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वकीलों को भी प्रोफेशनल का दर्जा देने की मांग पर केंद्र और RBI को नोटिस जारी - वकीलों को भी प्रोफेशनल का दर्जा

गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, बार काउंसिल ऑफ इंडिया और रिजर्व बैंक को नोटिस जारी किया है. याचिका वकीलों को MSME एक्ट के तहत प्रोफेशनल्स की परिभाषा में शामिल करने की मांग को लेकर था. अब इस मामले की सुनवाई 12 अक्टूबर को होगी.

Notice issued to Center and RBI
वकीलों को भी प्रोफेशनल का दर्जा
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Published : Aug 26, 2021, 10:18 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने वकीलों को MSME एक्ट के तहत प्रोफेशनल्स की परिभाषा में शामिल करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, बार काउंसिल ऑफ इंडिया और रिजर्व बैंक को नोटिस जारी किया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने 12 अक्टूबर को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया.



याचिका वकील अभिजीत मिश्रा ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि सूक्ष्म एवं लघु उद्योग मंत्रालय वकीलों को सरकार की योजनाओं के लिए प्रोफेशनल्स नहीं मानता है. प्रोफेशनल्स के लिए GST नंबर, बिजनेस पैन और टैन की अनिवार्यता होती है. ऐसा करना वकीलों को केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने से रोकती है.


याचिका में कहा गया है कि संविधान की धारा 22 के तहत वकीलों का काफी महत्वपूर्ण स्थान है और इसके तहत देश का कोई नागरिक वकील से सलाह ले सकता है. लेकिन केंद्र सरकार ने वकीलों के लिए कोई विकास योजना शुरू नहीं की है.

ये भी पढ़ें : 'दिल्ली में कोरोना के अलावा दूसरे कारणों से अनाथ हुए बच्चों को अनाथ नहीं मानती सरकार'

वकीलों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई में शामिल होने के लिए लैपटॉप, प्रिंटर, स्कैनर इत्यादि खरीदने के लिए बिना गारंटी वाले लोन देने की कोई योजना नहीं है. ऐसे में MSME कानून में वकीलों को प्रोफेशनल्स की परिभाषा में शामिल किया जाना चाहिए ताकि उन्हें बैंकों से लोन लेने में आसानी हो.

ये भी पढ़ें : हाईकोर्ट की सलाह- निजी स्कूलों की बजाय सरकारी स्कूलों में बच्चों का दाखिला कराएं

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने वकीलों को MSME एक्ट के तहत प्रोफेशनल्स की परिभाषा में शामिल करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, बार काउंसिल ऑफ इंडिया और रिजर्व बैंक को नोटिस जारी किया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने 12 अक्टूबर को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया.



याचिका वकील अभिजीत मिश्रा ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि सूक्ष्म एवं लघु उद्योग मंत्रालय वकीलों को सरकार की योजनाओं के लिए प्रोफेशनल्स नहीं मानता है. प्रोफेशनल्स के लिए GST नंबर, बिजनेस पैन और टैन की अनिवार्यता होती है. ऐसा करना वकीलों को केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने से रोकती है.


याचिका में कहा गया है कि संविधान की धारा 22 के तहत वकीलों का काफी महत्वपूर्ण स्थान है और इसके तहत देश का कोई नागरिक वकील से सलाह ले सकता है. लेकिन केंद्र सरकार ने वकीलों के लिए कोई विकास योजना शुरू नहीं की है.

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वकीलों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई में शामिल होने के लिए लैपटॉप, प्रिंटर, स्कैनर इत्यादि खरीदने के लिए बिना गारंटी वाले लोन देने की कोई योजना नहीं है. ऐसे में MSME कानून में वकीलों को प्रोफेशनल्स की परिभाषा में शामिल किया जाना चाहिए ताकि उन्हें बैंकों से लोन लेने में आसानी हो.

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