नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने विशाखापतनम में एलजी पालीमर्स इंडस्ट्री से स्टाइरीन गैस के लीक होने के मामले पर सुनवाई टाल दी है. इस मामले की अगली सुनवाई अब 1 जून को होगी.
कमेटी ने एनजीटी को रिपोर्ट नहीं सौंपी
दरअसल एनजीटी की ओर से गठित पांच सदस्यीय कमेटी ने अपनी रिपोर्ट एनजीटी को नहीं सौंपी, जिसके बाद एनजीटी ने सुनवाई टाल दिया. पिछले 8 मई को एनजीटी ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए आंध्रप्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, विशाखापतनम के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय और एलजी पालीमर्स को नोटिस जारी किया था.
एलजी पालीमर्स पर लगाया था 50 करोड़ का जुर्माना
एनजीटी ने लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई के लिए एलजी पालीमर्स को पचास करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था. एनजीटी ने एक पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है था. इस कमेटी में आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस बी सेशैयाना रेड्डी, आंध्र युनिवर्सिटी, विशाखापतनम के पूर्व कुलपति प्रो वी रामचंद्र मूर्ति, आंध्र यूनिवर्सिटी के केमिकल इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर पुलिपति किंग, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव, सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी और नीरी विशाखापतनम के प्रमुख शामिल हैं.
मौके पर मुआयना करने का निर्देश दिया था
एनजीटी ने कमेटी को निर्देश दिया था कि वो जितनी जल्दी हो मौके का मुआयना करें और रिपोर्ट दें. एनजीटी ने कमेटी को निर्देश दिया था कि वो रिपोर्ट में घटनाक्रम, घटना की वजह और उसके लिए जिम्मेदार एजेंसियां और लोगों की जानाकारी दें. एनजीटी ने कहा था कि रिपोर्ट में जानमाल को हुए नुकसान के अलावा गैस के लीक होने से लोगों के स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभाव का भी आंकलन करें.
एनजीटी ने कमेटी को इस घटना के पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए उठाए जाने वाले कदमों और संपत्ति और पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजे का आंकलन करें. एनजीटी ने कमेटी को निर्देश दिया था कि वो ऐसी घटना को रोकने के लिए उठाए गए कदमों की भी जानकारी रिपोर्ट में दें.