नई दिल्ली: प्रजा फाउंडेशन ने 'दिल्ली में नागरिक मुद्दों की स्थिति' पर अपनी रिपोर्ट लॉन्च की है. रिपोर्ट में दिल्ली में जल, स्वच्छता और एस.डब्ल्यू.एम की स्थिति का विश्लेषण किया गया है. यह रिपोर्ट एक ओर वर्तमान नीतिगत लक्ष्यों के बेंचमार्क तथा दूसरी ओर नागरिकों की शिकायतों के आंकड़ों की तुलना में है. इससे सेवा प्रावधान की जमीनी वास्तविकताओं को बेहतर ढंग से समझा जा सकता है.
प्रजा फाउंडेशन के निदेशक मिलिंद म्हस्के ने कहा कि यह सिर्फ महामारी का मसला नहीं है. पानी के प्रदूषण, सफाई की घटिया व्यवस्था और अप्रबंधित कचरे के कारण संक्रमण और मौतों की उच्च संख्या, नियमित रूप से दर्ज की जाती है. उदाहरण के लिए दिल्ली जल बोर्ड (डी.जे.बी) के जल गुणवत्ता परीक्षणों में 2019 में 1.3% अयोग्य पानी के नमूने दिखाए गए, लेकिन 2018-19 में सरकारी डिस्पेंसरियों और अस्पतालों में 5,14,052 डायरिया के मामले, 1526 हैजा के मामले और टाइफाइड के 51266 मामले सामने आए.
इसलिए ये सेवाएं अच्छे स्वास्थ्य और जीवन की बुनियादी आवश्यकताएं हैं. उदाहरण के लिए पानी की आपूर्ति के मामले में, हालांकि 2019 में दिल्ली में औसत आपूर्ति प्रति व्यक्ति प्रति दिन 135.89 लीटर (lpcd) गणना की गई, (जो भारतीय मानक ब्यूरो (बी.आई.एस) के 135 lpcd के अनुसार है), 2019 में पानी की कुल शिकायतों में 47% पानी की कमी (3,274) या पानी न मिलने (51,965) से संबंधित थी.
एकीकृत शिकायत प्रणाली से सुलझेंगे मामले
दिल्ली को पर्याप्त, समान और टिकाऊ पानी, स्वच्छता और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सुविधाओं को सुनिश्चित करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है, जिसका सीधा असर स्वास्थ्य पर पड़ता है. उदाहरण के लिए COVID-19 के मामले में, जब पर्याप्त पानी, स्वच्छता और एस.डब्ल्यू.एम सुविधाएं सभी के लिए उपलब्ध नहीं हैं, तब तक स्वच्छता बनाए रखने के लिए सावधानियां व्यर्थ हैं.
वहीं दिल्ली में सबसे बड़ी समस्या सिर्फ बुनियादी सेवाएं समान रूप से प्रदान करना नहीं है बल्कि नियंत्रण और निगरानी रखना भी है. शिकायतें दर्ज करना, नागरिक संबंधित क्षेत्रवार मुद्दों को समझने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक हैं. लेकिन दिल्ली की शिकायत प्रबंधन प्रणाली उसके शासन की तरह खंडित है. एम.सी.डी तथा राज्य सरकार समेत दिल्ली जल बोर्ड, प्रत्येक के शिकायत प्रबंधन प्रणालियां भिन्न हैं. इसके अलावा कोई भी कार्रवाई रिपोर्ट (ATR) नहीं रखी गयी है और ना ही कोई नागरिक प्रतिक्रिया तंत्र. यह सब स्थानीय सरकार में जवाबदेही की पूरी कमी का अभाव दर्शाता है.