नई दिल्ली: देश में कोरोना की दूसरी लहर की रफ्तार धीरे-धीरे कम हो रही है लेकिन मौत के आंकड़ों में कमी नहीं हुई है. वायरस की पहली लहर ने जहां बच्चों के अलावा सभी को प्रभावित किया वहीं दूसरी लहर के दौरान बच्चों में संक्रमण का स्तर पहली लहर की तुलना में कई गुना ज्यादा रहा.
दिल्ली के सबसे बड़े कोरोना अस्पताल लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल में पहली लहर की तुलना में दूसरी कोरोना लहर के दौरान भर्ती हुए संक्रमित बच्चों की संख्या करीब 4 गुना ज्यादा रही.
ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है. ऐसे में अभिभावकों की चिंता बढ़ने लगी है और वे बच्चों के लिए भी वैक्सीन की मांग कर रहे हैं. क्या है अभिभावकों की चिंता और बच्चों के डॉक्टर क्या मानते हैं, यह जानने के लिए ईटीवी भारत ने कई अभिभावकों और डॉक्टरों से बातचीत की.
हमें बच्चों की है चिंता : सिसोदिया
कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को लेकर दिल्ली सरकार भी अब सक्रिय हो चुकी है. इस क्रम में बच्चों के इलाज को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य व्यवस्था की जा रही है. वहीं मुख्यमंत्री केजरीवाल ने बीते दिन एक ट्वीट कर भी अपनी चिंता जाहिर की थी हालांकि सीएम का ट्वीट सिंगापुर में आए नए स्ट्रेन को लेकर था. इसके अलावा सीएम के सिंगापुर वाले बयान पर बवाल होने के बाद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने खुलकर कहा था कि हमें बच्चों के स्वास्थ्य की चिंता है.
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दूसरी लहर में भी कोरोना संक्रमित हुए बच्चे
विशेषज्ञ डॉक्टर्स की मानें तो तीसरी लहर से पहले बच्चों में कोरोना का प्रभाव कुछ ज्यादा दिख रहा है. वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अरुण गुप्ता का कहना है कि दूसरी लहर में बच्चों में जिस तरह का संक्रमण दिखा, वह पहली लहर की तुलना में ज्यादा है. उन्होंने बताया कि पहली लहर में अगर बच्चों में बिना लक्षण का संक्रमण था और वह ज्यादा बीमार नहीं हुए लेकिन दूसरी लहर में पूरे परिवार ही संक्रमित दिखे ऐसे में बच्चों में भी संक्रमण हुआ.
बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति अभिभावक चिंतित
डॉक्टर गुप्ता का यह भी कहना था कि बच्चों में होने वाली समस्या कई बार ठीक होने के 3-4 हफ्ते बाद फिर से दिखाई देती है. इसलिए दूसरी लहर का क्या कुछ असर हुआ, यह देखने के लिए दो-तीन हफ्ते और इंतजार करना चाहिए. ये आंकड़े और इससे जुड़ी आशंका अब बच्चों की स्वास्थ्य की चिंता को लेकर अभिभावकों को भी डराने लगी है.
वहीं खास तौर पर अभिभावक बच्चों को लेकर खासा परेशान हैं. विनिता जैन अपने 5 वर्षीय बेटे विराज और 6 महीने के युवान को लेकर कुछ ज्यादा चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि अब डर लगता है कि अगर बच्चों में संक्रमण हो गया तो कैसे इससे निजात पाएंगे.
बच्चों के लिए जल्द आनी चाहिए वैक्सीन
ईटीवी भारत से अपनी चिंता साझा करते हुए विनिता जैन ने कहा कि अब सभी लोगों में संक्रमण होने लगा है. पोस्ट कोविड के मामले भी बढ़ रहे हैं. ऐसे में तीसरी लहर की आशंका डराने वाली है. उन्होंने कहा कि अगर बच्चों के लिए भी वैक्सीन आ जाती तो अच्छा होता, हमें संतुष्टि मिलती कि बच्चों को वैक्सीन लग चुकी है और वे सुरक्षित हैं. यही चिंता गरिमा बख्शी की अपनी 4 वर्षीय बेटी वान्या बक्शी को लेकर भी है.
पैनिक होने की जगह करें बचाव के उपाय
गरिमा बख्शी का कहना है कि कोरोना की तीसरी की लहर में जिस तरह की अफरा-तफरी दिखी, जिस तरह की अव्यवस्था नजर आई, उसने तीसरी लहर को लेकर काफी डरा दिया है. यूं तो लॉक डाउन है, बच्चे बाहर नहीं जा रहे. लेकिन बच्चों में संक्रमण हो सकता है, यह सुनकर ही डर लग रहा है. उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए वैक्सीन जल्दी आ जानी चाहिए. बच्चों को वैक्सीन लग जाए, तो वे भी सुरक्षित हो जाएंगे. अभिभावकों की इस चिंता को लेकर डॉक्टर अरुण गुप्ता कहते हैं कि पैनिक और ओवर रिएक्शन से ज्यादा अच्छा है कि बचाव के उपाय किए जाएं.
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खुद सुरक्षित रह बच्चों को रखा जा सकता है सुरक्षित
डॉक्टर गुप्ता ने कहा कि अगर बड़े लोग सचेत रहें, कोरोना नियमों का पालन करें तो बच्चों को सुरक्षित रखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि अभिभावकों को चाहिए कि घर के भीतर भी मास्क लगा कर रहें, अगर बाहर से आते हैं तो खुद को सैनेटाइज करें और खुद जल्द से जल्द वैक्सीन लगवा लें.