नई दिल्ली: कोरोना के लक्षण वाले सभी मरीजों को इलाज उपलब्ध कराने और कोरोना के गंभीर मरीजों को सरकारी अस्पताल में भर्ती करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग करने वाली याचिका दिल्ली हाईकोर्ट से वापस ले ली गई है. जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रजनीश भटनागर की बेंच ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई सुनवाई के बाद ये आदेश दिया.
साक्ष्य के साथ याचिका दाखिल करें
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वे इस मामले में साक्ष्य के साथ याचिका दाखिल करें. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस छूट के साथ याचिका दाखिल करने की अनुमति दी कि वे नई याचिका साक्ष्य के साथ दाखिल करें. उसके बाद याचिकाकर्ता की ओर से वकील शशांक देव सुधी ने याचिका को वापस ले लिया.
कांस्टेबल को अस्पताल में एडमिट नहीं किया गया
याचिका बिजॉन कुमार मिश्रा ने दायर की थी. याचिकाकर्ता ने वकील शशांक देव सुधी के जरिये दायर याचिका में कहा था कि ऐसी कई खबरें आई हैं कि कोरोना के गंभीर मरीजों को सरकारी अस्पतालों में दाखिला नहीं दिया गया है. याचिका में कहा गया था कि दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल अमित कुमार की कोरोना से इसलिए मौत हो गई क्योंकि उसे दो सरकारी अस्पतालों ने उन्हें एडमिट ही नहीं किया.
कोरोना मरीजों की स्थिति परिजनों को नहीं बताई जा रही है
याचिका में कहा गया था कि ऐसी कई मौते हुई हैं जो अस्पतालों में दाखिला नहीं मिलने की वजह से हुईं हैं. याचिका में कहा गया था कि सरकारी अस्पताल कोरोना मरीजों की स्थिति के बारे में उनके परिजनों को नहीं बता रहे हैं. यहां तक कि कोरोना मरीजों की जानकारी बताने के लिए न तो कोई फोन नंबर जारी किया गया है न ही कोई वेबसाइट के जरिये जानकारी दी जा रही है.