नई दिल्ली: वेतनमान में सुधार के लिए समन्वय समिति की अनुशंसा को लागू करने की मांग को लेकर करीब डेढ़ महीने बाद दिल्ली एम्स के 800 ओटी प्रौद्योगिकीविदों ने एक बार फिर धरना शुरू कर दिया है. धरने के सातवें दिन उप निदेशक के पास इनकी आवाज पहुंची है. जिससेओटी प्रौद्योगिकीविद् का उत्साह बढ़ा है. लेकिन इस बार पक्का निर्णय कर धरना प्रदर्शन किया जा रहा है कि जब तक कॉर्डिनेशन नहीं तबतक धरना जारी रहेगा.
ओटी टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश भाटी ने उम्मीद व्यक्त की है कि सबकुछ ठीक रहा तो जल्दी ही उनके कॉर्डिनेशन की मांग पूरी हो जाएगी. लेकिन साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया है कि पिछली बार की तरह वह झांसे में नहीं आएंगे. जबतक मांग पूरी नहीं होगी तबतक धरना प्रदर्शन जारी रहेगा.
उन्होंने सुबह 10 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक धरना को जारी रखने का आह्वान करते हुए कहा कि मॉर्निंग शिफ्ट वाले दोपहर में और दोपहर शिफ्ट वाले मॉर्निंग में आकर धरना प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं.
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राजेश भाटी ने बताया कि 2012 में कोआर्डिनेशन कमेटी की रिपोर्ट आई थी, जिसमें एम्स दिल्ली, जीपमार पॉन्डिचेरी और पीजीआई चंडीगढ़ में कोआर्डिनेशन कमेटी के सिफारिश को लागू करने को कहा गया था. इसके तहत इन तीनों स्वायत्त संस्थानों में काम करने वाले ओटी टेक्नॉलॉजिस्ट्स के पे स्केल में सुधार की सिफारिश की गई थी, जिसके लागू होने के बाद शुरुआती सैलरी 55 हजार रुपये प्रतिमाह होगी.
हालांकि पीजीआई चंडीगढ़ और जीपमार पाण्डिचेरी में इसे लागू कर दिया गया है, लेकिन सवाल यह है कि जब यह रिकमेंडेशन तीनों स्वायत्त मेडिकल संस्थानों के लिए दिया गया था तो केवल एम्स दिल्ली में इसे क्यों नहीं लागू किया गया ? इसकी वजह से एम्स में काम करने वाले लगभग 800 ओटी टेक्नॉलॉजिस्ट्स को 15 हजार प्रति माह का नुकसान उठाना पड़ रहा है.