नई दिल्ली: कोरोना वायरस के बढ़ते कहर को देखते हुए लॉकडाउन और बढ़ गया है. साथ ही सभी शैक्षणिक संस्थान बंद पड़े हैं. ऐसे में परीक्षा सहित सभी शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं. इसी को देखते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा ऑनलाइन परीक्षा लेने पर विचार किया जा रहा है.
वहीं डीयू के इस प्रस्ताव का एनएसयूआई लगातार विरोध कर रहा है. इसी कड़ी में एनएसयूआई द्वारा यह मांग की गई है कि परीक्षा को लेकर अनिश्चितता खत्म कर देनी चाहिए और बिना परीक्षा के छात्रों को पास कर देना चाहिए जिससे उनका पूरा साल बेकार न हो.
ऑनलाइन एग्जाम प्रक्रिया में भेदभाव की संभावना
वहीं इस पूरे मामले को लेकर एनएसयूआई के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी लोकेश चुग ने कहा कि इस वैश्विक महामारी में जो असाधारण परिस्थितियां बन गई हैं, उसके कारण छात्रों का पूरा साल बर्बाद ना हो, इसको लेकर प्रशासन को जरूरी कदम उठाने चाहिए. उन्होंने कहा कि क्लासरूम टीचिंग की जगह ऑनलाइन टीचिंग कभी नहीं ले सकती. ऑनलाइन टीचिंग केवल कुछ तबके के छात्रों तक ही सीमित है क्योंकि बहुत से छात्र ऐसे हैं जिनके पास इंटरनेट या लैपटॉप जैसे संसाधन नहीं है और इसलिए अगर ऑनलाइन टीचिंग के आधार पर परीक्षा ली जाती है तो इससे परीक्षा में भेदभाव होने की संभावना है.
फर्स्ट और सेकंड ईयर के छात्रों को बिना परीक्षा ही पास किया जाए
इन्हीं सब बातों का तर्क देते हुए एनएसयूआई की मांग है कि फर्स्ट और सेकेंड ईयर के सभी छात्रों को बिना परीक्षा के पास कर दिया जाए. इसके अलावा पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए जो एक्स्ट्रा क्लास लगाई जानी थी वह विश्वविद्यालय खोलने के बाद दोबारा आयोजित की जाए.
फाइनल ईयर के छात्रों को 10 फीसदी अधिक अंक देकर पास किया जाए
इसके अलावा फाइनल ईयर के छात्रों को पिछले प्रदर्शन के आधार पर और 10 फीसदी अतिरिक्त अंकों के साथ पास कर देना चाहिए, जिससे उनका साल खराब ना हो. इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया कि अक्सर छात्र फाइनल ईयर में अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो उनके पास होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती है.