नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के राजेंद्र नगर विधानसभा उपचुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार दुर्गेश पाठक को अप्रत्याशित रूप से 11468 वोट के अंतर से मिली बड़ी जीत के बाद बीजेपी हार के कारणों को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. एक तरफ जहां आप के कार्यकर्ताओं में खुशी और उत्साह के माहौल के साथ राष्ट्रीय कार्यालय में जश्न का माहौल है, वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी के प्रदेश कार्यालय समेत कार्यकर्ता और सभी नेताओं के दफ्तरों में सन्नाटा पसरा हुआ है. उपचुनाव के नतीजे घोषित हो जाने के बाद भी देर शाम तक दिल्ली बीजेपी की प्रदेश इकाई के द्वारा कोई भी बयान या स्पष्टीकरण हार को लेकर सामने नहीं आया है.
उपचुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार राजेश भाटिया को 39.91 वोट मिले हैं. लेकिन आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार दुर्गेश पाठक को लगभग 56% वोट मिले हैं. बीजेपी के प्रत्याशी राजेश भाटिया के द्वारा 10 राउंड की गिनती के बाद ही हार मान ली गई थी. उस समय दुर्गेश पाठक लगभग 10143 वोट से आगे थे. साथ ही उस समय राजेश भाटिया का ये बयान भी सामने आया था जिसमे उन्होंने कहा था कि यह हैरानी की बात है कि जब मैं प्रचार में जाता था तो लोग पीने के साफ पानी के लिए परेशान थे. लेकिन उसके बाद भी लोग इस तरह से मतदान करते हैं. अब इसके आगे कुछ नहीं कहना जिस वार्ड से मैं पार्षद था.वहां मैं हर बूथ पर जीता". राजेश भाटिया का इस तरह का बयान देना स्पष्ट तौर पर दिखता कि उन्होंने पहले ही अपनी हार मान ली थी. वह नतीजों से निराश भी थे.
राजेंद्र नगर विधानसभा उपचुनाव में मिली हार के बाद खुद बीजेपी के नेताओं के द्वारा सवाल उठाए जा रहे हैं. पूर्व पार्षद जगदीश ममगाईं ट्वीट कर उपचुनाव में हार के लिए बीजेपी के छुटभैये अधिकारियों को ना सिर्फ जिम्मेदार ठहराया बल्कि यह भी कहा कि राजेंद्र नगर में बीजेपी के असक्षम पदाधिकारी आप की सरकार के खिलाफ पोल खोल अभियान को सफलतापूर्वक चलाने और जनता तक पहुंचाने में पूरी तरह से विफल साबित हुए हैं. यह हार बीजेपी के प्रबंधन और नकारात्मक कारण के हुई है. इसके चलते शुरुआती 10 दिन में जीता हुआ चुनाव हाथ से निकल गया. इस ट्वीट को राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भी टैग किया गया है.
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राजेंद्र नगर विधानसभा के उपचुनाव में बीजेपी ने अपनी पुरानी गलतियों से बिल्कुल भी सबक नहीं लिया है.इसके चलते बीजेपी को एक बार फिर हार का सामना करना पड़ा है. उपचुनाव में नतीजो के बाद बीजेपी की हार पर ना सिर्फ सवाल उठ रहे हैं बल्कि यह भी कहा जा रहा है कि इन उपचुनाव में बीजेपी की लुटिया खुद उसी के नेताओं और पदाधिकारियों ने डुबोया है. क्योंकि इस बार के उपचुनाव में न तो नेताओं और पदाधिकारियों के बीच में कोऑर्डिनेशन दिखा और न ही प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता के नेतृत्व में वह दम जिससे कि बीजेपी के चुनाव जीत सकती थी.
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