साथ काम नहीं कर सकते. इन्वेस्टिगेशन एक विभाग करता है और उसको कोर्ट में रखकर न्याय दिलाने का काम प्रॉसिक्यूशन का है. उन्होंने कहा कि इन सब को ध्यान में रखकर नेचुरल जस्टिस को फॉलो करते हुए दिल्ली सरकार ने अपनी तरफ से वकीलों के पैनल के नाम भेजे हैं.
'सरकार को करने दिया जाए काम'
अरविंद केजरीवाल की तरफ से राघव चड्ढा ने कहा कि मुख्यमंत्री का मानना है कि जो भी दंगे भड़काने का आरोपी है, या उसमें हिस्सेदार है, उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, किसी भी मामले में किसी तरह की ढील नहीं दी जानी चाहिए. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का पालन हो और सरकार को उसके अधिकारों के अनुसार काम करने दिया जाए.